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ज्योतिष के अनुसार केतु की खास विशेषताएं, जो आप नहीं जानते होंगे...

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हमें फॉलो करें Role and Importance of Ketu in Astrology
भारतीय ज्योतिष और पौराणिक कथाओं में नौ ग्रह गिने जाते हैं, सूर्य, चन्द्रमा, बुध, शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, राहु और केतु। ज्योतिष के अनुसार हर ग्रह की परिभाषा अलग है।


यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत है केतु के बारे में रोचक जानकारी...
 
* केतु प्रकृति में तमस है। 
 
* केतु की 2 भुजाएं हैं। 
 
* केतु सिर पर मुकुट और शरीर पर काले वस्त्र धारण किए हुए हैं। 
 
* केतु पारलौकिक प्रभावों का प्रतिनिधित्व करता है।
 
* केतु को आम तौर पर एक 'छाया' ग्रह के रूप में जाना जाता है। 
 
* उसे राक्षस सांप की पूंछ के रूप में माना जाता है। 
 
* केतु हमेशा गीध पर समासीन हैं।
 
* केतु के प्रत्यधिदेवता ब्रह्मा तथा अधिदेवता चित्रकेतु हैं।
 
* ऐसा माना जाता है कि केतु एक ऐसा ग्रह है जिसका जबरदस्त प्रभाव पूरी सृष्टि पर और समस्त मानव जीवन पर पड़ता है। 
 
* केतु कुछ विशेष परिस्थितियों में यह किसी को प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचने में मदद करता है।
 

Role and Importance of Ketu in Astrology

 
* केतु का शरीर धूम्रवर्ण है और मुख विकृत है। 
 
* केतु का माप केवल छ: अंगुल है।
 
* केतु अपने एक हाथ में गदा और दूसरे में वरमुद्रा धारण किए हुए हैं। 
 
* केतु एक रूप में स्वरभानु नामक असुर के सिर का धड़ है। 
 
* मानव शरीर में केतु अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है।
 
* केतु का सामान्य मंत्र- 'ॐ कें केतवे नम:' है। 
 
* इनका बीज मंत्र- 'ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नम: है'।
 
-आरके. 
 

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