सऊदी अरब ने क्या इन इस्लामिक देशों पर दबाव बनाया?

BBC Hindi
शनिवार, 22 अक्टूबर 2022 (08:23 IST)
इस महीने की शुरुआत में सऊदी अरब के नेतृत्व वाले तेल उत्पादक देशों से संगठन ओपेक प्लस ने हर दिन 20 लाख बैरल तेल उत्पादन में कटौती का फ़ैसला किया था। सऊदी अरब के इस फ़ैसले से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की क़ीमतें बढ़ गईं।
 
अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने काफ़ी कोशिश की, लेकिन सऊदी अरब ने एक नहीं सुनी। नवंबर में अमेरिका में उप-चुनाव हैं और उससे पहले सऊदी का यह फ़ैसला और चिढ़ाने वाला था।
 
अमेरिका ने कहा कि सऊदी अरब के इस फ़ैसले से रूस को मदद मिलेगी। रूस भी ओपेक प्लस का सदस्य देश है। अमेरिकी सीनेट के नेता चक शुमर ने कहा कि सऊदी अरब ने जो किया है, उसे अमेरिका के लोग लंबे समय तक याद रखेंगे।
 
दूसरी तरफ़ सऊदी अरब ने कहा कि यह उसका राजनीतिक नहीं बल्कि आर्थिक फ़ैसला है। सऊदी अरब ने कहा कि यह फ़ैसला ओपेक प्लस देशों में सहमति से लिया गया है।
 
हालाँकि पश्चिमी देशों की मीडिया में कई ऐसी रिपोर्ट छपी जिसमें बताया गया कि यूएई और बहरीन सऊदी अरब के फ़ैसले से सहमत नहीं थे।
 
अमेरिका का सऊदी पर आरोप
14 अक्तूबर को व्हाइट हाउस के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा था कि एक से ज़्यादा बार ओपेक प्लस के सदस्य तेल उत्पादन में कटौती को लेकर असहमत थे, लेकिन सऊदी अरब ने उन्हें बाध्य किया। हालाँकि उन्होंने किसी भी देश का नाम नहीं लिया था।
 
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, कुवैत, इराक़, बहरीन और यहाँ तक कि यूएई भी तेल उत्पादन में कटौती के फ़ैसले से सहमत नहीं थे। इन देशों को डर था कि तेल कटौती से मंदी की आशंका बढ़ेगी और इससे मांग में कमी आएगी।
 
द इंटरसेप्ट से सऊदी अरब के शाही परिवार के क़रीबी ने कहा, ''अमेरिका में लोग सोचते हैं कि क्राउन प्रिंस पुतिन की तरफ़दारी कर रहे है, लेकिन मेरा मानना है कि मोहम्मद बिन सलमान पुतिन से ज़्यादा पुतिन हैं।"
 
ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो ब्रूसे राइ़डल ने द इंटरसेप्ट से कहा, ''सऊदी अरब इस बात से बख़ूबी अवगत है कि 1973 के बाद अमेरिका में पंप पर गैसोलिन की बढ़ती क़ीमत एक जटिल राजनीतिक मुद्दा है। ये तेल की क़ीमत बढ़ाकर रिपब्लिकन पार्टी को मदद करना चाहते हैं। एमबीएस चाहते हैं कि कांग्रेस में रिपब्लिकन पार्टी मज़बूत हो और 2024 में ट्रंप की वापसी के लिए यह अहम क़दम होगा।''
 
सऊदी अरब का तेल का खेल
सऊदी अरब ने 1973 में इसराइल-अरब वॉर के दौरान भी ऐसा ही किया था। जिन देशों ने इसराइल का समर्थन किया था, उनके ख़िलाफ़ सऊदी ने तेल के कारोबार पर पाबंदी लगा दी थी।
 
इसके बाद 1979 में ईरान की इस्लामिक क्रांति के बाद भी सऊदी अरब ने तेल पर पाबंदी लगा दी थी। तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने विरोध में व्हाइट हाउस की छत पर सोलर पैनल लगा दिया था। अमेरिका ने संदेश देने की कोशिश की थी कि वह लंबे समय तक तेल पर निर्भर नहीं रहेगा।
 
डोनल्ड ट्रंप और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान के बीच अच्छी समझ थी। डोनाल्ड ट्रंप के दामाद जैरेड कशनर और क्राउन प्रिंस के बीच अच्छी दोस्ती थी।
 
2018 में एमबीएस ने ट्रंप के कहने पर तेल का उत्पादन बढ़ा दिया था ताकि क़ीमत कम की जा सके और 2020 में उत्पादन में कटौती की थी ताकि अमेरिका की शेल इंडस्ट्री को फ़ायदा हो। दूसरी तरफ़ बाइडन जुलाई में सऊदी अरब के दौरे पर इसी उद्येश्य से गए थे, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।
 
अमेरिकी न्यूज़ वेबसाइट एक्सिओस की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब ने अरब देशों को ओपेक प्लस के फ़ैसले का समर्थन करने के लिए दबाव डालकर बयान दिलवाया था।
 
एक्सिओस ने यह बात अमेरिकी और सऊदी अरब के अधिकारियों के हवाले से कही है। रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब नहीं चाहता था कि उसे अमेरिका अलग-थलग करे।
 
सऊदी अरब यह भी साबित करना चाहता था कि तेल उत्पादन में कटौती का फ़ैसला केवल सऊदी अरब का नहीं, बल्कि ओपेक प्लस का था। हालांकि फिर भी अमेरिका ने सऊदी अरब से संबंधों की समीक्षा की घोषणा की है।
 
'आम सहमति से लिया गया फ़ैसला'
एक्सिओस की रिपोर्ट के अनुसार, अरब के एक देश के अधिकारी ने कहा कि सऊदी अरब का दबाव बहुत ज़्यादा था। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि सऊदी अरब ने अरब के देशों पर बयान जारी करने के लिए दबाव डाला।
 
उसने यह साबित करने की कोशिश की कि फ़ैसला आर्थिक था न कि राजनीतिक। सऊदी के दबाव के बाद इराक़, कुवैत, बहरीन, यूएई, अल्जीरिया, ओमान, सूडान, मोरक्को और मिस्र ने बयान जारी कर कहा कि तेल उत्पादन में कटौती का फ़ैसला सबकी सहमति से लिया गया है।
 
यहाँ तक कि जॉर्डन ने भी बयान जारी किया और कहा कि सऊदी अरब और अमेरिका को बातचीत कर संकट सुलझाना चाहिए।
 
सऊदी अरब के रुख़ से अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी में ख़ासी नाराज़गी है। डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने एमएसएनबीसी में जाने-माने पत्रकार मेहदी हसन को दिए इंटरव्यू में सऊदी अरब को जमकर निशाने पर लिया है।
 
सऊदी अरब को लेकर डेमोक्रेटिक पार्टी का क्या पक्ष है
बर्नी सैंडर्स ने कहा है, ''सऊदी अरब महिलाओं को तीसरे दर्जे के नागरिकों की तरह ट्रीट करता है। नागरिकों को प्रताड़ित करता है और अब यूक्रेन युद्ध में पुतिन का पक्ष ले रहा है। अब हमें सऊदी अरब से सैनिकों को वापस बुला लेना चाहिए। उन्हें हथियार देना बंद कर देना चाहिए। इसके साथ ही तेल की क़ीमतें बढ़ाने की मनमानी का भी अंत होना चाहिए।''
 
बर्नी सैंडर्स ने कहा है, ''तेल और गैस इंडस्ट्री जमकर पैसे बना रही है। फ़ार्मा और फ़ूड इंडस्ट्री का भी यही हाल है। कॉरपोरेट घरानों के बेहिसाब लालच के कारण महंगाई सातवें आसमान पर पहुँच गई है और आम लोग इसकी मार से परेशान हैं।''
 
वॉशिंगटन स्थित अरब गल्फ़ स्टेट्स इंस्टीट्यूट में सीनियर रेज़िडेंट स्कॉलर हुसैन इबिश ने लिखा है, ''सऊदी अरब यूक्रेन के बारे में नहीं सोच रहा है। यह उसी तरह से है जैसे एशिया और अफ़्रीका के देश रूस और यूक्रेन में न किसी का समर्थन कर रहे हैं और न ही विरोध। लेकिन अमेरिका की राजनीति में डेमोक्रेटिक पार्टी को लग रहा है कि आने वाले उपचुनाव में सऊदी के इस रुख़ से रिपब्लिकन पार्टी को फ़ायदा होगा।''
 
''दोनों देशों में भरोसे की कमी साफ़ दिख रही है। अमेरिका को उम्मीद थी कि सऊदी तेल की बढ़ती क़ीमतों को काबू में करने के लिए उसकी मदद करेगा। दूसरी तरफ़ सऊदी अरब अमेरिका से सैन्य समर्थन चाहता है, लेकिन उसे लगता है कि अमेरिका का ध्यान अब यूरोप और चीन की तरफ़ शिफ़्ट हो रहा है।''
 
हुसैन इबिश ने लिखा है, ''सऊदी और अमेरिका दोनों एक-दूसरे की ज़रूरत हैं। सऊदी को जो सुरक्षा चाहिए वह केवल अमेरिका ही दे सकता है। दूसरी तरफ़ फ़ारस की खाड़ी में अमेरिका का दबदबा कायम रहे इसके लिए सऊदी एकमात्र विश्वसनीय साझेदार है। ओपेक प्लस की अगली बैठक चार दिसंबर को है और सऊदी के पास मौक़ा है कि क़ीमतों को लेकर संतुलित फ़ैसला ले।''
 
(कॉपी - रजनीश कुमार)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

rg kar college rape murder case : डॉक्टरों का 2 घंटे तक इंतजार करती रहीं ममता बनर्जी, फिर मांगी जनता से माफी

मेरठ : 2 साल के अफेयर का खौफनाक अंत, 25 साल के भतीजे के प्रेम में छली गई 40 साल की चाची, जान देकर चुकानी पड़ी कीमत

Sukanya Samriddhi Yojana में 1 अक्टूबर से बड़ा बदलाव, जान लें वरना पछताएंगे

MG Windsor Electric : 1 साल तक फ्री चार्जिंग, 331 Km रेंज, सस्ती कार से मार्केट में आ जाएगी सुनामी

अखिलेश यादव ने लगाया BJP और सरकारी अधिकारियों पर अयोध्या में भूमि घोटाले का आरोप

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

iPhone 16 सीरीज लॉन्च होते ही सस्ते हुए iPhone 15 , जानिए नया आईफोन कितना अपग्रेड, कितनी है कीमत

Apple Event 2024 : 79,900 में iPhone 16 लॉन्च, AI फीचर्स मिलेंगे, एपल ने वॉच 10 सीरीज भी की पेश

iPhone 16 के लॉन्च से पहले हुआ बड़ा खुलासा, Apple के दीवाने भी हैरान

Samsung Galaxy A06 : 10000 से कम कीमत में आया 50MP कैमरा, 5000mAh बैटरी वाला सैमसंग का धांसू फोन

iPhone 16 Launch : Camera से लेकर Battery तक, वह सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं

अगला लेख
More