आखिर अयोध्या से योगी आदित्यनाथ को चुनाव लड़ने से क्यों रोका गया?

संदीप श्रीवास्तव
सोमवार, 31 जनवरी 2022 (23:49 IST)
अयोध्या। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ के अयोध्या विधानसभा से चुनाव लड़ने की खबर बड़ी तेजी के साथ आ रही थी। इसी बीच, उनका चुनाव क्षेत्र बदलते हुए गोरखपुर कर दिया गया। आखिर योगी अयोध्या से चुनाव क्यों नहीं लड़े? 
 
इस बात का खुलासा करते हुए श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या के मुख्य पुजारी महंत सत्येन्द्र दास ने वेबदुनिया से बात करते हुए कहा कि योगी को अयोध्या विधानसभा से चुनाव न लड़ने का सुझाव हमने ही दिया था। सत्येन्द्र दास ने कहा कि मैंने मुख्‍यमंत्री से कहा था कि आप गोरखपुर से चुनाव लड़ें क्योंकि अयोध्या में राम जन्मभूमि का जो कार्य चल रहा है, उससे कुछ लोग भी प्रभावित हो रहे हैं। रास्ते के चौड़ीकरण के चलते भी काफी लोग प्रभावित हुए हैं। इन सब लोगों को लग रहा है कि मुख्यमंत्री ही सब करा रहे हैं। इनमें कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अवैध रूप से निवास कर रहे थे, उन्हें भी प्रशासन ने हटा दिया। इससे लोगों में नाराजगी है। 
 
ऐसे में हमने सुझाव दिया कि आप गोरखपुर से चुनाव लड़ें। प्रदेश में भाजपा को कितनी सीटें मिल सकती हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने कामों से जनता को कितना प्रभावित किया है, यह इस पर निर्भर करेगा। हालांकि उन्होंने कहा कि योगीजी के अयोध्या से चुनाव लड़ने पर जितना प्रभाव पड़ता उतना ही गोरखपुर से भी चुनाव लड़ने पर पड़ेगा। वहां से भी लड़ने पर आसपास के क्षेत्र पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा और आसानी जीत पाएंगे, इसमें कोई संशय नहीं है। 
 
राम मंदिर मुद्दा भाजपा के लिए कितना प्रभावी होगा? इस सवाल के जवाब में सत्येन्द्र दास ने कहा कि राम मंदिर मुद्दे से भाजपा को बहुत लाभ मिला है। किसी समय इनके दो सांसद थे और इसी मुद्दे के चलते आज 303 सांसद हैं। केन्द्र के साथ ही कई राज्यों में इनकी सरकारें हैं। यह सब इस राम मंदिर से ही मिला क्योंकि राम के नाम से परमधाम की प्राप्ति हो जाती है। आज भाजपा जो कुछ भी है वह श्रीराम के कृपा प्रसाद से है। 
उन्होंने कहा कि भाजपा को राम मंदिर मुद्दा अपने एजेंडे में रखना ही पड़ेगा। योगी आदित्यनाथ के दुबारा मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इसमें कोई संशय नहीं है कि योगीजी फिर यूपी के मुख्‍यमंत्री बनने जा रहे हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि इस बार के चुनाव में सीटें जरूर कम होंगी क्योंकि कृषि कानून के तहत किसानों की समस्या है, जिसका असर जरूर पड़ेगा। 
 
महंत दास ने कहा कि साधु-संतों को राजनीति में नहीं आना चाहिए। सभी राजनीतिज्ञों को आशीर्वाद देना चाहिए। हमारे यहां जिस भी पार्टी के लोग आते हैं, उन्हें आशीर्वाद देते हैं। यदि साधु किसी पार्टी के साथ जुड़ता है तो वह एक ही पार्टी का होता है। साधु-संत सांसद, विधायक बनने के लिए नहीं बल्कि आशीर्वाद देने के लिए होते हैं।
 
अयोध्या में भाजपा की स्थिति पर चर्चा करते हुए महंत सत्येन्द्र दास ने कहा कि अयोध्या मे व्यापारी ही भाजपा के विरोध मे हैं। हालांकि भाजपा ने यहां से व्यापारी को ही टिकट भी दिया है। वेदप्रकाश गुप्ता व्यापारी हैं, अब व्यापारियों को वे कितना जोड़ पाते हैं या संतुष्ट कर पाते हैं यह तो परिणाम आने पर ही पता चलेगा, लेकिन अयोध्या जनपद कि पांचों सीटें भाजपा ही जीतेगी। 

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