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Singh sankranti 2024: सिंह संक्रांति कब है, क्या है इसका महत्व, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और उपाय

सिंह संक्रांति के 5 शुभ उपाय और महत्व के बारे में जानकारी

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WD Feature Desk

, शुक्रवार, 9 अगस्त 2024 (17:29 IST)
Singh sankranti 2024 : सूर्य के सिंह राशि में प्रवेश करने को सिंह संक्रांति कहते हैं। 16 अगस्त 2024 शुक्रवार के दिन सूर्य देव सिंह राशि में परिवर्तन करेंगे। इस दिन का कुछ प्रांतों में बहुत महत्व माना जाता है क्योंकि यह सूर्य की स्वयं की राशि है। वैसे अन्य प्रांतों मकर, कर्क, मिधुन और धनु संक्रांति का महत्व ज्यादा रहता है। कुछ प्रांतों में मेष संक्रांति का भी महत्व रहता है।ALSO READ: कर्क संक्रांति पर क्या करें और क्या नहीं करें?
 
पूजा का शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:24 से 05:08 तक।
प्रातः सन्ध्या: प्रात: 04:46 से 05:51 तक।
अमृत काल: सुबह 06:22 से 07:57 तक।
अभिजित मुहूर्त: सुबह 1:59 से 12:51 तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:36 से 03:29 तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:59 से 07:21 तक।
सायाह्न सन्ध्या: शाम 06:59 से 08:04 तक।
 
सिंह संक्रांति का महत्व :
  • भाद्रपद (भादो) माह की सिंह संक्रांति को उत्तराखंड में घी संक्रांति या ओल्गी संक्रांति कहते हैं।
  • घी संक्रांति या घिया संक्रांद या घी-त्यार भी कहते हैं।
  • गढ़वाल में घिया संक्रांद और कुमांऊ में घी-त्यार कहते हैं।
  • वस्तुतः यह कृषि और पशुपालन से जुड़ा हुआ एक लोकपर्व है।
  • इस दिन दाल की भरवां रोटियों के साथ घी का सेवन किया जाता है। इस रोटी को बेडु की रोटी कहा जाता है।
  • चरक संहिता में कहा गया है कि घी- स्मरण शक्ति, बुद्धि, ऊर्जा, बलवीर्य, ओज बढ़ाता है। 
  • घी वसावर्धक है। यह वात, पित्त, बुखार और विषैले पदार्थों का नाशक है। 
  • सिंह संक्रांति के दिन कई तरह के पकवान बनाकर खाते हैं जिसमें दाल की भरवां रोटियां, खीर और गुंडला या गाबा प्रमुख हैं।ALSO READ: Mithun Sankranti 2024: मिथुन संक्रांति पर करें ये दान, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम
 
सिंह संक्रांति के 5 शुभ उपाय:-
1. सूर्यदेव को दें अर्घ्य और करें दान : कुंडली में सूर्यदोष है, तो उसे सूर्यदेव से जुड़ी वस्तुओं का खासकर दान करना चाहिए। जैसे कि तांबा, गुड़ आदि। इस दिन सूर्य मंत्र के साथ सूर्यदेव की विशेष पूजा जरूर करना चाहिए। 
 
2. घी का उपयोग : पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है जो इस दिन घी नहीं खाएगा उसे अगले जन्म में घोंघे के रूप में जन्म लेना होगा। यही कारण है कि नवजात बच्चों के सिर और पांव के तलुवों में घी लगाकर जीभ पर भी थोड़ा सा घी रखा जाता है।
 
3. श्रीहरि विष्णु की करें पूजा : इस पावन पर्व के दिन भगवान विष्णु का पूजन होता है तथा श्री हरि के अन्य स्वरुप भगवान नरसिम्हा की पूजा का भी विशेष विधान बताया गया है।
 
4. लाल वस्तुओं का करें दान : सिंह संक्रांति वाले दिन स्नान और पूजा के बाद अपनी क्षमता के अनुसार लाल वस्तुओं का करें दान। लाल वस्त्र, तांबे का बर्तन, लाल चंदन या लाल रंग के रूमाल का दान करने से सूर्य देव मजबूत होंगे तो नौकरी में तरक्की के योग बनेंगे।
5. नदी में आटे की दीपकों का प्रवाहित करें : शुभ मुहूर्त में नदी में आटे के दीपक प्रवाहित करने से सभी तरह के संकटों के साथ ही कर्ज से भी मुक्ति मिलती है।
 

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