दशरथ समाधि के दर्शन से ही मिलती है शनि पीड़ा से मुक्ति, अयोध्या में इस स्थान पर जरूर जाएं
बिल्वहरि घाट के समीप है राजा दशरथ का समाधि स्थल
- पुराणों में भी है राजा दशरथ की समाधि का उल्लेख
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राम जन्मभूमि से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित है
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यहां चारों भाइयों की चरण पादुकाएं भी हैं
King Dashrath Samadhi Ayodhya: चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ की समाधि स्थल का वर्णन पुराणों में भी उल्लेखित है। ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पूरा बाजार ग्राम पंचायत के उत्तर दिशा में धार्मिक, पौराणिक इतिहास को समेटे बिल्वहरि घाट के समीप राजा दशरथ की समाधि व भव्य मंदिर है।
मान्यता यह भी है कि इस समाधि स्थल पर पूजन-अर्चन करने वाले साधकों को शनि की साढ़ेसाती के प्रकोप से भी छुटकारा मिल जाता है। अनेक धार्मिक व पौराणिक प्रतीकों वाले दशरथ समाधि स्थल की पूर्ववर्ती सरकारों ने सुधि नहीं ली, लेकिन अब अयोध्या में प्रभु श्री राम मंदिर के साथ-साथ इस स्थल के जीर्णोद्धार का मार्ग खुल गया है। जिसके चलते श्रीराम जन्मभूमि से लगभग 15 किमी दूर इस स्थान का प्रथम चरण में सुदृढ़ीकरण व सौंदर्यीकरण भी कराया गया है। इसके साथ ही द्वितीय चरण में भी यहां विकास के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
अनदेखी से निरंतर जूझती रही समाधि : अयोध्या में रामनगरी में प्रभु श्रीराम से जुड़ी हर एक चीज का विशिष्ट महत्व होना चाहिए। वहीं उनके पिता चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ का समाधि स्थल अनदेखी से निरंतर जूझता रहा, लेकिन देर से सही अब यहां का भी जीर्णोद्धार कराया जा रहा है।
पद्मपुराण में भी दशरथ समाधि स्थल के आध्यात्मिक महत्व का वर्णन करते हुए कहा गया है कि जो भी मनुष्य एक बार यहां आकर दर्शन करके दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ व स्मरण करता है, उसे शनिजन्य कष्टों से मुक्ति मिलती है।
यहां विद्यमान कर्मफल दाता शनिदेव का एक विलक्षण विग्रह भी विद्यमान है। इसके दर्शन मात्र से ही शनि की साढ़ेसाती, ढैया समेत सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। यह भी दावा किया जाता है कि एक बार जो यहां आकर शनिदेव के इस अनोखे विग्रह का दर्शन कर राजा दशरथ द्वारा कृत शनि स्तोत्र का स्मरण-पठन करता है उसे जीवनपर्यंत शनि की शुभ दृष्टि व कृपा प्राप्त होती है।
समाधि स्थल के उत्तराधिकारी संदीप दास महराज के मुताबिक यहां चारों भाइयों की चरण पादुका, पिंड वेदी, गुरु वशिष्ठ का चरण चिह्न, प्राचीन ऐतिहासिक अस्त्र-शस्त्र मौजूद हैं, जिसमें आज तक जंग तक नहीं लगी। यहां दशरथ जी, भरत व शत्रुघ्न और गुरु वशिष्ठ की प्रतिमा विद्यमान है। उन्होंने बताया कि भरत ने राजा दशरथ के निधन के उपरांत पूछा कि यहां सबसे पवित्र स्थल कौन है, जहां दशरथ जी का दाह संस्कार हो सके, तब गुरु वशिष्ठ के नेतृत्व में इस जगह का चयन किया गया।
विविध आयोजन : अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मद्देनजर जिला प्रशासन इस स्थली पर भी अनेक आयोजन भी कराएगी। यहां भी सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। रामलीला, भजन-संकीर्तन, विशिष्ट कलाकारों की तरफ से अनेक कार्यक्रम व अनुष्ठान आदि का कार्यक्रम होगा। नव्य अयोध्या में इसकी पौराणिकता से योगी सरकार आम जनमानस को अवगत कराएगी। इसके लिए संस्कृति व पर्यटन विभाग के अधिकारी खाका तैयार कर रहे हैं।
अयोध्या से बढ़ेगी कनेक्टिविटी : दशरथ समाधि स्थल तक जाने के लिए सड़क के 24 मीटर चौड़ीकरण की योजना है। इसे नव्य अयोध्या से जोड़ा जाएगा। योगी सरकार द्वारा दशरथ समाधि स्थल के महत्व को देखते हुए पहले चरण में यहां मंदिर का सुंदरीकरण किया गया है।
परिसर का विस्तारीकरण : यहां परिसर का विस्तारीकरण, सौंदर्यीकरण व सुदृढ़ीकरण किया गया। योगी सरकार ने इस कैंपस को भव्य व दिव्य रूप भी दे दिया।
बाउंड्रीवॉल का सुदढ़ीकरण : दशरथ समाधि स्थल पर बाउंड्रीवॉल का सुदृढ़ीकरण किया गया। इसके रंग-रोगन के साथ ही इसे सुरक्षा के लिहाज से ऊंचा भी कराया गया है।
सत्संग भवन का जीर्णोद्धार : यहां कीर्तन-भजन स्थल के रूप में सत्संग भवन का जीर्णोद्धार किया गया है। यहां लगभग 200 से 250 सत्संगी एक साथ भजन के आनंद सागर में डुबकी लगा सकते हैं।
पारंपरिक ऊर्जा निर्भरता में हुई कटौती : अयोध्या को सोलर सिटी बनाने के क्रम में यहां भी सोलर पैनल के जरिए विद्युत निर्माण को सुनिश्चित किया गया है। इसके जरिए पारंपरिक ऊर्जा निर्भरता को कम करने में मदद मिली है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala