Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

ग्रहों की अवस्था और अंश पर यह जानकारी आपको नहीं होगी

हमें फॉलो करें ग्रहों की अवस्था और अंश पर यह जानकारी आपको नहीं होगी
webdunia

पं. हेमन्त रिछारिया

-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
 
जिस प्रकार इस जगत में मनुष्यों की बाल, कुमार, युवा एवं वृद्ध अवस्थाएं होती हैं, ठीक उसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की भी बाल, कुमार, युवा एवं वृद्ध अवस्थाएं होती हैं। ग्रहों की ये अवस्थाएं जातक के जन्मांग फलित ठीक उसी प्रकार प्रभावित करती हैं, जैसे मानव की अवस्थाएं उसके जीवन को।
 
मनुष्य अपनी कुमार व युवावस्था में बलवान व सशक्त होता है। ग्रह भी अपनी अपनी कुमार व युवावस्था में बलवान व सशक्त होता है। अब यदि जन्मांग चक्र में शुभ ग्रह बलवान हुआ तो वह जातक अत्यंत शुभ फल प्रदान करेगा और यदि शुभ ग्रह अशक्त व निर्बल हुआ तो वह जातक शुभ फल प्रदान करने में असमर्थ रहेगा। अत: जातक की कुंडली में शुभ ग्रहों का ग्रहावस्था अनुसार बलवान व सशक्त होना अतिआवश्यक होता है।
 
मनुष्यों की विविध अवस्थाएं उसकी आयु के अनुसार तय होती हैं जबकि ग्रहों की उनके अंशों के अनुसार। ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक ग्रह 30 अंश का माना गया है।

webdunia
आइए जानते हैं कि ग्रह कितने अंश तक किस अवस्था में होता है-
 
1. यदि ग्रह विषम राशि में स्थित होता है तब यह-
 
* 0-6 अंश तक बाल अवस्था
* 6-12 अंश तक कुमार अवस्था
* 12-18 अंश तक युवा अवस्था
* 18-24 अंश तक वृद्ध अवस्था 
* 24-30 अंश तक मृतावस्था का माना जाता है। 
 
2. यदि ग्रह सम राशि में स्थित होता है तब यह-
 
* 0-6 अंश तक मृतावस्था 
* 6-12 अंश तक वृद्ध अवस्था 
* 12-18 अंश तक युवा अवस्था
* 18-24 अंश तक कुमार अवस्था वृद्ध अवस्था 
* 24-30 अंश तक बाल अवस्था का माना जाता है। 
 
कुछ मत-मतांतर से ग्रह को 18-24 तक प्रौढ़ एवं 24-30 अंश तक वृद्ध मानते हैं और केवल शून्य (0) अंशों का होने पर ही मृत मानते हैं। जैसा कि उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि शुभ ग्रहों का उनकी अवस्था के अनुसार बलवान व सशक्त होना जातक को शुभ फल प्रदान करने हेतु अतिआवश्यक होता है। 
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
संपर्क: astropoint_hbd@yahoo.com

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

9 जुलाई को है ताप्ती जयंती : पढ़ें पवित्र नदी के जन्म की पौराणिक कथा