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Year 2020 : वर्ष 2020 में कैसा होगा ग्रहों का मंत्रिमंडल? बुध होंगे राजा तो चंद्र होंगे गृहमंत्री, जानिए कहां मचेगी उथल-पुथल

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पं. हेमन्त रिछारिया

जिस प्रकार देश को संचालित करने के लिए सरकार की आवश्यकता होती है, जो मंत्रिमंडल बनाकर देश को संचालित करती है, ठीक उसी प्रकार शास्त्रों में ग्रहों के मंत्रिमंडल की भी व्यवस्था है। ग्रहों का यह मंत्रिमंडल समूचे विश्व को संचालित करता है।
 
यह मंत्रिमंडल नवसंवत्सर के साथ ही प्रतिवर्ष बदलता रहता है। आइए जानते हैं वर्ष 2020 में ग्रहों का मंत्रिमंडल कैसा होगा? प्रमादी नामकीय संवत्सर 2077 के प्रारंभ होते ही निम्न मंत्रिमंडल अपना कार्यभार लेकर विश्व का संचालन प्रारंभ करेगा, जो निम्न प्रकार से होगा-
 
1. राजा (प्रधानमंत्री)- बुध- नवीन संवत्सर 2077 में राजा (प्रधानमंत्री) बुध होंगे, जो मंत्रिमंडल के प्रमुख होंगे। बुध के राजा होने से विश्व में मंगल होगा। जनता स्वस्थ रहेगी एवं सुभिक्ष व धन-धान्य से परिपूर्ण होकर सुखपूर्वक वर्ष व्यतीत करेगी।
 
2. मंत्री (गृहमंत्री)- देश की सरकार में जिस प्रकार गृहमंत्री को सरकार में द्वितीय स्थान दिया जाता है, उसी प्रकार ग्रहों के मंत्रिमंडल में यह भूमिका मंत्री की होती है। नवीन संवत्सर 2077 में चंद्रमा मंत्री होंगे। चंद्रमा के मंत्री होने से विश्व में सुख-शांति रहेगी, फसल उत्पादन में अधिकता होगी, वर्षा अधिक होगी।
 
3. धनेश (वित्तमंत्री)- देश के संचालन हेतु वित्त की व्यवस्था करना वित्तमंत्री की जिम्मेवारी होती है, ग्रहों के मंत्रिमंडल में यह कार्य धनेश करते हैं। नवीन संवत्सर 2077 में धनेश का यह पद गुरु के पास है। नए वर्ष में गुरु धनेश होंगे। गुरु के धनेश होने से विश्व में रोजगार बढ़ेगा, व्यापारियों को लाभ होगा, जनता को धन-धान्य का लाभ होगा।
 
4. दुर्गेश (रक्षामंत्री)- जिस प्रकार देश की सरकार में कभी-कभी एक मंत्री दो मंत्रालय संभालता है, उसी प्रकार ग्रहों के मंत्रिमंडल में भी ऐसा होता है। नवीन वर्ष में दुर्गेश चंद्रमा होंगेल जो इस वर्ष मंत्री भी हैं। चंद्र के दुर्गेश होने से विश्व में समुचित शासन व्यवस्था होगी।
 
5. रसेश (कृषि /खाद्य)- नवीन वर्ष में रसेश शनि होंगे। शनि के रसेश होने से खाद्य पदार्थों का नाश होगा। कहीं-कहीं दुर्भिक्ष व सूखा पड़ेगा। जनता रसयुक्त पदार्थों से वंचित रहेगी। दूध, दही, फलों के रसों के दाम बढ़ेंगे।
 
(निवेदन : उपर्युक्त विवेचन पंचांग आधारित होकर समूचे विश्व के संबंध में है, अत: इसे व्यक्तिगत फलित एवं केवल भारत के संदर्भ में न देखें।)
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमंत रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
 

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