कब होगी मिथुन संक्रांति और सूर्य की इस संक्रांति का क्या है महत्व?

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Mithun sankranti 2023 : सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में गोचर संक्रांति कहलाता है। वृषभ संक्रांति के बाद अब मिथुन संक्रांति होगी।  मिथुन राशि में मृगशिरा नक्षत्र के 2 चरण, आद्रा, पुनर्वसु के 3 चरण रहते हैं। मिथुन संक्रांति के दौरान पुष्य और अष्लेषा नक्षत्र रहेंगे। कब होगी मिथुन संक्रांति और सूर्य की इस मिथुन संक्रांति का क्या है महत्व?
 
कब होगी मिथुन संक्रांति : सूर्यदेव 15 जून 2023 की शाम को 06:07 बजे मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।
 
मिथुन संक्रांति का महत्व :
 
मिथुन संक्रांति की कथा : प्रकृति ने महिलाओं को मासिक धर्म का वरदान दिया है, इसी वरदान से मातृत्व का सुख मिलता है। मिथुन संक्रांति कथा के अनुसार जिस तरह महिलाओं को मासिक धर्म होता है वैसे ही भूदेवी या धरती मां को शुरुआत के तीन दिनों तक मासिक धर्म हुआ था जिसको धरती के विकास का प्रतीक माना जाता है। तीन दिनों तक भूदेवी मासिक धर्म में रहती हैं वहीं चौथे दिन में भूदेवी जिसे सिलबट्टा भी कहते हैं उन्हें स्नान कराया जाता है। इस दिन धरती माता की पूजा की जाती है। उडीसा के जगन्नाथ मंदिर में आज भी भगवान विष्णु की पत्नी भूदेवी की चांदी की प्रतिमा विराजमान है।

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