अपने घर में जरूर रखें पीतल के बर्तन, पढ़ें बहुउपयोगी जानकारी

Webdunia
Brass Utensils
 
भारत के कई क्षेत्रों में आज भी सनातनधर्मी जन्म से लेकर मृत्यु के उपरांत तक पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं। स्थानिक मान्यताओं के अनुसार बालक के जन्म पर नाल छेदन करने के उपरांत पीतल की थाली तो छुरी से पीटा जाता है। मान्यता है कि इससे पितृगण को सूचित किया जाता है कि आपके कुल में जल और पिंड दान करने वाले वंशज का जन्म हो चुका है। मृत्यु के उपरांत अंत्येष्टि क्रिया के 10वें दिन अस्थि विसर्जन के उपरांत नारायणवली व पीपल पर पितृ जलां‍जलि मात्र पीतल कलश से दी जाती है। 
 
मृत्यु संस्कार के अंत में 12वें दिन त्रिपिंडी श्राद्ध व पिंडदान के बाद 12वीं के शुद्धि हवन व गंगा प्रसादी से पहले पीतल के कलश में सोने का टुकड़ा व गंगा जल भरकर पूरे घर को पवित्र किया जाता है। 
 
पीतल के बर्तन घर में रखना शुभ माना जाता है। सेहत की दृष्टि से पीतल के बर्तनों में बना भोजन स्वादिष्ट तुष्टि-प्रदाता होता है तथा इससे आरोग्य और शरीर को तेज प्राप्त होता है। पीतल का बर्तन जल्दी गर्म होता है जिससे गैस तथा अन्य ऊर्जा की बचत होती है। पीतल का बर्तन दूसरे बर्तनों से ज्यादा मजबूत और जल्दी न टूटने वाला धातु है। पीतल के कलश में रखा जल अत्यधिक ऊर्जा प्रदान करने में सहायक होता है।
 
 
पीतल अथवा ब्रास एक मिश्रित धातु है। पीतल का निर्माण तांबा व जस्ता धातुओं के मिश्रण से किया जाता है। पीतल शब्द पीत से बना है तथा संस्कृत में पीत का अर्थ पीला होता है तथा धार्मिक दृष्टि से पीला रंग भगवान विष्णु को संबोधित करता है। सनातन धर्म में पूजा-पाठ व धार्मिक कर्म हेतु पीतल के बर्तन का ही उपयोग किया जाता है। वेदों के खंड आयुर्वेद में पीतल के पात्रों को भगवान धन्वं‍तरि का अतिप्रिय बताया गया है।
 
 
पीतल के पात्रों का महत्व ज्योतिष व धार्मिक शास्त्रों में भी बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सुवर्ण व पीतल की ही भांति पीला रंग देवगुरु बृहस्पति को संबोधित करता है तथा ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार पीतल पर देवगुरु बृहस्पति का आधिपत्य होता है। बृहस्पति ग्रह की शांति हेतु पीतल का उपयोग किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह शांति व ज्योतिष अनुष्ठानों में दान हेतु भी पीतल के बर्तन दिए जाते हैं।
 
 
पीतल के बर्तनों का कर्मकांड में अत्यधिक महत्व है। वैवाहिक कार्य में वेदी पढ़ने हेतु व कन्या दान के समय पीतल का कलश प्रयोग किया जाता है। शिवलिंग पर दूध चढ़ाने हेतु भी पीतल के कलश का उपयोग किया जाता है तथा बगलामुखी देवी के अनुष्ठानों में मात्र पीतल के बर्तन ही प्रयोग लिए जाते हैं।
 
पीतल पीले रंग का होने से हमारी आंखों के लिए टॉनिक का काम करता है। पीतल का उपयोग थाली, कटोरे, गिलास, लोटे, गगरे, हंडे, देवताओं की मूर्तियां व सिंहासन, घंटे, अनेक प्रकार के वाद्य यंत्र, ताले, पानी की टोंटियां, मकानों में लगने वाले सामान और गरीबों के लिए गहने बनाने में होता है।
 
 
1. भाग्योदय हेतु पीतल की कटोरी में चना दाल भिगोकर रातभर सिरहाने रखें व सुबह चना दाल पर गुड़ रखकर गाय को खिलाएं। 
 
2. अटूट धन प्राप्ति हेतु पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण पर शुद्ध घी से भरा पीतल का कलश चढ़ाकर निर्धन विप्र को दान करें।
 
3. लक्ष्मी की प्राप्ति हेतु वैभवलक्ष्मी का पूजन कर पीतल के दीये में शुद्ध घी का दीपक करें। 
 
4. दुर्भाग्य से मुक्ति पाने हेतु पीतल की कटोरी में दही भरकर कटोरी समेत पीपल के नीचे रखें।
 
 
5. सौभाग्य प्राप्ति हेतु पीतल के कलश में चना दाल भरकर विष्णु मंदिर में चढ़ाएं।

 महाभारत में वर्णित एक वृत्तांत के अनुसार सूर्यदेव ने द्रौपदी को पीतल का अक्षय पात्र वरदानस्वरूप दिया था जिसकी विशेषता थी कि जब तक द्रौपदी चाहे जितने लोगों को भोजन करा दे, खाना घटता नहीं था। 
Show comments

ज़रूर पढ़ें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Indian Calendar 2025 : जानें 2025 का वार्षिक कैलेंडर

Vivah muhurat 2025: साल 2025 में कब हो सकती है शादियां? जानिए विवाह के शुभ मुहूर्त

रावण का भाई कुंभकरण क्या सच में एक इंजीनियर था?

शुक्र का धन राशि में गोचर, 4 राशियों को होगा धनलाभ

सभी देखें

नवीनतम

23 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

23 नवंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

Vrishchik Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: वृश्चिक राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती कब है? नोट कर लें डेट और पूजा विधि

Tula Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: तुला राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

अगला लेख
More