इस साल पितृपक्ष अमावस्या 8 अक्तबूर को सोमवार के दिन है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन ही सोमवती अमावस्या का महासंयोग बन रहा है यह अत्यंत सौभाग्यशाली संकेत है। मोक्षदायिनी सर्वपितृ सोमवती अमावस्या की खास बातें...
पितृपक्ष का आरंभ भाद्रपद पूर्णिमा से हो जाता है। आश्विन माह का प्रथम पखवाड़ा जो कि माह का कृष्ण पक्ष भी होता है पितृपक्ष के रूप में जाना जाता है। इन दिनों में हिंदू धर्म के अनुयायि अपने दिवंगत पूर्वजों का स्मरण करते हैं। उन्हें याद करते हैं, उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।
उनकी आत्मा की शांति के लिये स्नान, दान, तर्पण आदि किया जाता है। पूर्वज़ों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के कारण ही इन दिनों को श्राद्ध भी कहा जाता है। हालांकि विद्वान ब्राह्मणों द्वारा कहा जाता है कि जिस तिथि को दिवंगत आत्मा संसार से गमन करके गई थी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की उसी तिथि को पितृ शांति के लिये श्राद्ध कर्म किया जाता है।
अगर हम उन तिथियों को भूल गए हैं जिन तिथियों को हमारे प्रियजन हमें छोड़ कर चले गए हैं अपने पितरों का अलग-अलग श्राद्ध करने की बजाय सभी पितरों के लिए एक ही दिन श्राद्ध करने का विधान बताया गया।
कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या का महत्व बताया गया है। समस्त पितरों का इस अमावस्या को श्राद्ध किया जाता है इसलिए इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है।
इस दिन पितरों के नाम की धूप देने से पितृ तृप्त होते हैं और अपने लोक को वापिस लौटते हुए ढेर सारे आशीर्वाद देकर जाते हैं।
यूं तो प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि को पिंडदान किया जा सकता है लेकिन आश्विन अमावस्या विशेष रूप से शुभ फलदायी मानी जाती है। पितृ अमावस्या होने के कारण इसे पितृ विसर्जनी अमावस्या या महालया भी कहा जाता है।
इस अमावस्या को पितृ अपने प्रियजनों के द्वार पर तर्पण-श्राद्धादि की इच्छा लेकर आते हैं। वे अपनी अंजुरी खोलकर खड़े होते हैं और उनके निमित्त आप जो भी करते हैं वह उसे ग्रहण कर चले जाते हैं।
क्या करें इस दिन
सर्वपितृ अमावस्या को प्रात: स्नानादि के पश्चात गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए।
इसके पश्चात घर में श्राद्ध के लिए बनाए गए भोजन से पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों के लिए भोजन का अंश निकालकर उन्हें देना चाहिए।
इसके पश्चात श्रद्धापूर्वक पितरों से मंगल की कामना करनी चाहिए।
ब्राह्मण या किसी गरीब जरूरतमंद को भोजन करवाना चाहिए व सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा भी देनी चाहिए।
संध्या के समय अपनी क्षमता अनुसार दो, पांच अथवा सोलह दीप प्रज्जवलित करने चाहिए।
पीपल में पितरों का वास माना जाता है। इसलिए सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या में पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। इस अमावस्या पर नदी या किसी जलाशय पर जाकर काले तिल के साथ पितरों को जल अर्पित करें इससे घर में हमेशा पितरों का आशीर्वाद बना रहता है और घर में खुशहाली और शांति आती है।
सर्वपितृ अमावस्या तिथि व श्राद्ध कर्म मुहूर्त
सर्वपितृ अमावस्या तिथि : 8 अक्टूबर 2018, सोमवार
कुतुप मुहूर्त : 11:45 से 12:31
रोहिण मुहूर्त : 12:31 से 13:17
अपराह्न काल : 13:17 से 15:36
अमावस्या तिथि आरंभ : 11:31 बजे (8 अक्टूबर 2018)
अमावस्या तिथि समाप्त : 09:16 बजे (9 अक्टूबर 2018)