- सरोज सिंह
दिल्ली के मंगोलपुरी इलाक़े में एक बच्ची गेंद से खेल रही थी। खेलते-खेलते गेंद पास के बारात घर के अंदर चली गई। गेंद वापस दिलाने के वादे के साथ एक अधेड़ उम्र के उसके पड़ोसी ने उसे बारात घर के अंदर बुलाया।
पड़ोसी ख़ुद दो बच्चों का पिता है। फिर उसने बारात घर में दो और लड़कों को बुलाया। सब ने बारी-बारी से मिलकर उसका रेप किया। बगल में खड़ा लड़की का चचेरा भाई उसका वीडियो बनाता रहा। सिर्फ़ दो दिन में वीडियो पूरे मोहल्ले में वायरल हो गया था।
मोबाइल फोन और वीडियो
ये वीडियो लड़की के पड़ोसी ने पहले देखा और फिर लड़की की मां लीला (बदला हुआ नाम) से इस बारे में बात की। पहली बार में लीला को यकीन ही नहीं आया। अगले दिन लड़की के ताऊ ने लीला से दोबारा कहा, "वीडियो तुम्हारी ही बेटी का है। एक बार देख लो। पुलिस को शिकायत तो करनी ही पड़ेगी।"
लड़की की मां वीडियो देखने का साहस नहीं जुटा सकी। इसलिए अपने बेटे से वीडियो देखने की बात की। लड़की का भाई भी नाबालिग ही है। लेकिन मां के कहने पर पड़ोस के लड़के के घर उसके मोबाइल पर वीडियो देखने गया।
शाम के तकरीबन 5 बजे थे। आधा वीडियों देख, बीच में ही वो घर वापस आ गया। रोते हुए मां से बोला, "वीडियो बहन का ही है।"
ये कहते हुए लीला से चिपक कर रोने लगा। लीला ने तुरंत 100 नंबर पर फोन किया और पुलिस को बुलाया। पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज कर ली और तीनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया। लीला के साथ-साथ तीनों का मोबाइल जब्त कर लिया। लेकिन वीडियो तो तब तक वायरल हो चुका था। लड़की की बदनामी हो चुकी थी। पुलिस इस वीडियो को रोक पाने में नाकाम रही।
रेप वीडियो के दूसरे मामले
इसी साल अप्रैल के आख़िर में एक वीडियो बिहार के जहानाबाद इलाक़े से भी वायरल हुआ। इस वीडियो में कुछ युवक एक लड़की के कपड़े ज़बरदस्ती उतारते हुए देखे गए, लड़की का संघर्ष भी साफ दिखा। आस-पास खड़े कई युवक हंस रहे हैं। इस मामले में भी गिरफ्तारी हुई लेकिन वीडियो वायरल हो चुका था। पुलिस कुछ नहीं कर सकी।
कठुआ रेप मामले के बाद भी ऐसी खबरें आईं कि उस मामले में बच्ची के रेप वीडियो की तलाश अब पोर्न साइट पर शुरु हो गई है। एक पोर्न साइट पर पिछले दिनों ये टॉप ट्रेंड भी था। ये बात किसी से छिपी नहीं है कि स्मार्ट फ़ोन से वीडियो बनाना और उसे दूसरों को भेजना काफी आसान हो गया है।
आंकड़ो की माने तो देश में पिछले चार सालों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल में 15 फ़ीसदी का इज़ाफा हुआ है। साल 2014 में 21.2 फ़ीसदी लोग मोबाइल का इस्तेमाल करते थे वहीं 2018 में ये बढ़ कर 36 फ़ीसदी हो गया है। कुछ आंकड़ों के मुताबिक आज की तारीख में देश में जितने लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं उनमें से 62 फ़ीसदी स्मार्टफोन है।
भारत के टेलिकॉम रेगुलेटरी ऑथोरिटी के मुताबिक आबादी के हिसाब से फोन इस्तेमाल करने वालों की संख्या देश में दिल्ली में सबसे ज्यादा है, और बिहार में सबसे कम। देश भर में प्रति 100 लोग, तकरीबन 93 लोगों के पास मोबाइल फोन है। इस आंकड़े के बाद ये समझना मुश्किल नहीं होगा एक वीडियो दिल्ली में बिहार के मुकाबले जल्दी वायरल हो सकता है। और अकसर ऐसे मामले वीडियो के वायरल होने के बाद पुलिस तक पहुंचते हैं।
क्या कहता है क़ानून
ऐसे मामलों में पुलिस आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर सकती है। साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल के मुताबिक़ आईटी एक्ट की धारा 67A के तहत ऐसे वीडियो बनाना और फैलाना या फैलाने में सहायता करना अपराध है। इतना ही नहीं अगर आपके फोन में इस तरह का वीडियो स्टोर भी हो तो ये भी अपराध माना जाता है।
सज़ा की बात करें तो ऐसे अपराध में ग़िरफ्तारी होने पर पांच साल की क़ैद और 10 लाख रुपए जुर्माना है। पुलिस हर रेप वीडियो के मामले में इसी क़ानून के तहत गिरफ्तारी करती है।
साइबर अपराध के आंकड़े
एनसीआरबी के आंकडों की बात करें तो पिछले तीन सालों में साइबर क्राइम के आंकड़े काफ़ी बढ़े है। 2014 में साइबर अपराध के 9622 मामले सामने आए थे। 2015 में 11,592 मामले सामने आए थे। जबकि 2016 में 12317 मामले सामने आए थे। हालांकि इन आकड़ों में सिर्फ़ रेप वीडियो शामिल नहीं है।
लेकिन बच्चों के अपराध रोकने के लिए काम करने वाली सरकारी संस्था नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ चाइल्ड राइट्स की प्रमुख स्तुति कक्कड़ का कहना है कि इन आंकड़ों से ये अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल नहीं है कि इंटरनेट हमारे लिए किस हद तक घातक हो सकता है। स्तुति कक्कड़ के मुताबिक, रेप के समय वीडियो बना लेने के मामले पहले भी उनके पास आते रहे हैं।
वो कहती हैं, "हाल के दिनों में इसमें इज़ाफा ज़रूर हुआ है मंगोलपुरी की घटना बहुत दुखद है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि लड़की उसका विरोध करने की हालात में नहीं थी।" लेकिन ऐसे वीडियो को रोक पाना मुश्किल ज़रूर होता है। वो मानती हैं कि एक बार ऐसा वीडियो सर्कुलेशन में आ जाता है, फिर उसे नेटवर्क से हटाना बहुत मुश्किल होता है। कई मौको पर आईटी मंत्रालय और गृह मंत्रालय से मदद लेनी पड़ती है।
दिल्ली के मंगोलपुरी की घटना भी ऐसी ही थी। अपने पुश्तैनी घर से तकरीबन 10 किलोमीटर दूर लड़की की मां लीला ने दर्जी की दुकान खोल रखी है। सिलाई का काम कर अपने परिवार का पेट पालती है।
बीबीसी टीम से मिलते ही उन्होंने सबसे पहला सवाल हमसे ही पूछा, "उन दरिंदों की तस्वीर कोई मीडिया वाला क्यों नहीं दिखा रहा। हमारी फ़ोटो तो ढँक कर सब चला रहे है।" लीला की बेटी अब काम पर उनके साथ ही जाती है। हाथ में फोन देख कर मुझ से तुंरत ही पूछा, "इसमें मेरा वीडियो है न!"
बेटी की इस मासूमियत भरे सवाल पर लीला के आंसू रुक ही नहीं रहे थे। तपककर गुस्से भरे अंदाज में उन्होंने कहा, इसे तो ये मालूम ही नहीं, इसके साथ हुआ क्या है। "जहां से गुज़रती हूं लोग बिना बोले हम पर हंसने लगते है। उनकी हंसी दिल पर चाकू का वार करती है। लेकिन बेटी का चेहरा देख कर फिर से ख़ुद को संभालती हूं। अब तो लगता है, ये वीडियो जीवन भर हमारा पीछा नहीं छोड़ेगा।"
क्या लीला ने वो वीडियो देखा है? इस सवाल पर वो टूट सी जाती हैं। "मां का दिल है, हिम्मत नहीं जुटा पाई। वैसे तो अब सारे फ़ोन पुलिस के पास हैं। बस यही उम्मीद है कि किसी के फ़ोन में वीडियो बचा न हो। वरना बड़ी बेटी से भी कोई शादी नहीं करेगा।"
इतना कहते-कहते अचनाक चुप सी हो जाती है। फिर चेहरे के आंसू को दुप्पटे से पोंछते हुए पूछती हैं, "पता है मुझे मेरी पड़ोसन ने बताया कि मेरी बेटी वीडियो में हंस रही है, लोग इस पर और ज्यादा ताने मारते हैं। मैडम वीडियो बना कर दरिंदों को आख़िर क्या सुख मिलता है? कैसे ये वीडियो सबके मोबाइल में आ जाता है और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है।"
रेप वीडियो कैसे हो जाता है वायरल
यही सवाल हमने अनुज अग्रवाल से पूछा। अनुज अग्रवाल दिल्ली पुलिस को ऐसे मामले से निपटने के लिए ट्रेनिंग देते हैं। उनके मुताबिक़ वो अब तक देश के अलग अलग राज्यों के 1000 से ज्यादा पुलिस वालों को ऐसे अपराध से निपटने की ट्रेनिंग दे चुके हैं।
अनुज अग्रवाल बताते हैं, इस तरह के अपराध - स्पेशलाइज्ड और ऑर्गेनाइज्ड दोनों तरीक़े से अंजाम दिए जा रहे हैं। अनुज के मुताबिक़ कुछ देशों में इस तरह के वीडियो का एक पूरा बाजार है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजार में इसकी मांग है। ये डार्क बेव और गैरकानूनी दुनिया की कोई ऑथेंटिक रिपोर्ट नहीं है।
पवन दुग्गल कहते हैं, "भारतीय, यहां के लोगों के साथ शूट किए गए रेप वीडियो ज्यादा देखना चाहते हैं। उससे वो खुद को जोड़ कर देख पाते हैं।" एक अनुमान के मुताबिक़ दुनिया के सबसे बड़े व्यापारों में से ये एक व्यापार है। पूर्वी यूरोप के कई देश हैं जहां पोर्न को लेकर सरकार सख्त नहीं है, वहां इसका बाजार ज्यादा बड़ा है। कई रेप वीडियों का पोर्न वीडियो के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
अनुज के मुताबिक कई कारण होते हैं इस तरह के वीडियो बनाने का।
•कई बार केवल अपनी मर्दानगी साबित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
•कई बार लोग गंदी मानसिकता की वजह से ऐसे काम करते है।
•लेकिन धमकाने के लिए भी इसका इस्तेमाल शुरू हो गया है।
•लेकि सबसे बड़ी वजह आज के दिनों में बदला लेने की वजह से हो रहा है।
•अनुज के मुताबिक ब्रेक अप 'रिवेंज पोर्न' की वजह बनता जा रहा है। ये मामले कम उम्र बच्चों के साथ ज्यादा होते हैं। 16 से 25 साल के उम्र के लड़के-लड़कियां इसमें ज्यादा होते हैं।
'रिवेंज पोर्न' के मामले हाल के दिनों में ज्यादा बढ़े हैं। इसमें तकरीबन 20 से 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। भारत में रेप वीडियो अकसर धमकी दे कर आगे भी लड़की के इस्तेमाल के लिए किया जाता है। दूसरी बड़ी वजह बदला है।
रेप वीडियो वायरल करने वाला पकड़ा क्यों नहीं जाता है
अनुज मानते हैं कि इनको पकड़ना बहुत मुश्किल है।
ऐसे अपराध में पुलिस को सबसे पहले वीडियो के सोर्स का पता लगाना होता है। जब भी इस तरह के अपराध की शिकायत होती है तो पुलिस मौके पर पहुंच कर फोन को सबसे पहले जब्त करती है। अगर वीडियो सोशल साइट पर है तब तो फेसबुक और गूगल से बात करने की ज़रूरत पड़ती है। लेकिन अगर वीडियो मोबाइल पर बना होता है, तो मुश्किल और बढ़ जाती है क्योंकि मोबाइल P2P प्लेटफॉर्म होता है, एक के मोबाइल से दूसरे मोबाइल तक वीडियो पहुंच जाता है।
लेकिन अगर पीड़िता खुद इसके बारे में बताए तो थोड़ी मुश्किल कम हो जाती है। डिवाइस जब्त करने के बाद उसकी डिजिटल फोरेंसिक जांच होती है। इसके लिए अलग से लैब होते हैं। आईटी एक्ट के धारा 67 के मुताबिक़ किसी भी अश्लील सामग्री को कैप्चर किया जाए तो कम से कम पांच साल की सजा है। अगर नाबालिग के साथ ऐसा होता है तो सज़ा और ज्यादा बढ़ जाती है।
अनुज के मुताबिक सज़ा पर्याप्त है। लेकिन क़ानून को अमल में लाने में दिक्कत है। पहली दिक्कत तो पुलिस के पास पहले से कई ऐसे घृणित अपराध होते हैं, जिनपर वो ज्यादा ध्यान देते हैं। ऐसे में साइबर अपराध में सबूत जमा करने में वो ज्यादा वक्त नहीं देते।
दूसरी बड़ी समस्या है पुलिस वालो का अनट्रेंड होना। रेप वीडियो के मामले में सबूत जमा करना अपने आप में बहुत बड़ा काम है। कई बार शिकायत झूठी भी होती है। कई बार मामले में सहमति भी होती है।
गूगल या फेसबुक या सोशल मीडिया साइट पर अगर वीडियो अपलोड हो जाता है, तो प्लेटफ़ार्म से भी उससे जुड़ी जानकारी मांगी जाती है। अगर वो मेल पर या सीडी में वीडियो होता है तो उसका मेटा-डेटा मिलना आसान हो जाता है। लेकिन अगर वीडियो व्हॉटसेप पर होता है तो मेटा-डेटा अपने आप डिलिट हो जाता है। इसलिए इस तरह के वीडियो की जांच में कई चुनौतियां होती हैं।
साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल की मानें तो व्हॉट्सऐप पर फैल रहे वीडियो में दो तरह की परेशानी होती है। पहला तो ये कि व्हॉट्सऐप का दफ्तर भारत में नहीं है। इसलिए उनसे जानकारी लेने में परेशानी आती है। दूसरी बात ये कि व्हॉट्सऐप में एंड टू एंड एनक्रिप्शन होता है। इसका मतलब ये कि जब मैसेज एक मोबाइल से दूसरे मोबाइल पर जाता है तो मैसेज भेजने के बाद उसपर ताला लग जाता है। उसे बीच में कोई पढ़ नहीं सकता।
जिसके लिए मैसेज होता है, जब उसके मोबाइल पर मैसेज पहुंच जाता है तभी उस मैसेज का ताला खुलता है। व्हॉटसेप के मुताबिक उस एनक्रिप्शन की चाबी खुद उनके पास नहीं होती। इसलिए डेटा कहां से कहां पहुंचा ये पता करना मुश्किल है।
पवन दुग्गल के मुताबिक, "रेप वीडियो के बाज़ार के फलने फूलने के पीछे हमारा समाज ज़िम्मेदार है। जब से जनता के हाथ में फ़ोन आया है हर कोई ग्लोबल ऑथर, ब्रॉडकॉस्टर और रिपोर्टर बन गया है। हम रिकॉर्डिंग सोसाइटी की तरफ बढ़ते जा रहे, जहां जीवन के हर क्षण को फोन में कैद करने की चाहत हर किसी में होती है। फोन से एक ओर हम सशक्त हो रहे हैं, तो दूसरी तरफ ये खतरनाक ट्रेंड भी है।"