Heera hai sada ke liye : हीरे को अंग्रेजी में डायमंड कहते हैं। उनका उपरत्न है ओपल, जरकन, फिरोजा और कुरंगी। हीरा पहनना चाहिए या नहीं, क्योंकि यह माना जाता है कि हीरा यदि किसी को सूट नहीं होता है तो वह नुकसान भी दे सकता है। कुंडली की जांच करने के बाद ही हीरा पहनना चाहिए, क्योंकि ज्योतिष मान्यता के अनुसार हीरा मालामाल भी कर सकता है और कंगाल भी।
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शुक्र की राशि वृषभ और तुला वालों के लिए हीरा पहनने की सलाह दी जाती है, परंतु यह उचित नहीं है क्योंकि एक ही नक्षत्र कृत्तिका मेष एवं वृषभ राशि दोनों में आती है और हीरा कृत्तिका नक्षत्र वाले को नहीं पहनना चाहिए क्योंकि मेष राशि वाले हीरा पहनते ही दुर्धर्ष विकृति के शिकार हो जाते हैं। वृषभ राशि वाले तो हीरा पहन सकते हैं किन्तु केवल वे ही पहनेगें जिनका जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ है। पूरे वृषभ राशि वाले नहीं पहन सकते हैं।
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इसी प्रकार मृगशिरा नक्षत्र भी वृषभ एवं मिथुन राशि दोनों में आती है तथा मिथुन राशि वालों को हीरा धारण नहीं करना चाहिए अन्यथा उनका व्यभिचारी होना तय माना जाता है और भी दोष हो सकते हैं।
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लाल किताब के अनुसार तीसरे, पांचवें और आठवें स्थान पर शुक्र हो तो हीरा नहीं पहनना चाहिए।
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टूटा-फूटा हीरा भी नुकसानदायक होता है यह जातक के जीवन में कंगाली ला सकता है।
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कुंडली में शुक्र, मंगल या गुरु की राशि में बैठा हो या इनमें से किसी एक से दृष्ट हो या इनकी राशियों से स्थान परिवर्तन हो तो हीरा मारकेश की भांति बर्ताव करता है और वह आत्महत्या या पाप की ओर अग्रसर करता है।
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माणिक और मूंगे के साथ हीरा या हीरे के साथ माणिक या मूंगा पहनने से नुकसान हो सकता है।
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हीरे की विकिरण क्षमता अत्यधित होती है अत: यदि सोच समझ कर नहीं पहना तो रक्त रोग, दमा, रक्त शर्करा, तथा ग्रंथि अर्बुद व्याधि के अलावा जातक संतति दुःख से पीड़ित हो जाता है, क्योंकि हीरे का असर धीरे धीरे रक्त वाहिनियों पर होता है। यदि 5 वर्ष तक हीरा धारण कर रखा है तो यह सारे रोग हो सकते हैं।
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शुक्र यदि मंगल या गुरु की राशि में बैठा हो, या इनमें से किसी एक से दृष्ट हो या इनकी राशियों से स्थान परिवर्तन हो तो हीरा बहुत हानि पहुंचाता है।