Mithun Sankranti 2024: सूर्य के मिथुन राशि में प्रवेश को मिथुन संक्रांति कहते हैं। इस बार सूर्यदेव 15 जून 2024 को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। ओड़िसा में मिथुन संक्रांति का महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य से अच्छी फसल के लिए बारिश की मनोकामना करते हैं। इस दिन यदि आप ये 5 तरह के दान करेंगे तो आपके सभी बिगड़े, अटके कार्य पूर्ण होंगे।
मिथुन संक्रांति का दान : मिथुन संक्रांति पर किसी राहगीर, ब्राह्मण, पुजारी या गरीब को मसूर की दाल, चावल, चीनी, साबुत मूंग, हरी सब्जियों, नमक, विष्णु चालीसा, गन्ने का रस, दूध, दही, गुड़, मसूर, केसर मिश्रित दूध, काले तिल, उड़द की दाल, चमड़े की चप्पल, जूते, छाते, पके केले, बेसन आदि दान कर सकते हैं।
मिथुन संक्रांति पर नदी स्नान करना, सूर्य को अर्घ्य देना, व्रत करना, घर की सफाई करना और किसी नए कार्य की शुरुआत करना बहुत ही शुभ होता है। इस बार मिथुन संक्रांति के दौरान पुष्य और अष्लेषा नक्षत्र रहेंगे। इस दिन से सभी नक्षत्रों में राशियों की दिशा भी बदल जाएगी। इस बदलाव को बड़ा माना जाता है। मिथुन संक्रांति के बाद से ही वर्षा ऋतु की विधिवत रूप से शुरुआत हो जाती है।
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मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे को भूदेवी के रूप में पूजा जाता है।
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सिलबट्टे को इस दिन दूध और पानी से स्नान कराया जाता है।
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इसके बाद सिलबट्टे पर चंदन, सिंदूर, फूल व हल्दी चढ़ाते हैं।
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मिथुन संक्रांति के दिन पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
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मिथुन संक्रांति के दिन गुड़, नारियल, आटे व घी से बनी मिठाई पोड़ा-पीठा बनाया जाता है।
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इस दिन किसी भी रूप में चावल ग्रहण नहीं किए जाते हैं।ALSO READ: Mithun Sankranti 2024 : मिथुन संक्रांति कब है, क्या है इसका महत्व