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शूल योग में करेंगे कोई कार्य तो पछताएंगे, जानिए जन्मे जातक का भविष्य

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अनिरुद्ध जोशी

हिन्दू पंचांग में मुख्य 5 बातों का ध्यान रखा जाता है। इन पांचों के आधार पर ही कैलेंडर विकसित होता है। ये 5 बातें हैं- 1.तिथि, 2.वार, 3. नक्षत्र, 4. योग और 5. करण। आज हम बात करते हैं शूल योग की।
 
27 योग :- सूर्य-चन्द्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहते हैं। योग 27 प्रकार के होते हैं। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम क्रमश: इस प्रकार हैं- 1.विष्कुम्भ, 2.प्रीति, 3.आयुष्मान, 4.सौभाग्य, 5.शोभन, 6.अतिगण्ड, 7.सुकर्मा, 8.धृति, 9.शूल, 10.गण्ड, 11.वृद्धि, 12.ध्रुव, 13.व्याघात, 14.हर्षण, 15.वज्र, 16.सिद्धि, 17.व्यतिपात, 18.वरीयान, 19.परिध, 20.शिव, 21.सिद्ध, 22.साध्य, 23.शुभ, 24.शुक्ल, 25.ब्रह्म, 26.इन्द्र और 27.वैधृति। इसमें से शूल योग के बारे में जानते हैं।
 
शूल योग :
 
1. शूल एक प्रकार का अस्त्र है और इसके चूभने से बहुत बहुत भारी पीड़ा होती है। जैसे नुकीला कांटा चूभ जाए। इस योग में किए गए कार्य से हर जगह दुख ही दुख मिलते हैं। वैसे तो इस योग में कोई काम कभी पूरा होता ही नहीं परंतु यदि अनेक कष्ट सहने पर पूरा हो भी जाए तो शूल की तरह हृदय में एक चुभन सी पैदा करता रहता है। अत: इस योग में कोई भी कार्य न करें अन्यथा आप जिंदगी भर पछताते रहेंगे।
 
2. जब सातों ग्रह किन्हीं तीन राशि में स्थित हों तो शूल योग बनता है। कहते हैं कि इस योग में जन्मा जातक धन से वंचित और दिल से कठोर होता है। यह भी कहा जाता है कि जातक दरिद्र, रोगी और कुकर्मी भी हो सकता है। कुंडली में भी शूल योग विद्यमान हो तो व्यक्ति उदरशूली होता है। अर्थात् ऐसे मनुष्य के पेट में बहुत दर्द होता है।
 
3. शूल योग का स्वामी राहु है। इस योग में जन्मे जातक का शरीर पतला होता है लेकिन चौड़ा होता है। यह भी देखा गया है कि उसकी ड्योढ़ी पतली होती है। ऐसा जातक माता के लिए कष्टकारक होता है। यदि वह ननिहाल खानदान और पिता परिवार के लिए बुरा सोचता है तो क्लेश का कारण बनता है। जातक के कारण पारिवार में बिखराव हो जाता है। जातक को ऊंचे स्थान से कूदने या चढ़़ने से शरीर हानि की आशंका बनी रहती है। जातक के प्रति सभी लोग आशंकित ही रहते हैं। यदि जातक झूठ बोलने या बुरी बातें सोचने से पूले नाक या कान सहलाता है तो समझों की वह शूल योग में जन्मा होगा।
 
4. हालांकि इसका कभी सकारात्मक पक्ष भी देखा गया है कि इस योग में जन्मे जातक कवि, प्रतापी, शूरवीर कला के तत्व को जानने वाला सभी का प्रिय, अत्यन्त बली, आदर और स्वच्छ वस्त्र धारण करने की अभिलाषा रखने वाला होता है। ऐसे जातक भाग्यशाली और भरोसेमंद भी होते हैं। सांसारिक और आध्यात्मिक ज्ञान में निपुण भी होते हैं।

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