15 मई शनिवार 2021 को विनायकी चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2021) का व्रत रखा जाएगा। इस तरह 24 चतुर्थी और प्रत्येक तीन वर्ष बाद अधिकमास की मिलाकर 26 चतुर्थी होती है। सभी चतुर्थी की महिमा और महत्व अलग अलग है। हर माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) कहा जाता है।
1. यदि चतुर्थी गुरुवार को हो तो मृत्युदा होती है और शनिवार की चतुर्थी सिद्धिदा होती है और चतुर्थी के 'रिक्ता' होने का दोष उस विशेष स्थिति में लगभग समाप्त हो जाता है। चतुर्थी तिथि की दिशा नैऋत्य है। चतुर्थी (चौथ) के देवता हैं शिवपुत्र गणेश। इस तिथि में भगवान गणेश का पूजन से सभी विघ्नों का नाश हो जाता है। यह खला तिथि हैं। तिथि 'रिक्ता संज्ञक' कहलाती है। अतः इसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं।
2. विनायक चतुर्थी के दिन भगवान विनायक अर्थात गणेशजी का जन्म हुआ था। वैसे तो यह हर माह आती है लेकिन भाद्र माह की चतुर्थी बहुत ही महत्व की होती है क्योंकि इसी माह में गणेशजी का जन्म हुआ था। कई स्थानों पर विनायक चतुर्थी को 'वरद विनायक चतुर्थी' और 'गणेश चतुर्थी' के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी के दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने पर सभी तरह के संकट दूर होते हैं और सबकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
मुहूर्त :
1. 15 मई शनिवार सुबह तृतीया तिथि 08:01:18 तक रहेगी इसके बाद चतुर्थी लग जाएगी जो अगले दिन प्रात: 10:02:42 तक रहेगी।
2. अभिजीत11:50:27 से 12:44:43 तक।
3. राहु काल 08:54:06 से 10:35:51 तक।
4. बैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया, आनन्द संवत्सर विक्रम संवत 2078, शक संवत 1943 (प्लव संवत्सर), बैशाख। तृतीया तिथि 08:00 AM तक उपरांत चतुर्थी। नक्षत्र मृग्शिरा 08:39 AM तक उपरांत आद्रा। धृति योग 02:28 AM तक, उसके बाद शूल योग। करण गर 08:00 AM तक, बाद वणिज 09:03 PM तक, बाद विष्टि। मचन्द्रमा मिथुन राशि पर संचार करेगा।