-रिपोर्ट: अनातोलिज वाइजकॉफ
sanctions on russia: रूस पर लगे प्रतिबंध, पड़ोसी देश कजाखस्तान के लोगों और कंपनियों के लिए मानो 'आपदा में अवसर' साबित हो रहे हों। अमेरिका दबाव के बावजूद छोटे व्यापारी प्रतिबंधित सामान सीमा के उस पार से ला रहे हैं। कजाखस्तान में विदेशों में बने सामान के आयात और निर्यात की निगरानी के लिए एक नया ऑनलाइन सिस्टम तैयार किया गया है।
ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि कजाख कंपनियां उन सामानों को रूस भेज रही हैं जिन्हें पश्चिमी देशों ने प्रतिबंधित कर दिया है।
रूस पर जी7 के नए प्रतिबंध
कजाख अक झोल (लाइट पाथ) पार्टी के संसदीय दल ने हाल ही में राजधानी अस्ताना में सरकार से उन कंपनियों की पहचान करके उनका नाम बताने को कहा, जो रूस के खिलाफ लगे प्रतिबंधों को दरकिनार करने में शामिल हो सकती हैं।
कजाख सांसदों की जांच में कहा गया है कि कजाखस्तान से रूस को इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों के निर्यात में हुई 22 गुना बढ़ोत्तरी पर अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों को संदेह है। उनका कहना है कि यहां किसी अन्य देश से सामान खरीदकर यानी समानांतर आयात करके फिर उन सामानों को रूस भेजा जा रहा है। साथ ही कुछ सामान, जो यूरोप से हमारे यहां भी नहीं पहुंच सकते, उन्हें आधे रास्ते में ही ग्राहकों तक पहुंचा दिया जा रहा है, जो वास्तव में रूसी कंपनियां ही हैं।
निर्यात नियंत्रणों का सीधा उल्लंघन
अमेरिका में टेररिस्ट फाइनेंसिंग एंड फाइनेंशियल क्राइम्स विभाग की सहायक सचिव एलिजाबेथ रोसेनबर्ग और एक्सपोर्ट एनफोर्समेंट विभाग के सहायक सचिव मैथ्यू एक्सेलरॉड के नेतृत्व में पिछले दिनों अमेरिकी-ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल ने मध्य एशियाई देशों की यात्रा की थी। उसके बाद ही कजाखस्तान के प्रधानमंत्री एलिचान स्माइलोव के सामने ऐसे सवाल रखे गए।
रोसेनबर्ग और एक्सेलरॉड ने 25 अप्रैल को राजधानी अस्ताना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने कजाखस्तान और दूसरे मध्य एशियाई देशों को स्पष्ट कर दिया है कि निर्यात नियंत्रण और अमेरिकी कानूनों के उल्लंघन के लिए सेकंडरी प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
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एक्सेलरॉड ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कजाखस्तान से रूस को होने वाली इन सामानों की आपूर्ति सीधे तौर पर निर्यात नियंत्रण कानूनों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि हम आईफोन्स और वॉशिंग मशीन्स की बात नहीं कर रहे हैं। हम कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी के उन विशेष सामानों की बात कर रहे हैं, जो मिसाइल्स और ड्रोन्स के संचालन और उन्हें चार्ज करने में इस्तेमाल होती हैं, क्योंकि इनका इस्तेमाल रूसी सेना कर रही है, जो यूक्रेन की धरती पर वहां के नागरिकों और सैनिकों को मार रही है।
रूस और कजाखस्तान के बीच तेज होता व्यापार
35 वर्षीय एंद्रेई पिछले 10 साल से नोवोसिबिर्स्क में रह रहे थे। पिछले साल सितंबर में रूस में आंशिक लामबंदी की घोषणा के बाद अपने गृहनगर उस्त-कामेनोगोर्स्क लौट आए, जो पूर्वी कजाखस्तान में है। मीडिया के जरिए उन्हें अमेरिकी-ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के बारे में पता चला और यह भी पता चला कि आयात और निर्यात पर नया ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया जा रहा है। लेकिन उन्हें संदेह है कि 'अमेरिकी धमकियां और प्रतिबंधात्मक उपाय' रूस के साथ हो रहे व्यापार पर कोई प्रभाव डाल पाएंगे।
एंद्रेई कहते हैं कि कजाखस्तान और रूस की 7500 किमी लंबी सीमा को कैसे बंद किया जा सकता है? यह असंभव है! सिर्फ पूर्वी कजाखस्तान में ही हजारों लोग रूसी घटक के अल्तेई गणराज्य के साथ होने वाले व्यापार पर निर्भर हैं और इस इलाके में एक बार फिर वैसे ही कई छोटे व्यापारी हैं जैसे कि नब्बे के दशक में हुआ करते थे। वे सस्ता खाना लाते हैं और यहां से वो ऐसे हर तरह के उपकरण ले जाते हैं जिनकी वहां तत्काल बहुत जरूरत है।
एंद्रेई बताते हैं कि वो खुद सप्ताह के अंत यानी वीकेंड्स में 'स्पेशल ऑर्डर्स' को पहुंचाने के लिए अपनी खटारा डाला लेकर रूसी शहर बरनॉल जाते हैं। वो कहते हैं कि उनके यहां से रूसी सीमा की दूरी करीब 130 किमी है और पहुंचने में दो घंटे लगते हैं। उसके बाद बरनॉल शहर तक पहुंचने में चार घंटे और लगते हैं।
वो कहते हैं कि सड़क अच्छी है और रूसी सीमा पर मौजूद अधिकारी कोई समस्या भी नहीं खड़ी करते हैं, खासकर यदि आप 'इलेक्ट्रॉनिक्स सामान या फिर कारों में इस्तेमाल होने वाले सामान लेकर जा रहे हों।' एंद्रेई इस बात को लेकर बहुत खुश हैं कि रूस के साथ तेज हुए इस व्यापार के कारण उन्हें कुछ अतिरिक्त आमदनी हो जा रही है।
विशेष सामान की बहुत मांग है
साबित, उस्त-कामेनोगोर्स्क शहर में इलेक्ट्रॉनिक सामानों की एक दुकान और वर्कशॉप चलाते हैं। साबित साफतौर पर कहते हैं कि रूस में 'विशेष सामानों' की बहुत मांग है। वो कहते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के छह महीने बाद ही इनकी मांग तेज होने लगी थी।
वो कहते हैं कि पहले वे मदरबोर्ड, ग्राफिक कार्ड्स और कम्प्यूटर में इस्तेमाल होने वाले दूसरे हार्डवेयर में दिलचस्पी लेते थे लेकिन अब वे ड्रोन्स और एक्शन कैमरों की मांग कर रहे हैं। चीन में बने माविक और अग्रास ड्रोन्स की सबसे ज्यादा मांग है और कैमरों में शिओमी के कैमरे।
एंद्रेई की तरह साबित और उनके कर्मचारी भी कभी-कभी सामान पहुंचाने के लिए रूस चले जाते हैं। उन्हें पता है कि इलेक्ट्रॉनिक्स सामान दोहरे इस्तेमाल वाले हैं और पश्चिमी देशों ने इन पर प्रतिबंध लगा रखा है, इसलिए वो जाते समय सावधानी बरतते हैं और ऐसे रास्ते से रूस जाते हैं जहां दिक्कत न हो।
साबित कहते हैं कि ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम की खबर से सबसे ज्यादा चिंतित बड़ी कंपनियां हैं क्योंकि उनके बड़े-बड़े ट्रकों में सामान भरकर रूस भेजे जाते हैं। वे बॉर्डर कंट्रोल नियमों से नहीं बच सकते हैं लेकिन हम छोटे व्यापारी हैं, हमारे लिए इनसे बचना आसान है।
उनके पास एक छोटी कार है, इसलिए वो गांवों की सड़कों से भी जा सकते हैं, जंगलों और पहाड़ों के रास्तों से भी जा सकते हैं। साबित कहते हैं कि पावलोडर क्षेत्र बचकर जाने का सबसे सुरक्षित रास्ता है कि यह व्यापार है। कई लोगों के लिए अच्छा व्यवसाय है, खासकर पूर्वी कजाखस्तान जैसे इलाके के लोगों के लिए जहां अस्ताना और अल्माती के लोगों की तुलना में आमदनी कम है।
रूस से संबंध
हालांकि इन 'अच्छे सौदों' का एक नकारात्मक पहलू भी है। डीडब्ल्यू ने जिन लोगों से भी बात की, सभी का कहना था कि रूस में जिन चीजों की मांग बहुत ज्यादा है, कजाखस्तान में वो चीजें बहुत महंगी हो गई हैं। 1 साल पहले कृषि कार्यों में इस्तेमाल होने वाले चीन निर्मित एक क्वॉड्राकॉप्टर की कीमत करीब 1324 यूरो थी, जो अब बढ़कर 2857 यूरो तक पहुंच गई है। कम्प्यूटर्स के सामान, लैपटॉप्स, घरों और दफ्तरों में इस्तेमाल होने वाले तमाम सामान भी काफी महंगे हो गए हैं।
एंद्रेई कहते हैं कि लेकिन कीमतों में ये बढ़ोत्तरी से हमारे रूसी ग्राहकों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। वहां से इन चीजों की मांगों में कोई कमी नहीं आई है। मतलब, एक तरफ तो ये ठीक है लेकिन दूसरी तरफ ठीक नहीं है। आप खुद भी देख सकते हैं कि स्थानीय लोग बहुत कम खरीददारी कर रहे हैं, जो कि अच्छी बात नहीं है।
वो कहते हैं कि बात इतनी ही नहीं है कि पूर्वी कजाखस्तान में बहुत से लोग रूस का समर्थन करते हैं। आप उस्त-कामेनोगोर्स्क शहर के बीचोबीच लगे एकमात्र फव्वारे को देखिए। यह नियमित रूप से रूसी गाने कलिंका-मलिंका पर नृत्य करता रहता है। एंद्रेई कहते हैं कि यदि पश्चिमी देश कजाखस्तान पर सेकंडरी प्रतिबंध लगाते हैं तो पाव्लोडार और उत्तरी कजाखस्तान में रूसी समर्थकों की संख्या बढ़ सकती है।