Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

सोने और जागने से जुड़ीं ये 6 बातें आपकी आंखें खोल देंगी...

हमें फॉलो करें सोने और जागने से जुड़ीं ये 6 बातें आपकी आंखें खोल देंगी...
वर्तमान भौतिक व्यस्तता के समय में प्राय: रात्रि में देर से शयन करने तथा प्रात: देर से जागने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, जिसके कारण अनेक समस्याओं का जन्म होता है। व्यवहार में असंतुलन के कारण सामाजिक वातावरण कुप्रभावित होता है।
 
अच्छी नींद हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है और अच्छा जागरण हमारी चेतना के विकास और जीवन में सफलता के लिए जरूरी है। नियम से चलना जरूरी है वर्ना प्रकृति हमें जिंदगी से बाहर कर देती है।
 
(A) नींद के नियम :-
 
1.रात्रि के प्रथम प्रहर में सो जाएं।
 
2.सिर को दक्षिण या पूर्व की दिशा में ही रखें।
 
3.शवासन में सोएं, करवट लेना हो तो अधिकतर दाईं करवट लें। बहुत आवश्यक हो तो ही बाईं करवट लेकर सोएं। 
 
4.सोने के तीन से चार घंटे पूर्व जल और अन्न का त्याग कर देना चाहिए।

5. शास्त्र अनुसार संध्याकाल बीत जाने के बाद भोजन नहीं करना चाहिए।
 
6.सोने के पूर्व प्रतिदिन पांच-दस मिनट का ध्यान करने साना चाहिए। योग निद्रा में सो सके तो और बेहतर है।
 
(B) जागरण के नियम :-
 
1.ब्रह्म मुहूर्त में जागना चाहिए। सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटे पूर्व का समय ब्रह्ममुहूर्त कहलाता है।
 
2.अत्यधिक विचार, कल्पना या खयाल अर्धजाग्रत अवस्था का हिस्सा है। यह जागरण के विरुद्ध है।
 
3.दिवास्वप्न नहीं देखना चाहिए। दिवास्वप्न से मन की दृढ़ता खत्म होती है।
 
4.अत्यधिक मनोरंजन से मूर्छा का जन्म होता है। मन को भटकाने के बजाय मनोरंजन को भी ध्यान बनाया जा सकता है। इससे जागरण की रक्षा होगी।
 
5.नशा और तामसिक भोजन से भी जागरण खंडित होता है। यह शास्त्र विरुद्ध कर्म है।
 
6.ध्यान या साक्षी भाव में रहने से जागरण बढ़ता है। उपनिषद् कहते हैं देखने वाले को देखना ही साक्षी भाव है।

6 काम की बातें याद रखें 
1.हम कब सोएं और कब उठें?
रात्रि के पहले प्रहर में सो जाना चाहिए और ब्रह्म मुहूर्त में उठकर संध्यावंदन करना चाहिए। लेकिन आधुनिक जीवनशैली के चलते यह संभव नहीं है तब क्या करें? तब नीचे के दूसरे पाइंट पर तो अमल कर ही सकते हैं। फिर भी जल्दी सोने और जल्दी उठने का प्रयास करें।
 
2.हम कैसे लेटे और हमारा सिर और पैर किस दिशा में हो?
हमें शवासन में सोना चाहिए इससे आराम मिलता है कभी करवट भी लेना होतो बाईं करवट लें। बहुत आवश्यक हो तभी दाईं करवट लें। सिर को हमेशा पूर्व या दक्षिण दिशा में रखकर ही सोना चाहिए। पूर्व या दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोने से लंबी उम्र एवं अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। 
 
3.क्यों नहीं रखते पूर्व दिशा में पैर?
पश्चिम दिशा में सिर रखकर नहीं सोते हैं क्योंकि तब हमारे पैर पूर्व दिशा की ओर होंगे जो कि शास्त्रों के अनुसार अनुचित और अशुभ माने जाते हैं। पूर्व में सूर्य की ऊर्जा का प्रवाह भी होता है और पूर्व में देव-देवताओं का निवास स्थान भी माना गया है।
 
4. क्यों नहीं रखते दक्षिण दिशा में पैर?
विज्ञान की दृष्टिकोण से देखा जाए तो पृथ्वी के दोनों ध्रुवों उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में चुम्बकीय प्रवाह विद्यमान है। दक्षिण में पैर रखकर सोने से व्यक्ति की शारीरिक ऊर्जा का क्षय हो जाता है और वह जब सुबह उठता है तो थकान महसूस करता है, जबकि दक्षिण में सिर रखकर सोने से ऐसा कुछ नहीं होता।
 
5. उत्तर दिशा की ओर धनात्मक प्रवाह रहता है और दक्षिण दिशा की ओर ऋणात्मक प्रवाह रहता है। हमारा सिर का स्थान धनात्मक प्रवाह वाला और पैर का स्थान ऋणात्मक प्रवाह वाला है। यह दिशा बताने वाले चुम्बक के समान है कि धनात्मक प्रवाह वाले आपस में मिल नहीं सकते। 
 
हमारे सिर में धनात्मक ऊर्जा का प्रवाह है जबकि पैरों से ऋणात्मक ऊर्जा का निकास होता रहता है। यदि हम अपने सिर को उत्तर दिशा की ओर रखेंगे को उत्तर की धनात्मक और सिर की धनात्मक तरंग एक दूसरे से विपरित भागेगी जिससे हमारे मस्तिष्क में बेचैनी बढ़ जाएगी और फिर नींद अच्छे से नहीं आएगी। लेकिन जैसे तैसे जब हम बहुत देर जागने के बाद सो जाते हैं तो सुबह उठने के बाद भी लगता है कि अभी थोड़ा और सो लें।
 
जबकि यदि हम दक्षिण दिशा की ओर सिर रखकर सोते हैं तो हमारे मस्तिष्क में कोई हलचल नहीं होती है और इससे नींद अच्छी आती है। अत: उत्तर की ओर सिर रखकर नहीं सोना चाहिए।
 
6*सोने के तीन से चार घंटे पूर्व जल और अन्न का त्याग कर देना चाहिए। शास्त्र अनुसार संध्याकाल बीतने के बाद भोजन नहीं करना चाहिए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कैसे अर्पित करें देवी-देवताओं को प्रसाद, जानिए 12 खास बातें