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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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क्या आपकी कुंडली में है लग्जरी वाहन का सुख? जानने के लिए पढ़ें 10 बातें

हमें फॉलो करें क्या आपकी कुंडली में है लग्जरी वाहन का सुख? जानने के लिए पढ़ें 10 बातें
वैसे तो आजकल हर किसी के पास स्वयं का वाहन होता है, लेकिन महंगे और लग्जरी वाहन की लालसा कभी समाप्त नहीं होती। अगर आपकी कुंडली में वाहन सुख अच्छा है, तो आप मनचाहे वाहन के स्वामी हो सकते हैं और एक से अधिक वाहनों का सुख आपको प्राप्त हो सकता है।
 
इसके लिए कुंडली में उन भावों और ग्रहों का आकलन किया जाता है, जो वाहन सुख देने के लिए जिम्मेदार होते हैं। आप भी जानिए कुंडली अनुसार वाहन सुख की स्थिति और उपाय - 
  
1 चूंकि वाहन भी संपत्त‍ि का एक हिस्सा माना जाता है, अत: जीवन में वाहन के सुख के लिए भी कुंडली के चौथे भाव को देखा जाता है। 
 
2 अगर कुंडली में चौथा भाव मजबूत है, चौथे भाव का स्वामी शुभ स्थिति में है या चौथे भाव में बैठा ग्रह या इस पर आने वाली दृष्ट‍ियां शुभ योग का निर्माण करती हैं, तो वह वाहन सुख में वृद्धि करता है।
 
3 लेकिन अगर किसी भी प्रकार से कुंडली का चौथा भाव कमजोर है, तो वाहन सुख में कमी या संघर्ष की स्थिति पैदा करता है। 
 
4 शुक्र ग्रह विलासिता और वाहन का कारक है। अगर कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति अच्छी है, तो आप मनचाहे वाहन के स्वामी बन सकते हैं। 
 
5 लेकिन कुंडली में शुक्र का कमजोर होना या अच्छी स्थिति में नहीं होना भी वाहन सुख में कमी कर सकता है। इसी प्रकार दो पहिया वाहन के लिए बुध को देखा जा सकता है।
 
6 कुंडली के चौथे भाव का राहु से पीड़ित होना भी वाहन सुख में कमी करता है, इस स्थि‍ति में राहु इंसान को चाहकर भी वाहन नहीं खरीदने देता। 
 
7 राहु-शनि-मंगल चौथे भाव को प्रभावित करें तो गाड़ी का इंजन जल्दी-जल्दी खराब होता है अर्थात गाड़ी अधिकतर समय गैराज में ही रहती है। चन्द्रमा खराब हो तो ड्राइविंग सही नहीं होती और दुर्घटनाएं हो जाती है। 
 
जानिए वाहन सुख हेतु उपाय -  
 
  • कुंडली में चौथे भाव में कोई दोष हो तो किसी ज्योतिष की सलाह से उसे दूर करने का प्रयास करें।
  • दोषी ग्रह, नीच ग्रह, मारकेश के रंग की गाड़ी कदापि न लें। मंगल शनि खराब हों तो काली, लाल व नीले रंग की गाड़ी न खरीदें। गाड़ी का नंबर जन्मांक के विपरीत न लें। लोहे का दान करें। 
  • सबसे सरल उपाय यह है कि किसी भी मंदिर में देवता के वाहन को पहले पूजें। जैसे शिव मंदिर में नंदी को, गणेश मंदिर में चूहे को, दुर्गा मंदिर में सिंह को और बाद में प्रतिमा की पूजन करें।  

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