Astrology : मिथुन संक्रांति का महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा

Webdunia
Mithun sankranti 2023 : सूर्यदेव 15 जून 2023 की शाम को 06:07 बजे मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर को संक्रांति कहते हैं। आओ जानते हैं कि मिथुन संक्रांति का क्या महत्व है, इसकी पूजा विधि क्या है और पूजा के शुभ मुहूर्त के साथ पढ़िये कथा।
 
शुभ मुहूर्त :
 
मिथुन संक्रांति की पूजा विधि
  1. मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे को भूदेवी के रूप में पूजा जाता है। सिलबट्टे को इस दिन दूध और पानी से स्नान कराया जाता है।
  2. इसके बाद सिलबट्टे पर चंदन, सिंदूर, फूल व हल्‍दी चढ़ाते हैं।
  3. मिथुन संक्रांति के दिन पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
  4. मिथुन संक्रांति के दिन गुड़, नारियल, आटे व घी से बनी मिठाई पोड़ा-पीठा बनाया जाता है।
  5. इस दिन किसी भी रूप में चावल ग्रहण नहीं किए जाते हैं।
मिथुन संक्रांति का महत्व :
  1. मिथुन राशि में मृगशिरा नक्षत्र के 2 चरण, आद्रा, पुनर्वसु के 3 चरण रहते हैं। 
  2. इस बार मिथुन संक्रांति के दौरान पुष्य और अष्लेषा नक्षत्र रहेंगे।
  3. ओड़िसा में मिथुन संक्रांति का महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य से अच्‍छी फसल के लिए बारिश की मनोकामना करते हैं। 
  4. इस दिन से सभी नक्षत्रों में राशियों की दिशा भी बदल जाएगी। इस बदलाव को बड़ा माना जाता है। 
  5. सूर्य जब कृतिका नक्षत्र से रोहिणी नक्षत्र में आते हैं तो बारिश की संभावना बनती है। रोहिणी से अब मृगशिरा में प्रवेश करेंगे। 
  6. मिथुन संक्रांति के बाद से ही वर्षा ऋतु की विधिवत रूप से शुरुआत हो जाती है।
  7. मिथुन संक्रांति को रज पर्व भी कहा जाता है। 
  8. ज्योतिषियों के अनुसार मि‍थुन संक्रांति के दौरान वायरल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है इसीलिए सेहत का ध्यान रखना जरूरी होता है।
 
मिथुन संक्रांति की कथा : प्रकृति ने महिलाओं को मासिक धर्म का वरदान दिया है, इसी वरदान से मातृत्व का सुख मिलता है। मिथुन संक्रांति कथा के अनुसार जिस तरह महिलाओं को मासिक धर्म होता है वैसे ही भूदेवी या धरती मां को शुरुआत के तीन दिनों तक मासिक धर्म हुआ था जिसको धरती के विकास का प्रतीक माना जाता है। तीन दिनों तक भूदेवी मासिक धर्म में रहती हैं वहीं चौथे दिन में भूदेवी जिसे सिलबट्टा भी कहते हैं उन्हें स्नान कराया जाता है। इस दिन धरती माता की पूजा की जाती है। उडीसा के जगन्नाथ मंदिर में आज भी भगवान विष्णु की पत्नी भूदेवी की चांदी की प्रतिमा विराजमान है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

Dev uthani ekadashi 2024: देव उठनी एकादशी पर इस बार जानिए पितृदोष से मुक्ति के 5 अचूक उपाय

Dev diwali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली रहती है या कि देव उठनी एकादशी पर?

सभी देखें

नवीनतम

Aaj Ka Rashifal: 13 नवंबर के दिन किन राशियों को मिलेगी खुशखबरी, किसे होगा धनलाभ, पढ़ें 12 राशियां

13 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

13 नवंबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

नीलम कब और क्यों नहीं करता है असर, जानें 7 सावधानियां

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर कब, कहां और कितने दीपक जलाएं?

अगला लेख
More