नागपंचमी पर इस बार बेहद शुभ संयोग बन रहा है। इसलिए नाग के 12 स्वरूपों की पूजा एक खास विधि अनुसार करेंगे तो भगवान भोलेनाथ खुश होंगे और हर मनोकामना पूरी करेंगे।
नाग पंचमी के दिन नागराज व उनके 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। ये हैं-
अनंता, वासुकी, शेष, कालिया, तक्षक, पिंगल, धृतराष्ट्र, कर्कोटक, पद्मनाभ, कंबाल, अश्वतारा, और शंखपाल। इस दिन कालसर्प दोष का विशेष पूजन भी होता है।
सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस बार 15 अगस्त 2018 को है और आजादी के बाद दूसरी बार 15 अगस्त को नागपंचमी आ रही है। 38 साल पहले 15 अगस्त 1980 को नागपंचमी आई थी।
15 अगस्त 2018 को नागपंचमी बुधवार के दिन है। पूजा का मुहूर्त सुबह 05:54 से 08:30 तक है। तड़के 03:27 पर नाग पंचमी शुरू होगी, जो रात 01:51 पर समाप्त होगी।
नागपंचमी पर ॐ नम: शिवाय और महामृत्युंजय मंत्रों का जाप सुबह-शाम करना चाहिए। इस दिन महिलाएं दीवारों पर नाग का चित्र बनाकर दूध से स्नान कराके विभिन्न मंत्रों से पूजा अर्चना करती हैं। इससे पहले शिव जी की पूजा होती है।
कालसर्प दोष से पीड़ित लोग इस दिन विशेष पूजन कर इसकी शांति कराते हैं। इस दिन दुग्ध से रुद्राभिषेक कराने से प्रत्येक मनोकामना की पूर्ति होती है। प्रसाद में लावा और दूध बांटते हैं। जिनकी कुंडली राहु से पीड़ित हो, वे इस दिन रुद्राभिषेक अवश्य करें।