shri ram aarti in sanskrit
Shri ram stuti: भगवान श्रीरामचंद्र जी की आरतियां कई हैं। उन्हीं में से एक ऐसी आरती जो आपने शायद ही पढ़ी होगी। कृत्वा शिरसि निदेशं पितुरंसे चापम्... यह आरती के साथ स्तुति भी है। इस आरती में संपूर्ण रामायण या कहें कि श्रीराम के जीवन का वर्णन मिल जाएगा। आओ पढ़ते हैं इस अद्भु श्री राम आरती कृत्वा शिरसि निदेशं पितुरंसे चापम् को।
भगवान श्री राम की आरती स्तुति | shri ram stuti aarti
कृत्वा शिरसि निदेशं पितुरंसे चापम्।
कृतमखरक्षो हृतवान् कौशिकहृत्तापम्।।
गत्वा तेनैव समं मिथिलाधीशसद:।
शिवधनुषा सह भग्न: शूरम्मन्यमद:।।
जय जय रघुकुलभूषण भगवन् दाशरथे।
रमतां त्वयि चित्तमिदं शंकरगीतकथे।।
स्पृष्टा पदरजसा ते शैली मुनियोषा।
साध्वीष्वाद्यं लेभे पदमपगतदोषा।।
उपहृतबदरा शबरी जात्यातिजघन्या।
दृष्ट्वा ते पदपंकजपभवद् भुवि धन्या।।
कपिकुलजोऽप्येको भुवि हनुमान सफलजनु:।
सुधिया येन नियुक्ता तव कार्ये स्वतनु:।।
तीर्णो मृत्यु: कृत्वा त्वां सुहृदं प्रेष्ठम्।
स्थाने प्राहुर्मुनयो यं सुधियां श्रेष्ठम्।।
पारं लवणाम्भोधे: कपिसेनां नेतुम्।
रचयामासिथ जलधे: पृष्ठेऽद्भुतसेतुम्।।
दृष्टे यस्मिञ्जन्तो: शमलं याति लयम्।
पतिते देहे पश्यति नासौ यमनिलयम्।।
पातकपर्वतवज्रं राघव नव नाम।
श्रेय:संपत्तीनां पदकमलं धाम।।
ध्यायन्त्यभ्रश्यामं त्वां शम्भुप्रमुखा:।
केशवसाम्यं यान्ति न तव भजने विमुखा।।
- गीता प्रेस गोरखपुर आरती संग्रह से साभार