Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

2000 रुपए के नोट बंद होने से बैंकों और बाज़ार पर पड़ेगा ये असर- प्रेस रिव्यू

हमें फॉलो करें Money

BBC Hindi

, सोमवार, 22 मई 2023 (10:13 IST)
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की ओर से 2000 रुपए के नोटों को चलन से बाहर करने का फ़ैसला बैंकों में जमा राशि और मुद्रा बाज़ार में नक़दी को बड़े स्तर पर बढ़ा देगा। अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिन्दू' ने एक रिसर्च के हवाले से इस रिपोर्ट को प्रमुखता से छापा है। प्रेस रिव्यू में सबसे पहले पढ़िए, 2000 रुपए के नोटों के चलन से बाहर होने से बैंकों पर होने वाले असर से जुड़ी इस ख़बर को।
 
अख़बार ने रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि अगर बाज़ार में मौजूद कुल 2000 रुपए के नोटों का एक तिहाई भी बैंकों में वापस जाता है तो इससे उसकी जमा राशि और बाज़ार में नक़दी बढ़कर 40 हज़ार करोड़ रुपए से लेकर 1.1 लाख करोड़ रुपए के बीच पहुंच सकती है।
 
इतना ही नहीं, रिपोर्ट में इस तरफ़ भी इशारा किया गया है कि अघोषित आय पर टैक्स से बचने के लिए जितने लोगों ने 2000 रुपए के नोटों की जमाखोरी की, उन्हें अब गहने ख़रीदने और रियल एस्टेट सेक्टर में लगा दिया जाएगा। आरबीआई ने ये कहा है कि फ़िलहाल ये गुलाबी नोट लीगल टेंडर यानी वैध रहेंगे लेकिन लोगों को 30 सितंबर तक इन्हें बैंकों में वापस जमा करना है।
 
रिपोर्ट छापने वाली 'क्वॉन्टइको रिसर्च' ने एक नोट में कहा है कि इस डेडलाइन के बाद इन नोटों का क्या होगा, इस पर कोई स्पष्ट स्थिति नहीं है। हालांकि अगले 4 महीनों में जिस तेज़ी से ये नोट बैंकों में जमा होंगे, वो एक बार फिर से 2016 में हुई नोटबंदी की यादों को ताज़ा कर सकते हैं।
 
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि देश में फ़िलहाल 3.7 लाख करोड़ रुपए के मूल्य के 2000 रुपए के नोट हैं। ये सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 1.3 फ़ीसदी और मार्च महीने के आख़िर तक सर्कुलेशन यानी चलन में रही नक़दी का 10.8 फ़ीसदी है। रिसर्च कंपनी ने नोट में कहा है कि अगर ये सारी राशि तय समय में बैंकों तक वापस लौटती है तो इससे बैंकों के जमा आधार में बड़ी बढ़ोतरी होगी।
 
शुभदा राव की अगुवाई वाली क्वॉन्टइको की अर्थशास्त्रियों की टीम ने इस ओर भी इशारा किया कि चूंकि 2000 रुपए के नोट अमूमन लेन-देन में इस्तेमाल नहीं होते थे। हालांकि लोगों ने एहतियातन या फिर टैक्स से बचने के लिए इसकी जमाखोरी की। दोनों ही मामलों में इसके चलन से बाहर होने की वजह से बैंकों की जमा राशि बढ़ना अस्थायी साबित होगा, क्योंकि लोग आख़िरकार छोटे नोटों का रुख करने लगेंगे।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि अघोषित आय की वजह से रियल एस्टेट और सोने जैसी महंगी चीज़ों की मांग बढ़ने लगेगी, जैसा 2016 में हुई नोटबंदी के बाद भी देखा गया था। आख़िर में ये रिपोर्ट कहती है कि अगर ये माना जाए कि जमाखोरी वाली राशि का 10 से 30 फ़ीसदी हिस्सा वापस चलन में आ जाए तो इससे बैंकों के जमा आधार पर स्थायी असर होगा और बाज़ार में नक़दी भी 400 से 1100 अरब के बीच रहेगी।
 
इस बीच रविवार को भारतीय स्टेट बैंक ने कहा कि ग्राहकों को 2000 के नोट बदलने के लिए किसी आवेदन या आईडी प्रूफ़ की जरूरत नहीं होगी। हालांकि ग्राहक एक बार में 2000 के 10 नोट ही बदल सकते हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक ने शुक्रवार को 2000 रुपए के नोटों को सर्कुलेशन से बाहर करने का एलान किया था।
 
अपने बयान में आरबीआई ने कहा था कि ये नोट वैध रहेंगे और 30 सितंबर 2023 तक इन्हें बैंकों में जमा कराया जा सकता है। नोटों की बदली के लिए सभी बैंकों को निर्देश भेज दिए गए हैं। स्टेट बैंक ने अपने सभी लोकल हेड कार्यालयों के चीफ जनरल मैनेजर से कहा है कि बिना किसी स्लीप के 2,000 के 10 नोट ग्राहक बदल सकते हैं।
 
आरबीआई ने अपने ख़ाते में 2000 के नोट जमा करने के लिए अभी सीमा की घोषणा नहीं की है। नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने की घोषणा की थी। इसके बाद सरकार गुलाबी रंग के 2000 रुपए का नया बड़ा नोट लेकर आई थी।
 
जम्मू-कश्मीर में आज से जी-20 की बैठक, एन मौक़े पर हुए ये बदलाव
 
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से जी-20 की बैठक में आ रहे प्रतिनिधियों के कार्यक्रम से गुलमर्ग और दाचीगाम के दौरे को हटा दिया है। इसे केंद्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर में सबकुछ सामान्य दिखाने की कवायद के लिए झटका माना जा रहा है।
 
अंग्रेज़ी अख़बार 'द टेलीग्राफ़' की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीनगर में जी-20 बैठक के मद्देनज़र सभी दुकानदारों को पुलिस की ओर से फ़ोन कर के दुकानें खोले रखने को कहा जा रहा है ताकि स्थिति सामान्य नज़र आए। इस बीच जम्मू और कश्मीर को हाई अलर्ट पर रखा गया है। साल 2019 में अनु्च्छेद 370 हटने के बाद से केंद्र शासित प्रदेश में पहली बार इतने व्यापक स्तर पर कोई कार्यक्रम हो रहा है।
 
सूत्रों के हवाले से अख़बार ने बताया है कि अलग-अलग देशों के करीब 60 प्रतिनिधियों को अब साइटसीइंग के लिए गुलमर्ग और दाचीगाम नहीं ले जाया जाएगा। माना जा रहा है कि ये दौरा केवल श्रीनगर तक ही सीमित रखा जाएगा। श्रीनगर शहर के मध्य से गुलमर्ग की दूरी केवल 55 किलोमीटर है। वहीं, दाचीगाम नेशनल पार्क भी श्रीनगर के ही बाहरी इलाके में पड़ता है।
 
हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि एन मौके पर हुए ये बदलाव बैठक में आने वाले प्रतिनिधियों के व्यस्त कार्यक्रम की वजह से किए गए हैं। लेकिन सूत्रों के हवाले से अख़बार ने दावा किया है कि ये बदलाव सुरक्षा एजेंसियों की सलाह के बाद हुए हैं।
 
सूत्रों के हवावाले से ही अख़बार ने लिखा है कि सुरक्षा एजेंसियों को ऐसी जानकारी मिली है कि चरमपंथी जी-20 की बैठक के दौरान दो जगहों पर हमला कर सकते हैं। वहीं एक अन्य सूत्र ने अख़बार से बातचीत में इस बदलाव को हैरान करने वाला बताया है। इसकी वजह ये बताई गई है कि गुलमर्ग में विदेशी प्रतिनिधियों के स्वागत की तैयारी पूरी हो गई थी। यहां तक कि श्रीनगर से गुलमर्ग जाने वाली सड़कों की मरम्मत भी की गई थी।
 
पीएलएफ़आई सुप्रीमो दिनेश गोप को एनआईए ने गिरफ़्तार किया
 
झारखंड के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीपल्स लिबरेशन फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएलएफ़आई) के सुप्रीमो दिनेश गोप को एनआईए ने रविवार को गिरफ़्तार किया। अंग्रेज़ी अख़बार 'द टाइम्स ऑफ़ इंडिया' की ख़बर के अनुसार गोप उर्फ़ कुलदीप यादव उर्फ़ बड़कू को दिल्ली से गिरफ़्तार किया गया और कड़ी सुरक्षा के बीच शाम पाँच बजे रांची ले जाया गया।
 
एनआईए के हवाले से अख़बार ने लिखा है कि गोप 102 से अधिक आपराधिक मामलों में वांछित थे। ये सभी केस झारखंड, बिहार और ओडिशा में दर्ज किए गए थे। हालांकि झारखंड पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अख़बार को बताया कि गोप पर अकेले झारखंड में ही 150 से अधिक केस दर्ज हैं। ये मामले मुख्य तौर पर खूंटी, रांची, चायबासा और सिमदेगा ज़िलों में दर्ज कराए गए हैं। इनमें हत्या, अपहरण, धमकी, उगाही और पीएलएफ़आई के लिए फंड जुटाने जैसे केस शामिल हैं।
 
दिनेश गोप बीते दो दशक से फ़रार चल रहे थे। झारखंड सरकार ने गोप पर 25 लाख रुपए की इनामी राशि का एलान किया हुआ था। वहीं, एनआईए ने भी गोप के सिर पर 5 लाख रुपए इनाम की घोषणा की थी। एनआईए ने 14 बैंक खाते और दो गाड़ियों सहित कैश और कुछ अचल संपत्ति को भी कुर्क किया है।
 
एनआईए के अनुसार पीएलएफ़आई बेरोज़गार युवाओं को बाइक, मोबाइल फ़ोन और पैसे देकर उन्हें भर्ती करता है। इसके बाद ये संगठन युवाओं को दिशाभ्रमित कर के उन्हें घातक हथियार देकर चरमपंथी गतिविधियों में शामिल करता है।
 
अख़बार के अनुसार एक समय में गोप ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (माओवादी) भी ज्वाइन की थी लेकिन वहां वरिष्ठ नेताओं के साथ वैचारिक मतभेद और संगठन में जाति आधारित वर्चस्व की लड़ाई के कारण वो इससे अलग हो गए।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रूस पर लगे प्रतिबंधों से कजाख कारोबारियों को फायदा