ज्योतिष में विश्वास करना या न करना आपकी उसके प्रति धारणा पर आधारित है,परन्तु हमारी धारणाओं से ऊपर भी एक सत्य है जो हमारी जन्मकुंडली के अनुसार जीवन में प्रत्यक्ष रूप से प्रदर्शित होता है। ज्योतिष के माध्यम से जीवन में होने वाली उन सकारात्मक और नकारात्मक घटनाओं को जाना जा सकता है जो पहले से तय है।....जो तय है उसे जानने या उस पर प्रकाश डालने की विशिष्ट विधा का नाम ही ज्योतिष है।
ज्योतिष को लेकर समाज में जितनी श्रद्धा और विश्वास है, उतना ही भ्रम भी व्याप्त है...कई लोगों को लगता है कि ज्योतिष के माध्यम से हर समस्या का समाधान पाया जा सकता है, तो कुछ लोग यह भी समझते हैं कि यह पूर्ण रूप से अन्धविश्वास है। लेकिन ये दोनों ही सही नहीं है। दरअसल ज्योतिष पूर्ण रूप से विज्ञान है...और सही तरीके से इसका पालन किया जाए तो बिलकुल सटीक जानकारी का माध्यम भी ...फिर चाहे वो जानकारी आपके जीवन की विभिन्न घटनाओं की हो या फिर भौगोलिक परिवर्तनों की....यही कारण है कि ब्रह्माण्ड में होने वाली भौगोलिक घटनाओं का महत्त्व और सटीक वर्णन ज्योतिष में मिलता है। इसी प्रकार अमावस्या, पूर्णिमा, विभिन्न तिथियां, पर्व, व्रत त्योहारों की सटीक जानकारी पंचांग के माध्यम से हम जान पाते हैं क्यूंकि ये सभी निर्धारित हैं।
जैसा कि मैंने बताया कि ज्योतिष एक सत्य है जो पहले से निर्धारित है, और सत्य कभी बदल नहीं सकता। अगर आप उसे स्वीकार नहीं करते, तो उसे नकारा भी नहीं जा सकता..वैसे ही इसके माध्यम से जो जानकारियां हम प्राप्त करते हैं वे भी सत्य है जिसे बदला नहीं जा सकता और न ही नकारा जा सकता है। लेकिन उनके प्रभाव को कम या ज्यादा करके काफी हद तक बचा अवश्य जा सकता है। उदाहरण के लिए बारिश को रोका नहीं जा सकता परन्तु छाता लगाकर या अन्य उपाय करके उससे बचा ज़रूर जा सकता है।
चूंकि जीवन, मृत्यु और जीवन की घटनाएं विधाता द्वारा पहले से निर्धारित हैं, अतः ज्योतिष विधा के माध्यम से उसे पढ़ा अवश्य जा सकता है और उनके प्रभाव को कम या ज्यादा कर जीवन में होने वाली हानि या नुकसान को कम किया जा सकता है या उससे बचा जा सकता है....साथ ही लाभ प्राप्त किया जा सकता है।