Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

रामलला के जन्म के समय कौनसी घटनाएं घटी थीं?

राम का जन्म कैसे हुआ

हमें फॉलो करें रामलला के जन्म के समय कौनसी घटनाएं घटी थीं?

WD Feature Desk

, सोमवार, 15 जनवरी 2024 (17:39 IST)
Ram Mandir Ayodhya 2024 : प्रभु श्रीराम का जन्म करीब 5114 ईस्वी पूर्व हुआ, ऐसा माना जाता है। श्रीराम के जन्म के समय में कई तरह की शुभ घटनाओं के घटना का उल्लेख मिलता है। उनका जन्म चैत्र माह की नवमी के दिन हुआ था। यानी हिंदू नववर्ष के प्रारंभ होने के 9वें दिन उनका जन्म हुआ था। आओ जानते हैं श्री राम के जन्म के समय कौनसी घटनाएं घटी थीं?
1. राजा दशरथ ने किया था पुत्रेष्टि यज्ञ : रामचरितमानस के बालकांड के अनुसार राजा दशरथ ने पुत्र की कामना से पुत्रेष्टि यज्ञ किया था। वशिष्ठजी ने श्रृंगी ऋषि को बुलवाया और उनसे शुभ पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराया। इस यज्ञ के बाद कौसल्या आदि प्रिय रानियों को पुत्र प्राप्त हुए।  यह श्रृंगी ऋषि दशरथजी के दामाद थे। दशरथजी की पुत्री का नाम शांता था।
 
2. ग्रह नक्षत्र : वाल्मीकि के अनुसार श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि एवं पुनर्वसु नक्षत्र में जब 5 ग्रह अपने उच्च स्थान में थे तब हुआ था। इस प्रकार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, ब्रहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था। (बाल कांड 18/श्लोक 8, 9)।...जन्म सर्ग 18वें श्लोक 18-8-10 में महर्षि वाल्मीक जी ने उल्लेख किया है कि श्रीराम जी का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अभिजीत महूर्त में हुआ। मानस के बाल काण्ड के 190 वें दोहे के बाद पहली चौपाई में तुलसीदास ने भी इसी तिथि और ग्रह-नक्षत्रों का जिक्र किया है। शोधानुसार 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व हुआ था। 12 बजकर 25 मिनट पर आकाश में ऐसा ही दृष्य था जो कि वाल्मीकि रामायण में वर्णित है।- संदर्भ : (वैदिक युग एवं रामायण काल की ऐतिहासिकता: सरोज बाला, अशोक भटनाकर, कुलभूषण मिश्र)
webdunia
Lord Rama
3. चारों और मौसम खुशनुमा हो गया : शुभ ग्रह नक्षत्र और योग वह पवित्र समय जब न गर्मी थी और न सर्दी वह समय सब लोकों को शांति देने वाला था। जन्म होते ही जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गए। शीतल, मंद और सुगंधित पवन बह रहा था। देवता हर्षित थे और संतों के मन में (बड़ा) चाव था। वन फूले हुए थे, पर्वतों के समूह मणियों से जगमगा रहे थे और सारी नदियां अमृत की धारा बहा रही थीं।
4. देवता उपस्थित हुए : जन्म लेते ही ब्रह्माजी समेत सारे देवता विमान सजा-सजाकर पहुंचे। निर्मल आकाश देवताओं के समूहों से भर गया। गंधर्वों के दल गुणों का गान करने लगे। सभी देवाता रामलला को देखने पहुंचे।
 
5. नगर में हुआ हर्ष व्याप्त : राजा दशरथ ने नांदीमुख श्राद्ध करके सब जातकर्म-संस्कार आदि किए और द्वीजों को सोना, गो, वस्त्र और मणियों का दान दिया। संपूर्ण नगर में हर्ष व्याप्त हो गया। ध्वजा, पताका और तोरणों से नगर छा गया। जिस प्रकार से वह सजाया गया। चारों और खुशियां ही खुशियां थीं। घर-घर मंगलमय बधावा बजने लगा। नगर के स्त्री-पुरुषों के झुंड के झुंड जहां-तहां आनंदमग्न हो रहे हैं।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अयोध्या में अन्य निर्माणाधीन मंदिरों को दिया जा रहा राम मंदिर का स्वरूप