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ग़ाज़ा डायरी: 'नहीं मालूम कि जब ये कहानी छपेगी, तब हम ज़िंदा होंगे या नहीं'

हमें फॉलो करें ग़ाज़ा डायरी: 'नहीं मालूम कि जब ये कहानी छपेगी, तब हम ज़िंदा होंगे या नहीं'

BBC Hindi

, शुक्रवार, 10 नवंबर 2023 (14:44 IST)
Israel Hamas conflict: 4 लोग बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के लिए डायरी लिख रहे हैं कि बमबारी के बीच ग़ाज़ा में जीवन कैसे चल रहा है। कैसे लोग पूरा दिन खाने और पानी की तलाश कर रहे हैं, हवाई बमबारी से छिपने के लिए नाइट शेल्टरों में रातें बिता रहे हैं और सुबह तक ज़िंदा बचे रहने की प्रार्थना कर रहे हैं।
 
7 अक्टूबर से ही इजराइली सेना ग़ाज़ा पट्टी पर हवाई बमबारी कर रही है। हमास शासित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक 10 हज़ार से अधिक लोग इजराइल के हमलों में मारे जा चुके हैं।
 
ये हवाई हमले इजराइल पर हमास के हमले के बाद किए जा रहे हैं जिसमें 1,400 लोग मारे गए थे और 242 लोगों को बंधक बना लिया गया था।
 
कमज़ोर फ़ोन नेटवर्क और संचार ब्लैकआउट के कारण संपर्क बनाए रखना ख़ासा मुश्किल काम रहा लेकिन जब भी संभव हो सका, हमारे संपर्कों ने हमें मैसेज और वीडियो संदेश भेजे।
 
शुक्रवार 13 अक्टूबर
 
इजराइली विमानों ने उत्तरी ग़ाज़ा के लोगों को 'अपने बचाव और सुरक्षा' के लिए ज़मीनी हमलों से पहले दक्षिणी ग़ाज़ा की ओर चले जाने की चेतावनी वाले पर्चे गिराए।
 
फरीदाः ग़ाज़ा सिटी में 26 साल की फ़रीदा अंग्रेज़ी टीचर हैं। उन्होंने अपने पहले मैसेज में लिखा, 'मेरे पड़ोस के तीन घर तबाह हो चुके हैं। हम सभी को यहां से निकलना है लेकिन नहीं जानते कि कहां जाएं।'
 
'हम बस इंतज़ार कर रहे हैं। मेरे कई दोस्त लापता हैं, हो सकता है कि वे मारे गए हों। मेरे मां पिता का भी कुछ पता नहीं है।'
 
वो अपने छह छोटे बच्चों और भाई बहनों के साथ पैदल ही दक्षिण की ओर निकल पड़ीं। वे लोग करीब एक हफ़्ते तक चलते रहे, सड़कों पर सोते रहे।
 
वो वादी ग़ाज़ा के दूसरी तरफ़ उस इलाक़े की ओर जाना चाह रहे थे जिसके बारे में इजराइल ने कहा है कि वो सुरक्षित होगा।
 
एडमः दक्षिण ग़ाज़ा में स्थित ख़ान यूनिस सिटी में रहने वाले एक युवा वर्कर एडम एक ही दिन में 5वीं बार बचने के लिए सुरक्षित जगह जाने की तैयारी कर रहे हैं।
 
वो कहते हैं, 'उत्तरी ग़ाज़ा से 10 लाख से अधिक लोगों को दक्षिण की ओर जाने को कहा गया, ख़ास कर ख़ान यूनिस में। लेकिन ख़ान यूनिस में भी हवाई हमले किए जा रहे हैं। एक बम तो मेरे घर के क़रीब गिरा।'
 
इजराइल की ओर से ग़ाज़ा पट्टी की पूरी घेरेबंदी करने के बाद यहां खाना, दवाएं और पेट्रोल भंडार तेज़ी से कम हुआ है। एडम को अपने बूढ़े पिता की देखभाल के लिए ज़रूरी चीज़ें भी नहीं मिल पा रहीं, जो पर्किंसन्स बीमारी से ग्रस्त हैं।
 
ना ही उन्हें अस्पताल में बिस्तर तक मिल सकता है। पिछली रात उन्हें एक अस्पताल के परिसर में ज़मीन पर सोना पड़ा।
 
ख़ालिदः उत्तरी ग़ाज़ा में जबालिया में मेडिकल उपकरण के सप्लायर हैं। चेतावनी वाले पर्चे गिराए जाने के बावजूद, ख़ालिद ने अपने परिवार के साथ वहां से निकलने से इनकार कर दिया।
 
एक वीडियो मैसेज में वो कहते हैं, 'हम कहां जाएंगे। कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है। हर जगह एक जैसे हालात हैं। किसी भी स्थिति में हम मारे जाएंगे।' इस संदेश की पृष्ठभूमि में बमों के धमाके की आवाज़ें सुनी जा सकती हैं।
 
ख़ालिद अपने कज़िन के दो छोटे बच्चों की भी देखभाल कर रहे हैं, जो पड़ोस के मार्केट में हुए एक हमले से बच गए थे।
 
वो कहते हैं, 'बड़ी संख्या में घायलों के कारण दवाओं की भारी कमी है। कुछ दवाओं को कम तापमान पर स्टोर किए जाने की ज़रूरत होती है, लेकिन बिजली न होने के कारण वो बेकार हो गई हैं। जबकि ये अर्जेंट दवाएं हैं।'
 
वो कहते हैं कि जबसे युद्ध शुरू हुआ है, वो मेडिकल सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं।
 
सोमवार, 16 अक्टूबर
 
सलाह अल-दिन सड़क से दक्षिण की ओर जा रहे वाहनों के एक काफ़िले पर बम गिरा। यह सड़क दो सेफ़ कॉरिडोर में से एक है।
 
फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इसमें 7 लोग मारे गए जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। इजराइली सेना ने इस हमले की ज़िम्मेदारी से इनकार किया है।
 
दक्षिण में जिस तरह हमले हो रहे हैं, अधिक से अधिक फ़िलिस्तीनी उत्तर में अपने घरों में ही रहने का फैसला कर रहे हैं। जिन लोगों ने दक्षिण में शरण लेने का फैसला किया, अब वे भी लौट रहे हैं।
 
फ़रीदाः कई दिनों तक सड़कों पर सोने के बाद फ़रीदा की हिम्मत टूट गई। वो कहती हैं, 'मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती कि मैं क्या महूसस कर रही हूं या क्या हो रहा है। हमारे चारों ओर लगातार बमबारी हो रही है और सभी बच्चे रो रहे हैं। हमें नहीं पता कि हम कहां जाएं।'
 
वो कहती हैं, 'यहां तक कि ग़ाज़ा में रात में आप नहीं जानते कि आप सुबह ज़िंदा उठेंगे या नहीं। मैं अपना हिजाब पहने अभी अपने परिवार के साथ बैठी हूं। मुझे किसी भी हवाई बमबारी का सामना करने के लिए खुद को तैयार रखने की ज़रूरत है।'
 
मंगलवार, 17 अक्टूबर
 
ग़ाज़ा सिटी में अल अहली अस्पताल में हुए हमले में 471 लोग मारे गए। मरने वालों में अधिकांश अस्पताल परिसर में शरण लेने वाली महिलाएं और बच्चे थे। इजराइल ने कहा कि उनका इसमें कोई हाथ नहीं है और ये धमाका फ़िलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद के रॉकेट के मिसफ़ायर होने से हुआ।
 
अब्देलहकीमः युद्ध शुरू होने के कुछ महीने पहले ही अब्देलहकीम ने सॉफ़्टवेयर में डिग्री हासिल की थी। वो सेंट्रल ग़ाज़ा में अल बुरेइज रेफ़्युज़ी कैंप में रहते हैं।
 
वो बताते हैं कि जिस समय अस्पताल में धमाका हुआ, उनके कई दोस्त वहीं पर थे। उनमें एक घायल हुआ, जबकि दूसरे का पूरा परिवार मारा गया।
 
टॉर्च की रोशनी में रिकॉर्ड किए गए वीडियो में वो बताते हैं, 'मैं 23 साल का हूं और फिलहाल मैं ज़िंदा हूं। मैं नहीं जानता कि मेरी कहानी जब छपेगी, मैं ज़िंदा रहूंगा या नहीं। आसमान में उड़ रहे जंगी विमानों का मैं कभी भी शिकार हो सकता हूं।'
 
'हमारे पास न तो पानी है, न दवा, न बिजली और न अन्य ज़रूरत की चीज़ें। मेरे और भाई बहनों के बीच साझा किए गए ब्रेड के एक टुकड़े के अलावा मैंने तीन दिनों से कुछ खाया नहीं है। बीते 12 दिनों में मैं और मेरा परिवार बमुश्किल 10 घंटे सोया होगा। हम बहुत थके हुए हैं। चिंता की वजह से हम आराम नहीं कर सकते।'
 
अब्देलहकीम और अन्य वालंटियर उनके घर से मदद बांट रहे हैं।
 
वो कहते हैं, 'हम मदद के पैकेट और कंबल तैयार कर रहे हैं। यहां तक कि बच्चे भी मदद कर रहे हैं। हमने मिस्र से मदद लेकर पहुंचने वाले ट्रकों का इंतज़ार करने की बजाय खुद ही पहल करने का फैसला किया।'
 
शुक्रवार, 20 अक्टूबर
 
एक इजराइली हवाई हमले में अब्देलहकीम का घर ज़मींदोज़ हो गया और उन्होंने अपने गिरे हुए घर का वीडियो भेजा। पृष्ठभूमि में लोगों की चीख पुकार सुनाई देती है क्योंकि मलबे से लोगों को बचाने की कोशिश हो रही है।
 
अब्देलहकीमः 'हम सब बैठे थे तभी एक रॉकेट अचानक घर पर गिरा। हम मुश्किल से घर से निकल पाए। हमारे पड़ोसी अभी भी मलबे के नीचे दबे हुए हैं। हम उन्हें तलाशने गए थे, लेकिन हमें कोई नहीं मिला। हम हर मिनट और हर घंटे मौत से घिरे हुए जी रहे हैं।'
 
'मेरा परिवार और मैं किसी चमत्कार से ज़िंदा बचे हैं। हम घर के कुछ हिस्से को ठीक कर रहे हैं ताकि हम यहां रुक सकें और मरने का इंतज़ार कर सकें।'
 
बुधवार, 25 अक्टूबर
 
अब्देलहकीम के पड़ोस में फिर से हवाई हमला हुआ।
 
अभी तक ग़ाज़ा में 6,972 फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।
 
अब्देलहकीमः इस बार वो सिर्फ रुआंसी आवाज में वॉइस नोट और कुछ टेक्स्ट मैसेज ही भेज सके।
 
उन्होंने लिखा, 'मैं मदद के लिए कुछ नहीं कर सका, चारों तरफ़ शरीर के टुकड़े देख कर मैं जड़ हो गया था। यहां कोई भी सुरक्षित नहीं है, हम सभी शहीद होने वाले हैं।'
 
मिस्र के साथ लगी रफ़ाह क्रॉसिंग से ग़ाज़ा में मदद का सामान लिए ट्रकों के प्रवेश की अनुमति मिल गई है, लेकिन जो सामान आ रहा है, वो ग़ाज़ा में विस्थापित हुई आबादी की ज़रूरत के मुकाबले कुछ भी नहीं है।
 
संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 14 लाख से अधिक आबादी को अपने घरों को छोड़ना पड़ा है।
 
एडमः अपने परिवार के लिए खाना तलाशने का संघर्ष उनके दिमाग में लगातार घूमता रहता है, 'बिना लाइन में लगे खाना पाने के लिए मुझे हर रोज़ तड़के उठना पड़ता है। हालात और ख़राब होते जा रहे हैं।'
 
'जब आप स्कूल के परिसर में सो रहे हों, आपके अंदर कुछ है जो टूटता है। और जब आप अस्पताल के परिसर में सोते हैं तो आपके अंदर की कुछ और ही चीज टूटती है। जब आप ब्रेड के लिए लाइन में खड़े होते हैं और पानी के लिए मिन्नतें करते हैं, तो आपके अंदर बहुत सारी चीजें टूट जाती हैं।'
 
ख़ालिदः 'वे लगातार हमपर बमबारी कर रहे हैं और हमें पता नहीं कि कब ब्रेड के लिए बाहर जाएं। कोई फ़्रिज भी नहीं है कि खाना जमा कर लें। हम खराब हो चुका खाना, सड़े टमाटर खा रहे हैं। फूलगोभी से कीड़े निकल रहे हैं। हमारे पास इसे खाने के अलावा कोई चारा नहीं है क्योंकि और कुछ है ही नहीं। हमें सड़ी चीज़ों को हटाकर जो बचता है उसे ही खाना है।'
 
फ़रीदाः परिवार उत्तरी ग़ाज़ा के अपने घर में लौटने का फैसला करता है।
 
वो कहती हैं, 'दक्षिण में हमें रुकने की कोई जगह नहीं मिली और हमारे पास बुनियादी ज़रूरतों के सामान भी नहीं थे। जहां हम थे, वहां बहुत बड़े बड़े बम गिराए जा रहे थे। हमने कम से कम अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए लौटने का फैसला किया।'
 
अगर दिन में 4 या 5 मिनट के लिए भी कहीं शांति से बैठकर दोस्तों और परिवार से संपर्क करने का समय मिल जाए तो भी हम बहुत खुश हो जाते हैं।
 
लौटने के कुछ समय बाद ही उनकी सड़क बमबारी में तबाह हो गई और उनके घर का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया.
 
शुक्रवार, अक्टूबर 27
 
इजराइल ने ज़मीनी हमले जैसे ही तेज़ किए, ग़ाज़ा में इंटरनेट और फ़ोन सेवाएं पूरी तरह बंद हो गई हैं। इसकी वजह से 48 घंटे तक संचार पूरी तरह से ठप रहा। हम एडम, अब्देलहकीम, फ़रीदा और ख़ालिद से संपर्क नहीं कर सके।
 
जब संचार नेटवर्क फिर से बहाल हुआ, उन्होंने हालात बयान किए।
 
अब्देलहकीमः 'पिछली रात भारी बमबारी हुई। संपर्क साधने का कोई ज़रिया नहीं है और एंबुलेंस लोगों तक नहीं पहुंच सकतीं, इसलिए जिस पर भी बम गिर रहा है, मौके पर ही मारा जा रहा है।'
 
एडमः 'अल्लाह का शुक्र है कि मैं ठीक हूं। लेकिन जब संचार बंद था, उसी दौरान मेरे पिता की मौत हो गई। उनकी आत्मा को शांति मिले। उस समय मैं बिल्कुल सन्न रह गया, यहां तक कि अपने करीबियों को भी नहीं बता पाया। ये भी बता नहीं पाया कि उस समय क्या हुआ था।'
 
फ़रीदाः 'दोस्त की मौत हो गई और मेरा घर तबाह हो गया। ' आंसुओं के बीच वो कहती हैं, 'मेरा भाई घायल हो गया। ये दुख मेरे दिल को खा रहा है। हम ठीक नहीं है। हम पूरी तरह टूट चुके हैं।'
 
ख़ालिदः 'दिन कुछ समान्य था लेकिन जब इंटरनेट बहाल हुआ, तब हमें ख़बरें मिलनी शुरू हुईं। पूरे घर के घर और ब्लॉक के ब्लॉक तबाह हो गए थे। पूरा परिवार मारा गया। हालात बहुत भयावह हैं। उन्होंने पहले हमें दुनिया से काट दिया और फिर जनसंहार शुरू हुआ।'
 
सोमवार, 30 अक्टूबर
 
इजराइली टैंक ग़ाज़ा सिटी के क़रीब पहुंच रहे हैं और सलाह अल-दिन रोड से साफ़ दिखाई देते हैं। यह उत्तरी ग़ाज़ा से दक्षिणी ग़ाज़ा की ओर जाने वाली मुख्य 'सुरक्षित रोड' है।
 
खालिदः 'मैं नहीं जा रहा हूं। अब हम सोच रहे हैं कि या अल्लाह अगला बम कब गिरेगा कि हम सब मर सकें और शांति पाएं।'
 
ये अंतिम बार था जब हमें खालिद की ओर से संदेश मिला। जबालिया में जहां वो रहते हैं, वहां 31 अक्टूबर को इजराइली हवाई हमले के बाद उनसे हमारा संपर्क टूट गया।
 
फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार इस हमले में 101 लोग मारे गए और 382 लोग घायल हुए।
 
इजराइल ने कहा कि वो नागरिकों की नहीं बल्कि हमास के एक वरिष्ठ कमांडर को निशाना बना रहे थे।
 
इजराइल का आरोप है कि इस संगठन ने अपने सदस्यों को नागरिक इलाकों में रखा हुआ है। हमास को इजराइल, अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और अन्य कई देशों ने चरमपंथी संगठन घोषित कर रखा है।
 
फ़रीदाः 'मेरे कुछ सपने हैं। मेरे पास परिवार और दोस्तों का एक बड़ा घेरा है। बहुत अच्छी ज़िंदगी है।'
 
'जब हम मरेंगे, किसी को कुछ भी नहीं पता चलेगा कि क्या हो रहा है। कृपया जो कुछ मैं कहती हूं उसे लिखना। मैं दुनिया को अपनी कहानी सुनाना चाहती हूं क्योंकि मैं महज एक संख्या नहीं हूं।'
 
एडमः 'मैं आपको यह पूरी कहानी सुनाना चाहता हूं, ताकि ये दर्ज हो सके, ताकि दुनिया को हमेशा के लिए शर्म महसूस होती रहे कि जो कुछ हम पर घटित हुआ, उसने होने दिया। '
 
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ग़ाज़ा में एक जेनोसाइड (जनसंहार) को रोकने के लिए समय तेज़ी से ख़त्म हो रहा है।
 
पहले 4 हफ़्तों में 10,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे गए जिनमें अधिकांश नागरिक हैं। इनमें 4,000 से अधिक बच्चे शामिल हैं।
 
*ग़ाज़ा में मरने वालों की संख्या हमास शासित स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मुहैया कराए गए हैं।
 
(हाया अल बादरनेह और मैरी ओ रेली की अतिरिक्त रिपोर्टिंग)

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