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गोरखपुर में मौर्य और दारा की भरपाई के लिए BJP को आरपीएन पर भरोसा, CM योगी की छवि का सहारा

हमें फॉलो करें गोरखपुर में मौर्य और दारा की भरपाई के लिए BJP को आरपीएन पर भरोसा, CM योगी की छवि का सहारा
, रविवार, 30 जनवरी 2022 (20:29 IST)
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने गोरखपुर क्षेत्र में स्‍वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान समेत कई दिग्गजों के समाजवादी पार्टी में जाने से पिछड़ों की राजनीति में आई रिक्तता की भरपाई के लिए जहां कांग्रेस सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री कुंवर आरपीएन सिंह पर भरोसा जताया है, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस क्षेत्र में उतारकर उनकी हिंदुत्व और विकास की छवि से चुनाव अपने पक्ष में करने की रणनीति बनाई है। इस क्षेत्र में विपक्षी दलों के दिग्गजों के प्रभाव को देखते हुए भी भाजपा ने अपनी रणनीति बनाई है।

भारतीय जनता पार्टी ने अपने संगठनात्मक ढांचे को उत्तर प्रदेश में छह भागों में बांटा है जिसमें पश्चिम क्षेत्र, ब्रज क्षेत्र, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध और काशी क्षेत्र के अलावा गोरखपुर क्षेत्र शामिल हैं। गोरखपुर क्षेत्र में कुल दस जिले गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, आजमगढ़, बलिया और मऊ शामिल हैं। कुल 62 विधानसभा क्षेत्रों वाले इन जिलों में छठे और सातवें चरण में क्रमश: तीन मार्च और सात मार्च को मतदान होना है।

भाजपा गोरखपुर क्षेत्र के उपाध्यक्ष सत्‍येंद्र सिन्‍हा ने कहा कि योगी जी वर्ष 2017 में सांसद रहते हुए पार्टी के स्‍टार प्रचारक थे और उनकी वजह से गोरखपुर क्षेत्र में भाजपा को बहुत लाभ मिला और इस बार तो वे मुख्यमंत्री हैं। गोरखपुर विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी हैं तो निश्चित ही दोबारा उनके नेतृत्व में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी और इस चुनाव में भाजपा को एकतरफा लाभ मिलेगा।

भाजपा गोरखपुर क्षेत्र के पंचायत प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय संयोजक कुशीनगर जिले के निवासी अजय तिवारी ने कहा कि कुंवर आरपीएन के आने से पूर्वांचल में भाजपा को मजबूती मिलेगी और दलितों, पिछड़ों और सभी वर्ग के बीच वह लोकप्रिय हैं। उन्‍होंने कहा कि स्‍वामी प्रसाद के सपा में जाने से भाजपा को कोई नुकसान नहीं होगा, क्योंकि इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी की विकास की छवि का लाभ भाजपा को मिलेगा।

गौरतलब है कि भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर क्षेत्र की 62 विधानसभा सीटों में 44 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि समाजवादी पार्टी को सात, बहुजन समाज पार्टी को सात, कांग्रेस को एक तथा एक निर्दलीय को जीत मिली थी। इसके अलावा तब भाजपा की साझीदार रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और अपना दल (सोनेलाल) को भी इस इलाके की एक-एक सीट पर जीत मिली थी।

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की अगुवाई वाले अपना दल (एस) का भाजपा से गठबंधन बना हुआ है। लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश के इन इलाकों में सक्रिय प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने अपनी पार्टी सुभासपा का सपा के साथ गठबंधन किया है और वह भाजपा के खिलाफ मैदान में माहौल बना रहे हैं।

जानकारों के अनुसार गोरखपुर क्षेत्र के 10 जिलों में करीब 52 फीसदी पिछड़ी जातियों के अलावा, 20 फीसदी अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। यहां के अलग-अलग क्षेत्रों में पिछड़ी कुर्मी-सैंथवार, मौर्य-कुशवाहा, यादव, राजभर, नोनिया- चौहान बिरादरी की निर्णायक संख्या है, जबकि दलितों में जाटव के अलावा पासी, खटीक, बेलदार, धोबी भी कुछ क्षेत्रों में अच्छी तादाद में हैं। सवर्ण बिरादरी में ब्राह्मण और क्षत्रिय के अलावा कायस्थ भी लगभग सभी जिलों में हैं। मऊ, आजमगढ़ और पडरौना समेत करीब 15 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाता भी अपना दखल रखते हैं।

राज्य सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य (पडरौना-कुशीनगर) और दारा सिंह चौहान (मधुबन-मऊ), विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी (बांसडीह-बलिया), प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू (तमकुहीराज-कुशीनगर), विधानसभा में बसपा के दल नेता उमाशंकर सिंह (रसड़ा-बलिया) तथा बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का निर्वाचन क्षेत्र मऊ भी गोरखपुर क्षेत्र में ही है।

यहां तक कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का संसदीय निर्वाचन क्षेत्र आजमगढ़ भी इसी क्षेत्र में आता है, हालांकि वह विधानसभा चुनाव में मैनपुरी की करहल सीट से उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। प्रदेश स्तर के कई दिग्गज गोरखपुर क्षेत्र की चुनावी रणभूमि में मतदाताओं की कसौटी पर होंगे।

हाल के दिनों में सपा में शामिल होने वाले संत कबीर नगर जिले के भाजपा विधायक जय चौबे और सिद्धार्थनगर जिले के शोहरतगढ़ क्षेत्र से अपना दल एस के कुर्मी बिरादरी के विधायक अमर सिंह चौधरी भी इसी क्षेत्र से आते हैं। गोरखपुर में मौर्य, कुशवाहा तथा नोनिया-चौहान बिरादरी के मतदाताओं की अच्छी संख्या है, इसलिए समाजवादी पार्टी ने स्‍वामी प्रसाद और दारा चौहान के जरिए भाजपा के लिए चुनौती खड़ी की है।

भाजपा नेताओं के दावे से इतर समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव जियाउल इस्लाम ने दावा किया कि भाजपा ने जिस तरह झूठे वादे किए और किसानों, नौजवानों, दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों के हितों की उपेक्षा की उसका खामियाजा इस चुनाव में भुगतना पड़ेगा। इस्लाम ने तर्क दिया कि सपा मुखिया अखिलेश यादव की विकास परक और सबको साथ लेकर चलने की छवि तथा स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा चौहान जैसे नेताओं के सपा में आने से यहां सपा उम्मीदवारों को भारी बहुमत की जीत मिलेगी।

उन्होंने कहा कि मौर्य और चौहान अपने अनुभवों से भाजपा और योगी की असलियत आम मतदाताओं को बताएंगे। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी के विधानमंडल दल के नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य तथा लोकसभा में बसपा संसदीय दल के पूर्व नेता दारा सिंह चौहान ने बसपा छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। मौर्य कुशीनगर जिले की पडरौना तथा चौहान मऊ जिले की मधुबन सीट से पिछला चुनाव जीते और योगी की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री बनाए गए थे।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि गोरखपुर क्षेत्र में मजबूत विरोधी चेहरों की चुनौती की वजह से योगी को भाजपा ने यहां से उम्मीदवार बनाया है ताकि सभी सीटों पर उनका लाभ मिल सके। इसी कड़ी में भाजपा ने कांग्रेस सरकार में केंद्र में मंत्री रह चुके पडरौना (कुशीनगर) राज परिवार के कुंवर आरपीएन सिंह को भी पिछले मंगलवार को पार्टी की सदस्यता दिलाई।

कुंवर आरपीएन कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र से सांसद और पडरौना के विधायक भी रह चुके हैं। पिछड़ी कुर्मी-सैंथवार बिरादरी से आने वाले आरपीएन का नाम पूर्वांचल के दिग्गज नेताओं में शुमार है और माना जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा छोड़ने से कुशीनगर समेत आसपास के जिलों में जो खालीपन आया है, कुंवर आरपीएन के आने से भाजपा उसकी भरपाई कर लेगी।

चुनाव में योगी और आरपीएन के प्रभाव को खारिज करते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष गोरखपुर निवासी विश्वविजय सिंह ने कहा कि योगी ने पांच वर्ष तक युवाओं और बेरोजगारों का उत्पीड़न किए और कांग्रेस ने उनके दमन का जवाब दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी जी और प्रियंका गांधी जी देश में अतिवादी ताकतों के खिलाफ लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, आरपीएन सिंह जैसे डरे और सुविधाभोगी लोग इस लड़ाई में साथ नहीं चल सकते, उनका कहीं कोई प्रभाव नहीं रहेगा।(भाषा) 

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