Shri ram vandana: भगवान श्रीराम की आरती, स्तुति के बाद पढ़े श्रीराम वंदना। वंदना भी आरती का ही अंग है। इस वंदना में भी उनके जीवन के संपूर्ण घटनाक्रम को प्रदर्शित किया गया है और इसका गुणगान किया गया है। कभी इस आरती का भी प्रयोग विशेष अवसरों पर किया जा सकता है। इससे प्रभु श्रीराम प्रसन्न होंगे। बंदौ रघुपति करुना निधान, जाते छुटै भव-भेद-ग्यान...
श्री राम वंदना आरती | shri ram vandana
भगवान् श्रीरामचन्द्र
बंदौ रघुपति करुना-निधान।
जाते छुटै भव-भेद-ग्यान।।
रघुबंस-कुमुद-सुखप्रद निसेस।
सेवत पद-पंकज अज महेस।।
निज भक्त-हृदय-पाथोज-भृंग।
लावण्यबपुष अगनित अनंग।।
अति प्रबल मोह-तम-मारतंड।
अग्यान-गहन-पावक-प्रचंड।।
अभिमान-सिन्धु-कुम्भज उदार।
सुररंजन, भंजन भूमिभार।।
रागादि-सर्पगन-पन्नगारि।
कंदर्प-नाग-मृगपति, मुरारि।।
भव-जलधि-पोत चरनारबिंद।
जानकी-रवन आनंद-कंद।।
हनुमंत-प्रेम-बापी-मराल।
निष्काम कामधुक गो दयाल।।
त्रैलोक-तिलक, गुनगहन राम।
कह तुलसिदास बिश्राम-धाम।।
संदर्भ: गीता प्रेस गोरखपुर