- समीरात्मज मिश्र (ग़ाज़ियाबाद से)
'सात साल की बच्ची से कोई इतनी दरिंदगी कैसे कर सकता है?'
उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद ज़िले में मुरादनगर कस्बे के बीचों-बीच एक मोहल्ला है कोर्ट। मोहल्ले के भीतर एक मस्जिद है और मस्जिद के सामने पतली-सी गली के आखिरी कोने में वो घर है जहां लोग अपनी सात साल की मासूम बच्ची की मौत का ग़म भुला नहीं पा रहे हैं। घर बहुत छोटा है और घर का दरवाज़ा भी उसी के मुताबिक। बच्ची की मां को दो लोग सहारा देकर दरवाज़े से बाहर लाते हैं। बड़ी मुश्किल से वो ये बता पाती हैं कि उनकी बेटी के साथ क्या हुआ?
वो कहती हैं, "शनिवार को सभी बच्चे खेल रहे थे। और बच्चे तो घर आ गए, बेटी नहीं आई। चार साल के अपने बेटे से जब मैंने पूछा तो वो मस्जिद की ओर इशारा करके बोला कि उधर गई है। उसके बाद से हम उसे ढूंढ़ते रहे। रविवार को सुबह मस्जिद में मैं दुआ कर रही थी, मुझे क्या पता था कि मेरी बच्ची इसी मस्जिद की छत पर पड़ी है।"
मस्जिद की छत पर मिला शव
बताते-बताते वो रो पड़ती हैं। छह साल की इनकी बच्ची का शव रविवार को इनके घर से क़रीब सौ मीटर दूर स्थित मस्जिद की छत पर मिला था। बच्ची अपने दो भाइयों और एक बहन के साथ पास में ही खेल रही थी। अगले दिन बच्ची जिस हालत में मस्जिद की छत पर मिली उसे सुनकर कोई भी सहम जाएगा।
बच्ची की मां बताती हैं, "उसकी उंगलियों को तोड़ दिया गया था, चेहरे पर और शरीर पर इतना मारा गया था कि सूज आया था, बाल नोंच लिए गए थे।" इससे ज़्यादा बच्ची की मां कुछ और बता पाने की स्थिति में नहीं रहतीं और बिलखने लगती हैं। पास खड़ी एक महिला ने बताया कि सुबह मस्जिद की छत पर सुलेमान नाम का एक लड़का बंदर को भगाने के लिए चढ़ा तो बच्ची का क्षत-विक्षत शव देखकर हैरान रह गया। सुलेमान बदहवास भागता हुआ नीचे आया और शव मिलने की घटना की जानकारी दी।
रेप और मारपीट
लड़की के लापता होने की रिपोर्ट पहले ही दर्ज कराई जा चुकी थी, इसलिए शव की सूचना मिलते ही पुलिस भी तुरंत वहां पहुंच गई। शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया जिसमें पता चला कि बच्ची के साथ न सिर्फ़ रेप किया गया है बल्कि उसे बुरी तरह से पीटा भी गया है और अंत में गला दबाकर उसे मार दिया गया।
बच्ची के पिता मुरादनगर में ही एक मदरसा चलाते हैं। सोमवार को दोपहर की नमाज़ पढ़कर घर आए ही थे। ऐसा कौन कर सकता है, इस सवाल पर कहने लगे कि 'पड़ोस में ही रहने वाले स्थानीय सभासद एजाज़ से चुनावी रंज़िश थी। एजाज़ पर इन लोगों को शक़ है कि घटना में या तो वे ख़ुद शामिल हैं या फिर उनकी जानकारी में सब कुछ हुआ है।
एजाज़ का घर मस्जिद के ठीक सामने है और मृत बच्ची के घर से ये दूरी बेहद कम है। ऐसी स्थिति में ये कल्पना में भी नामुमकिन सा लगता है कि घरों की इतनी नज़दीकियों के बावजूद दिलों की दूरी इतनी ज़्यादा कैसे हो सकती है?
पड़ोसी पर शक़
बच्ची के पिता बताते हैं, "निगम चुनाव में मैंने उनका साथ नहीं दिया था, तभी से वो दुश्मनी मानते हैं। तीन महीने पहले मेरे एक चचेरे भाई की उन लोगों ने बुरी तरह से पिटाई की थी जिसकी शिकायत भी हम लोगों ने पुलिस में की थी। लेकिन मोहल्ले वालों ने पंचायत करके सुलह करा दिया था। मेरी बच्ची के साथ भी जो कुछ हुआ है, उसके पीछे वही हैं। इसीलिए हमने एफ़आईआर में उन्हें नामज़द किया है।"
बच्ची की मां बताती हैं कि आगामी तेरह दिसंबर को उसका जन्मदिन मनाने की तैयारी कर रही थीं और बड़ा-सा केक बनवाने की योजना बना रखी थी। उनके इतना बताते ही वहां मौजूद सभी लोग जैसे एक साथ रो पड़े। खुद को बच्ची की मौसी बताने वाली एक बुज़ुर्ग महिला कहने लगीं कि 'वो इतनी प्यारी थी कि पूरा मोहल्ला उसे प्यार करता था।'
सोमवार को दोपहर के वक़्त मस्जिद में मोहल्ले के दर्जनों लोग एक साथ जब नमाज़ पढ़कर निकलते हैं, उसी वक़्त फ़ोरेंसिक टीम घटना से जुड़े तमाम तरह के साक्ष्य जुटा रही थी।
इतनी भीड़ के बावजूद गली में सन्नाटा पसरा हुआ था। अभियुक्त सभासद के घर पर ताला लटका हुआ था और उनके परिवार के लोग कहां हैं, ये किसी को पता नहीं। स्थानीय लोगों में घटना को लेकर काफी रोष है। मोहल्ले में तमाम लोग ऐसे भी मिले जो बच्ची की बेरहमी से हुई हत्या से तो हैरान हैं ही, सभासद एजाज़ बेग का इसमें नाम आने पर भी उन्हें कम हैरानी नहीं है।
अकरम शेख नाम के एक बुज़ुर्ग कहते हैं, "हमारी तो समझ में ही नहीं आ रहा है कि ऐसा किसने किया और क्यों किया। एजाज़ से दुश्मनी भले ही थी, लेकिन एजाज़ ऐसा कर सकते हैं, ये तो हम सोच भी नहीं पा रहे हैं।"
ग़ाज़ियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने बीबीसी को बताया कि चार लोगों के ख़िलाफ़ नामज़द रिपोर्ट लिखी गई है और जल्द ही दोषियों की गिरफ़्तारी हो जाएगी। उन्होंने कहा, "सभासद एजाज़ बेग के अलावा तीन अन्य लोगों के ख़िलाफ़ पीड़ित परिवार के लोगों की तहरीर पर एफ़आईआर लिखी गई है। हमारी टीमें संभावित जगहों पर दबिश दे रही हैं और जल्दी ही अभियुक्त हमारी पकड़ में होंगे।"
वैभव कृष्ण बताते हैं कि सभासद एजाज़ का तो कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है, लेकिन एक अभियुक्त के ख़िलाफ़ कुछ और मामले भी चल रहे हैं। उनका कहना था कि पूरे मामले की जांच की जा रही है, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि लड़की के साथ जो कुछ भी हुआ है, वो यहां नहीं हुआ बल्कि उसे मारकर मस्जिद की छत पर फेंक दिया गया।
सख्स सज़ा की मांग
कोर्ट मोहल्ले के लोगों और पीड़ित परिवार का बार-बार यही कहना था कि बच्ची को इंसाफ़ मिलना चाहिए। बच्ची की मां कहती हैं, "जिन दरिंदों ने इस घटना को अंजाम दिया है, उन्हें इतनी कड़ी सज़ा मिले कि कोई ऐसा अपराध करने की भी न सोचे।"
मोहल्ले के लोगों को जितनी हैरानी बच्ची के साथ हुई निर्ममता से है, उससे कहीं ज़्यादा इस बात पर भी है कि इतना सब करने के बाद उसे मस्जिद की छत पर लाने की हिम्मत कोई कैसे जुटा सकता है?