Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

कोरोना वायरस: केरल ने कैसे लगाई लगाम

Advertiesment
हमें फॉलो करें Corona Virus
, बुधवार, 15 अप्रैल 2020 (13:59 IST)
इमरान क़ुरैशी, बीबीसी हिंदी के लिए
केरल के एक गांव में दो युवा सवारियां सरकारी बस से उतरीं। यहां पर उन्हें आगे जाने वाली सवारियां नहीं मिलीं बल्कि उन्हें तीन मध्य-आयु वर्ग के लोग मिले।
 
इनमें सबसे ज्यादा उम्र वाले शख़्स ने एक बड़े बेसिन वाले अस्थायी तौर पर बनाए गए नल स्टैंड की ओर विनम्रता से इशारा किया। इसका इस्तेमाल आमतौर पर बड़ी शादियों के दौरान मेहमानों को डिनर के बाद हाथ धोने के लिए करने में होता है।
 
ये दोनों युवा, जिसमें से एक महिला और एक पुरुष था, तुरंत वहां गए और अपने हाथ धोए। इसके बाद वे अपने ठिकानों की ओर चल पड़े। वहां खड़े तीनों पुरुषों के चेहरे पर मुस्कुराहट थी।
 
यह मौन गतिविधि एक वीडियो में कैप्चर हुई थी। यह वीडियो वायरल हो गया। देश के दक्षिणी हिस्से के राज्य केरल में कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ी जा रही जंग का यह महज एक छोटा सा हिस्सा भर है।
 
क्या है केरल की सामाजिक पूंजी?
इन मध्य-आयु वर्ग वाले लोग पंचायत सदस्य जान पड़ते हैं। इस लड़ाई में उनका साथ जूनियर पब्लिक हेल्थ नर्स (जेपीएचएन) और जूनियर हेल्थ इंस्पेक्टर्स (जेएचआई) जैसे हेल्थकेयर वर्कर्स भी दे रहे हैं।
 
ज़मीनी स्तर पर मौजूद हेल्थकेयर वर्कर्स और लोगों के प्रतिनिधियों का यह गठजोड़ ही राज्य की सामाजिक पूंजी साबित हो रहा है। इसके ज़रिए केरल कोविड-19 के ग्राफ़ को ऊपर बढ़ने से रोकने और कर्व को फ्लैट करने यानी नए मामलों में बढ़ोतरी पर बड़े स्तर पर लगाम लगाने में सफल रहा है।
 
यह सामाजिक पूंजी केरल के पब्लिक हेल्थ सिस्टम की रीढ़ साबित हुई है। इसके चलते ही केरल कोरोना से प्रभावी तौर पर निबटने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
 
चीन के वुहान से भारत के पहले तीन मरीज आने के तीन महीने बाद भी केरल में कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या केवल दो है। ये स्टूडेंट्स राज्य में 29 जनवरी को आए थे।
 
एच1एन1, निपाह और पिछले साल आई भयावह बाढ़ के अनुभव के साथ राज्य इस ख़तरनाक वायरस से दो-दो हाथ करने को तैयार था।
 
हेल्थकेयर वर्कर्स और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की टीमें राज्य के हर गांव के घर-घर तक पहुंचीं और लोगों को इस वायरस के बारे में समझाया।
 
इनके पास इस तरह की मुहिम चलाने का पहले से एक्सपीरियंस है। ये राज्य में आई बाढ़ के बाद कुओं को क्लोरीनेट करने और लेप्टोस्पिरोसिस को रोकने के लिए लोगों में जागरूकता फैला चुके थे।
 
इतने सारे लोगों को ट्रेनिंग कैसे दी गई?
 
केरल की हेल्थ सर्विसेज के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर एन श्रीधर ने बीबीसी हिंदी को बताया, ''यह ट्रेनिंग प्रक्रिया दो-तीन दिन से ज़्यादा नहीं चलती है। एक्सपर्ट्स के तैयार किए गए स्टडी मैटेरियल के साथ ये लोग दूसरे लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए चले जाते हैं।''
 
डॉ. श्रीधर ने कहा, ''ग्रामीण इलाक़ों में हमारे लिंक वर्कर्स या आशा (एक्रेडिटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट) हैं। शहरी इलाक़ों में ऊषा (अर्बन सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट) वर्कर्स हैं। इन्हें बता दिया जाता है कि लोगों को कैसे समझाना है। हर आशा क़रीब 1,000 लोगों की इंचार्ज होती है।''
 
इनके साथ जूनियर पब्लिक हेल्थ नर्स (जेपीएचएन) भी होती हैं जो कि 10,000 लोगों की आबादी की इंचार्ज होती हैं। इनके ऊपर एक जूनियर हेल्थ इंस्पेक्टर होता है जो 15,000 लोगों के लिए उत्तरदायी होता है।
 
इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक न्याय विभाग के बीच एक लिंक आंगनवाड़ी वर्कर्स का भी होता है। एक आंगनवाड़ी वर्कर 1,000 लोगों की इंचार्ज होती है।
 
डॉ. श्रीधर ने कहा, "संदेश मूलरूप में हेल्थकेयर वर्कर्स द्वारा दिए जाते हैं। मसलन, मास्क कैसे पहना जाना चाहिए। हम पंचायत प्रतिनिधियों को आने वाली चीज़ों के बारे में अवगत रखते हैं ताकि वे अलर्ट रहें। हेल्थकेयर इंस्पेक्टर और शहरी इलाक़ों में वार्ड मेंबर्स इन उपकेंद्रों का हिस्सा होते हैं।"
 
डॉ. श्रीधर के मुताबिक, "हेल्थकेयर वर्कर्स और पंचायत मेंबरों की पूरी फ़ौज को अहम जानकारियों से लैस किया जाता है। इनमें वुहान से एयरपोर्ट पर पहले पैसेंजर के आते ही क्या किया गया था और क्या किया जाना चाहिए जैसी चीज़ें शामिल होती हैं।"
 
राज्य में एक कम्युनिटी कॉल सेंटर भी है जिसका नाम दिशा है। इसमें एक टोल फ्री नंबर है। यह सेंटर ज़िला मेडिकल ऑफ़िसर के यहां होने वाली शिकायतों या इन्क्वायरीज़ के बारे में बताता है।
 
डॉ. श्रीधर ने केहा, "अगर कोई क्वारंटीन सिस्टम को तोड़ता है तो पंचायत वर्कर और हेल्थकेयर वर्कर उन्हें ढूंढ लेते हैं और वापस लाते हैं।"
 
वुहान से लौटने वाले छात्रों के पहले बैच और उनके प्राइमरी और सेकेंडरी संपर्कों को क्वारंटीन करने के बाद केरल में तब तक स्थितियां ठीक थीं जब तक कि एक कपल के एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग का उल्लंघन करने और एक निजी अस्पताल में एक शख्स के बीमार होने की खबर सामने नहीं आ गई।
 
कपल अपने बेटे के साथ इटली से लौटे थे। इन्हें इटली फैमिली कहा गया। मध्य-आयु वर्ग के इस कपल और उनकी बेटी और दामाद सभी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए और प्रशासन को इस मामले में काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी।
 
लेकिन, उसी वक्त हेल्थ वर्कर्स और पुलिस समेत पूरी मशीनरी ने कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करने, स्क्रीनिंग और टेस्ट करना शुरू कर दिया। क़रीब 2,000 लोगों की टेस्टिंग हुई और कुछ हज़ार लोगों को होम क्वारंटीन में डाल दिया गया।
 
कपल के पेरेंट्स जो 93 और 88 साल के थे, उन्हें कोट्टायम के सरकारी अस्पताल से दो हफ्ते के इलाज के बाद घर भेज दिया गया।
 
केरल के लिए क्या गेम चेंजर रहा?
डॉक्टर इकबाल ने बीबीसी हिंदी को बताया, "हमारे लिए गेम चेंजर ग्रासरूट लेवल पर मौजूद हेल्थकेयर वर्कर हैं। हमारे पास बिल्कुल ज़मीनी स्तर पर सामाजिक पूंजी मौजूद है जो केरल को दूसरे राज्यों से अलग बनाती है।"
 
डॉ. इकबाल ने कहा, "दरअसल, हमारे पास सामाजिक पूंजी के साथ एक एक्सपर्ट सामाजिक पूंजी भी है। यह पूंजी हमारे युवा उत्साही डॉक्टरों की है, इनसे मैंने भी पब्लिक हेल्थ और वायरलॉजी के बारे में काफ़ी कुछ सीखा है।"
 
अलग-अलग स्पेशियलिटीज से लिए गए नौ डॉक्टरों की टीम के कॉनवल्सेंट प्लाज़्मा थेरेपी के इस्तेमाल से कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज करने पर लिखे गए पेपर को इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने एप्रूव किया है।
 
डॉ. इकबाल केरल के कोरोना से प्रभावी तौर पर निबटने के पीछे 'ग्रासरूट वर्कर्स की मदद से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और कंटेनमेंट स्ट्रैटेजी' को वजह मानते हैं।
 
वह कहते हैं, "हेल्थकेयर के विकेंद्रीकरण की हमारी पॉलिसी से हमें मदद मिली है। इसके ज़रिए हमने स्वास्थ्य सेवाओं को प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स से ज़िला अस्पतालों और स्थानीय निकायों तक पहुंचाया है।"
 
डॉ. इकबाल के मुताबिक, "हमें जोख़िम वाले लोगों को सामान्य लोगों के संपर्क से दूर रखना है। हमने दूसरी बीमारियों से ग्रस्त 60 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों को अलग किया है। इनकी संख्या 71।6 लाख है। हमने उन्हें कहा है कि वे टेलीमेडिसिन के जरिए अपने डॉक्टरों से संपर्क करें। इसके अलावा उऩकी मदद मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के बनाए गए वॉलंटियर कॉर्प्स भी कर रहे हैं।"
 
कोविड-19 के कंट्रोल के लिए एक्सपर्ट्स मेडिकल कमेटी की पिछले डेढ़ महीने से हर रोज़ मीटिंग होती है ताकि मेडिकल और पब्लिक हेल्थ मसलों पर चर्चा हो सके।
 
डॉ. इकबाल ने कहा, "मैं रोज़ाना सुबह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए मुख्यमंत्री को सीधे रिपोर्ट करता हूं और शाम 4 बजे एक रिपोर्ट सबमिट करता हूं।"
 
डॉ. इकबाल मानते हैं कि केरल इस बात से भाग्यशाली भी रहा है कि कोरोना से संक्रमित पाए गए लोगों की औसत आयु राज्य में 37।2 साल है। 80 साल से ऊपर वाले ऐसे केवल दो शख्स रहे और 60 साल की उम्र वालों की संख्या केवल नौ है।
 
स्वास्थ्य जागरूकता
एक अंतरराष्ट्रीय हेल्थ एजेंसी के वॉशिंगटन स्थित कंसल्टेंट और डब्ल्यूएचओ में काम कर चुके डॉ एसएस लाल ने कहा, "1990 के दशक में जब मैं पब्लिक हेल्थ सिस्टम से जुड़ा था और प्राइमरी हेल्थ सेंटर को मैंने रिपोर्ट किया था, उस वक्त हर कोई 12।30 से 1 बजे तक घर जाने की तैयारी में थे। तो मैंने पूछा कि यह सब कैसे होगा। मुझे नर्सिंग स्टाफ ने बताया कि पीएचसी में कोई वॉशरूम नहीं है और सबको इसके लिए घर जाना होता है। ऐसे में पीएचसी को बंद कर देते हैं।"
 
डॉ. लाल ने पंचायत मेंबर को बुलाया और पीएचसी के अच्छे तरीक़े से काम करने के बाबत चर्चा की। शुरुआत में हेल्थकेयर वर्कर और पंचायत मेंबर के बीच तनातनी रही, लेकिन जल्द ही यह मसला सुलझ गया। इसके बाद यही प्राइमरी हेल्थ सेंटर (पीएचसी) पब्लिक हेल्थ सिस्टम की सबसे अहम कड़ी बन गया।
 
अच्छे स्वास्थ्य की संस्कृति को न केवल हाल के दशकों में बढ़ावा दिया गया है बल्कि ऐसा रानी गौरी लक्ष्मी बाई के वक्त भी हुआ जिन्होंने त्रावणकोर पर शासन किया था।
 
वह 1813 में सार्वजनिक रूप से लोगों को स्मॉल पॉक्स के वैक्सीनेशन के लिए समझाने के लिए मैदान में उतर आई थीं।
 
डॉ लाल ने बताया, "जब 1957 में पहली सरकार बनी तो ईएमए नंबूदरीपाद सरकार की मिनिस्ट्री में एक डॉक्टर को हेल्थ मिनिस्टर के तौर पर शामिल किया गया था।"
 
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज के दिग्गज वायरोलॉजिस्ट प्रोफ़ेसर वी रवि ने बीबीसी हिंदी को बताया, "कासरगोड में किया गया काम शानदार है। मार्च के आख़िरी हफ्ते में वहां हर रोज़ 30-40 लोग पॉजिटिव निकल रहे थे। इन्हें केवल क्वारंटीन किया गया और इनके हर प्राइमरी और सेकेंडरी कॉन्टैक्ट के रैपिड टेस्ट किए गए और इस पर नियंत्रण पा लिया गया। इनकी रैपिड टेस्टिंग की स्ट्रैटेजी सही साबित हुई।"
 

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कोरोना वायरस : '1930 की महामंदी' के बाद 'ऐतिहासिक संकट' में दुनिया की अर्थव्यवस्था