हिन्दू पर्वों के साथ यह उलझन हमेशा आती है जब दो तिथियां होती है या एक तिथि अलोप होती है। या फिर जब पंचांगों में भिन्नता होती है या विद्वानों में फिर मत मतांतर होता है। ऐसे में बड़े त्योहार कब और कैसे बनाएं यह दुविधा होती है।
इस बार यह सवाल महालक्ष्मी यानी गजलक्ष्मी व्रत को लेकर हो रहा है कि कब इसे मनाया जाना उचित है। वेबदुनिया ने पंडितों की राय ली है, और उसे वैसे ही प्रस्तुत कर दिया है जैसा बताया गया है अत: सबके विचार जानकर आप अपना अभिमत खुद बनाएं और निर्णय स्वविवेक से लें...
वेबदुनिया के पाठकों के लिए ज्योतिर्विद पंडित हेमंत रिछारिया मानते हैं कि यह व्रत 28 को मनाया जाना उचित है। उनके अनुसार पूजा का शुभ समय होगा 28 सितंबर की दोपहर 3.00 से 4:30 और सायंकाल 7:30-9.00
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 28 सितंबर, दिन मंगलवार को शाम 06.16 मिनट पर हो शुरू होकर इसका समापन 29 सितंबर को रात के 08.29 मिनट पर होगा। उदया तिथि के कारण इस व्रत को 29 सितंबर को भी रखा जाएगा।
पंडित विशाल जोशी के अनुसार यह व्रत 29 को मनाया जाना उचित है, क्योंकि श्राद्ध पक्ष में 26 को कोई भी तिथि मान्य नहीं हुई है अत: 27 को षष्ठी व सप्तमी आधे-आधे दिन है। 27 तारीख को सप्तमी का श्राद्ध माना गया है उस हिसाब से और उदया तिथि के अनुसार 29 सितंबर को पर्व मनाया जाना सही होगा...
ज्योतिषी वंदना शर्मा का कहना है कि 28 और 29 दोनों दिन पर्व की पूजा की जा सकती है। पंचांग भेद के बावजूद दोनों दिन शुभ समय पर पूजा की जा सकती है। चूंकि गजलक्ष्मी व्रत की पूजा शाम के समय होती है अत: 28 की शाम 8 के बाद और 29 की शाम 8 बजे से पहले करना उचित होगा। 29 सितंबर को रात के 08.29 मिनट के बाद नवमी तिथि लग जाएगी...
पंडित सुरेंद्र बिल्लौरे के अनुसार, मंगलवार, 28 सितंबर 2021 को अष्टमी श्राद्ध किया जाएगा। गजलक्ष्मी देवी का पूजन 29 सितंबर को होगा, क्योंकि 29 सितंबर को उदया तिथि में अष्टमी होने के कारण इस पूरे दिन अष्टमी तिथि रहेगी। अत: 29 सितंबर का दिन ही गजलक्ष्मी पूजन के लिए उचित माना जाएगा।
अगर आप गजलक्ष्मी का पूजन कर रहे हैं तो वह 29 सितंबर को करना सही होगा। लेकिन अष्टमी का श्राद्ध 28 सितंबर को ही किया जाएगा।
वहीं पंडित अशोक पंवार के अनुसार 28 सितंबर को सप्तमी तिथि शाम 18:16 यानी शाम 6 बजकर 16 मिनट तक होने से महालक्ष्मी व्रत पूजन 28 सितंबर को ही मनाया जाना चाहिए।
जानकारी वेबदुनिया से बातचीत पर आधारित, पाठक कृपया स्वविवेक और परिचित पंडित से पूछ कर निर्णय लें।