Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

इसराइल में नेतन्याहू दौर ख़ात्मे की ओर, ईरान और ग़ज़ा का वास्ता दे सरकार बचाने की कोशिश

हमें फॉलो करें इसराइल में नेतन्याहू दौर ख़ात्मे की ओर, ईरान और ग़ज़ा का वास्ता दे सरकार बचाने की कोशिश

BBC Hindi

, सोमवार, 31 मई 2021 (13:03 IST)
इसराइल में प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। वहां एक नई गठबंधन सरकार बनने की संभावना और मज़बूत हो गई है जिसके बाद नेतन्याहू ने चेतावनी दी है कि ऐसा हुआ तो यह 'देश की सुरक्षा के लिए ख़तरनाक' होगा। उन्होंने यह चेतावनी एक महत्वपूर्ण दक्षिणपंथी नेता नेफ़्टाली बेनेट के प्रस्तावित गठबंधन में शामिल होने के ऐलान के बाद दी है।
 
बेनेट को किंगमेकर माना जाता है। उनकी यामिना पार्टी के गठबंधन में शामिल होने से नेतन्याहू की 12 साल से जारी सत्ता का अंत हो सकता है।
 
71 वर्षीय नेतन्याहू इसराइल में सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वाले नेता हैं और इसराइल की राजनीति में एक पूरे दौर में उनका दबदबा रहा है।
 
मगर रिश्वत खोरी और धांधली के आरोपों का सामना कर रहे नेतन्याहू की लिकुड पार्टी मार्च में हुए आम चुनाव में बहुमत नहीं जुटा पाई और चुनाव के बाद भी वो सहयोगियों का समर्थन नहीं हासिल कर सके।
 
दो साल में चार बार चुनाव, फिर भी स्थिर सरकार नहीं
 
इसराइल में पिछले 2 सालों से लगातार राजनीतिक अस्थिरता बनी है और 2 साल में चार बार चुनाव हो चुके हैं। इसके बावजूद वहां स्थिर सरकार नहीं बन पाई है और न ही नेतन्याहू बहुमत साबित कर पाए हैं।
 
अभी वहां एक गठबंधन सरकार बनाने की कोशिश हो रही है। नेतन्याहू के बहुमत साबित नहीं करने के बाद चुनाव में दूसरे नंबर पर रही पार्टी येश एतिड को सरकार बनाने का मौक़ा दिया गया है।
 
मध्यमार्गी पार्टी के नेता और पूर्व वित्तमंत्री येर लेपिड को बुधवार 2 जून तक बहुमत साबित करना है।
 
नेतन्याहू की चेतावनी: वामपंथी सरकार न बनाएं
 
इसराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने नेफ़्टाली बेनेट के विपक्षी गठबंधन में जाने के ऐलान के कुछ ही समय बाद गठबंधन सरकार बनाने को लेकर चेतावनी देते हुए कहा कि इससे इसराइल की 'सुरक्षा पर ख़तरा' होगा।
 
नेतन्याहू ने कहा, 'वामपंथी सरकार मत बनाएं। ऐसी कोई भी सरकार इसराइल की सुरक्षा और भविष्य के लिए ख़तरा होगी।'
 
उन्होंने कहा, 'वो इसराइल की रक्षा के लिए क्या करेंगे? हम हमारे दुश्मनों से आंखें कैसे मिलाएंगे? वो ईरान में क्या करेंगे, ग़ज़ा में क्या करेंगे? वो वाशिंगटन में क्या कहेंगे?'
 
उन्होंने दक्षिणपंथी यामिना पार्टी के नेता नेफ़्टाली बेनेट पर 'लोगों को गुमराह करने' का आरोप लगाते हुए कहा कि यह 'सदी का सबसे बड़ा छल' है।
 
नेतन्याहू का इशारा बेनेट के पिछले बयानों की ओर था जिसमें उन्होंने लोगों से वादा किया था कि वो लेपिड के साथ जुड़ी ताक़तों के साथ नहीं जाएंगे।
 
नेतन्याहू की पार्टी ने शनिवार को बेनेट और एक अन्य पार्टी के सामने बारी-बारी से प्रधानमंत्री बनने का एक प्रस्ताव रखा था मगर वो नामंज़ूर हो गया। इसके बाद उन्होंने रविवार को दोबारा यह प्रस्ताव रखा।
 
इसराइली मीडिया में ख़बर आई थी कि इसके तहत पहले नेतन्याहू की जगह बेनेट को और उनके बाद लेपिड को प्रधानमंत्री बनाने की पेशकश की गई थी।
 
विपक्ष की सरकार बनाने की कोशिश
 
नेतन्याहू के बहुमत नहीं साबित करने के बाद येर लेपिड को सरकार बनाने के लिए 28 दिनों का समय दिया गया था लेकिन ग़ज़ा में संघर्ष की वजह से इसपर असर पड़ा। उनकी एक संभावित सहयोगी अरब इस्लामिस्ट राम पार्टी ने गठबंधन के लिए जारी बातचीत से ख़ुद को अलग कर लिया।
 
फ़लस्तीनी चरमपंथी गुट हमास और इसराइल के बीच 11 दिनों तक चली लड़ाई के दौरान इसराइल के भीतर भी यहूदियों और वहां बसे अरबों के बीच संघर्ष हुआ था।
 
इसराइल में आनुपातिक प्रतिनिधित्व की चुनावी प्रक्रिया की वजह से किसी एक पार्टी के लिए चुनाव में बहुमत जुटाना मुश्किल होता है।ऐसे में छोटे दलों की अहमियत बढ़ जाती है जिनकी बदौलत बड़ी पार्टियां सरकार बनाने के आंकड़े को हासिल कर पाती हैं।
 
जैसे अभी 120 सीटों वाली इसराइली संसद में नेफ़्टाली बेनेट की पार्टी के केवल छह सांसद हैं मगर विपक्ष को स्पष्ट बहुमत दिलाने में वो अहम भूमिका निभा सकते हैं।
 
बेनेट ने अपनी पार्टी की एक बैठक के बाद कहा, 'नेतन्याहू एक दक्षिणपंथी सरकार बनाने की कोशिश नहीं कर रहे क्योंकि उन्हें पता है कि ऐसा नहीं हो सकता।'
 
उन्होंने कहा,'मैं चाहता हूं कि मैं अपने दोस्त येर लेपिड के साथ एक राष्ट्रीय सरकार बनाने के लिए प्रयास करूं ताकि हम दोनों मिलकर देश को वापस सही रास्ते पर लौटा सकें।'
 
बेनेट ने कहा कि यह फ़ैसला इसलिए ज़रूरी है ताकि देश में 2 साल के भीतर पांचवां चुनाव करवाने की नौबत न आए।
 
इसराइल में नए गठबंठन में दक्षिणपंथी, वामपंथी और मध्यमार्गी पार्टियां साथ आ जाएंगी। इन सभी दलों में राजनीतिक तौर पर बहुत कम समानता है मगर इन सबका मक़सद नेतन्याहू के शासन का अंत करना है।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मायावती और बहुजन समाज पार्टी इन दिनों उत्तरप्रदेश में कितनी सक्रिय हैं?