Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

15 अगस्त को नागपंचमी, जानिए कैसे मनाएं यह पावन पर्व, पढ़ें विशेष मंत्र

हमें फॉलो करें 15 अगस्त को नागपंचमी, जानिए कैसे मनाएं यह पावन पर्व, पढ़ें विशेष मंत्र
webdunia

पं. हेमन्त रिछारिया

हमारे सनातन धर्म में ईश्वर को समग्ररूपेण देखने की परम्परा है। इसी वजह से हमने समस्त जड़-चेतन में परमात्मा को प्रत्यक्ष मानकर उनकी आराधना की है। यही कारण है कि जब हम ईश्वर के चैतन्य स्वरूप की बात करते हैं तो उसमें केवल मनुष्य ही नहीं अपितु समस्त पशु-पक्षियों का भी समावेश हो जाता है।

हमारी धार्मिक परम्परा में विलग-विलग अवसर पर पशु-पक्षियों के दर्शन व पूजा का विधान है। इसी क्रम में नागपंचमी का पर्व भी मनाया जाता है। नाग को शास्त्रों में काल(मृत्यु) का प्रत्यक्ष स्वरूप माना गया है। वहीं व्यावहारिक रूप में इसे वन्य जीव संरक्षण से जोड़कर देखा जा सकता है। इस वर्ष नागपंचमी 15 अगस्त को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं कि नागपंचमी कैसी मनाई जानी चाहिए-
 
-नागपंचमी के दिन प्रात: काल स्नान करने के उपरान्त शुद्ध होकर यथाशक्ति (स्वर्ण, रजत, ताम्र) दो नाग की प्रतिष्ठा कर उनका धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पंचोपचार अथवा षोडषोपचार पूजन करना चाहिए। तत्पश्चात् सर्पसूक्त से प्रतिष्ठित नागों का दुग्धाभिषेक करना चाहिए। अभिषेक के पश्चात् हाथ जोड़कर निम्न प्रार्थना करनी चाहिए।
 
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपालं धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात: काले विशेषत:।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
 
उक्त प्रार्थना करने के बाद पूर्ण श्रद्धाभाव से प्रणाम कर एक नाग को किसी भी शिव-मन्दिर में शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए तथा दूसरे नाग को दूध से भरे दोने (पात्र) में रखकर किसी पवित्र नदी या बहते जल में निम्न विसर्जन प्रार्थना से प्रवाहित करना चाहिए।
 
विसर्जन प्रार्थना-
 
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता:॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतड़ागेषु तेषु सर्वेषु वै नम"॥
 
जिन जातकों की जन्मपत्रिका में कालसर्प दोष हो उन जातकों को नागपंचमी वाले दिन उक्त पूजा अवश्य करनी चाहिए। नागपंचमी वाले दिन कालसर्प दोष निवारण पूजा करने से विशेष लाभ होता है।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

चूड़ी, पायल, बिछिया सिर्फ सुहाग की सामग्री नहीं है, वैज्ञानिक कारण हैं इनके पीछे, जानकर अचरज होगा आपको