ज्योतिष में सूर्य को पिता का कारक व मंगल को रक्त का कारक माना गया है। अतः जब जन्मकुंडली में सूर्य या मंगल, पाप प्रभाव में होते हैं तो पितृदोष का निर्माण होता है। इस प्रकार कुंडली से समझा जाता है कि जातक पितृदोष से युक्त है। यदि समय रहते, इस दोष का निवारण कर लिया जाए तो पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है।
लेकिन कई लोगों को यह जानकारी ही नहीं होती कि वे पितृदोष से पीड़ित हैं। इसलिए हम बता रहे हैं पितृदोष के लक्षण जिन्हें जानने के बाद आप तय कर पाएंगे कि आप पितृदोष से पीड़ित हैं या मुक्त...
1 संतान उत्पत्ति में समस्या पितृदोष के बड़े लक्षणों में शामिल है। माना जाता है कि पितृदोष होने पर वंशवृद्धि में समस्या होती है। ऐसे में गर्भपात होने की आशंका और स्थिति पैदा होती है।
2 अगर कोई अपने पिता से अच्छा तालमेल नहीं बैठ पाता, तो यह पितृदोष का लक्षण हो सकता है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि ऐसी हर परिस्थिति पितृदोष के कारण ही बने।
3 विवाह व शिक्षा में बाधाओं के साथ वैवाहिक जीवन अस्थिर-सा बना रहता है। परीक्षा एवं साक्षात्कार में असफलता मिलती है।
4 जीवन में किसी आकस्मिक नुकसान या दुर्घटना के शिकार होते हैं।
5 जातक का पिता बीमार रहता है या स्वयं को ऐसी बीमारी होती है जिसका पता नहीं चल पाता।
6 राजकीय सेवा या नौकरी में अक्सर उन्हें अपने अधिकारियों के कोप का सामना करना पड़ता है।
7 पितृ दोष वाले जातक क्रोधी स्वभाव वाले होते हैं। इन्हें अक्सर मानसिक व्यथा का सामना करना पड़ता है।
8 आत्मबल में कमी रहती है। स्वयं निर्णय लेने में परेशानी होती है। वस्तुतः लोगों से अधिक सलाह लेनी पड़ती है।