Yoga for Sharp Mind: नियमित प्राणायाम करने से मस्तिष्क के दोनों भागों में प्राणवायु का संचार होता है। इससे मस्तिष्क में ऑक्सिजन की पूर्ति होती है। कपालभाति या भस्त्रिका प्राणायाम तेज हवा के अनेक झोंके जैसा है जो मस्तिष्क के बैक्टीरियां को नष्ट करके न्यूरॉन की सक्रियता को बढ़ाता है। इसके साथ यदि आप निम्नलिखित 4 योगासन करते हैं तो आपका दिमाग तेज हो जाएगा।
1. कटिचक्रासन:- कटि का अर्थ कमर अर्थात कमर का चक्रासन। यह आसन खड़े होकर किया जाता है। उक्त आसन में दोनों भुजाओं, गर्दन तथा कमर का व्यायाम होता है। पहले सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएँ। फिर दोनों पैरों में लगभग एक फीट की दूरी रखकर खड़े हो जाएँ। फिर दोनों हाथों को कन्धों के समानान्तर फैलाते हुए हथेलियाँ भूमि की ओर रखें। फिर बायाँ हाथ सामने से घुमाते हुए दाएँ कंधे पर रखें। फिर दायाँ हाथ मोड़कर पीठ के पीछे ले जाकर कमर पर रखिए। ध्यान रखें की कमर वाले हाथ की हथेली ऊपर ही रहे। अब गर्दन को दाएँ कंधे की ओर घुमाते हुए पीछे ले जाएँ। कुछ देर इसी स्थिति में रहें। फिर गर्दन को सामने लाते हुए क्रमश: हाथों को कंधे के समानान्तर रखते हुए अब इसी क्रिया को दाएँ ओर से करने के पश्चात बाएँ ओर से कीजिए। इस प्रकार इसके एक-एक ओर से 5-5 चक्र करें।
2. आंजनेयासन:- हनुमान जी का एक नाम आंजनेय भी है। यह आसन उसी तरह किया जाता है जिस तरह हनुमानजी अपने एक पैर का घुटना नीचे टिकाकर दूसरा पैर आगे रखकर कमर पर हाथ रखते हैं। अंजनेय आसन में और भी दूसरे आसन और मुद्राओं का समावेश है। सर्वप्रथम वज्रासन में आराम से बैठ जाएँ। धीरे से घुटनों के बल खड़े होकर पीठ, गर्दन, सिर, कूल्हों और जांघों को सीधा रखें। हाथों को कमर से सटाकर रखें सामने देंखे। अब बाएं पैर को आगे बढ़ाते हुए 90 डिग्री के कोण के समान भूमि कर रख दें। इस दौरान बायां हाथ बाएं पैर की जंघा पर रहेगा। फिर अपने हाथों की हथेलियों को मिलाते हुए हृदय के पास रखें अर्थात नमस्कार मुद्रा में रखें। श्वास को अंदर खींचते हुए जुड़ी हुई हथेलियों को सिर के ऊपर उठाकर हाथों को सीधा करते हुए सिर को पीछे झुका दें। इसी स्थिति में धीरे-धीरे दाहिना पैर पीछे की ओर सीधा करते हुए कमर से पीछे की ओर झुके। इस अंतिम स्थिति में कुछ देर तक रहे। फिर सांस छोड़ते हुए पुन: वज्रासन की मुद्रा में लौट आए। इसी तरह अब यही प्रक्रिया दाएं पैर को 90 डिग्री के कोण में सामने रखते हए करें।
3. पादांगुष्ठासन:- पलंग या जमीन पर लेट कर दोनों टांगें सीधी कर लें। दोनों टांगें अपनी ओर खींचें। योग बेल्ट की मदद से टांग को सीधा ऊपर उठाएं। घुटना सीधा व पांव का पंजा अपनी ओर खींचकर रखें। आसन को लगभग एक से तीन मिनट के लिए रोकें। आसन को करते समय सांस न रोकें।
4. अर्धमत्स्येन्द्रासन:- बैठकर दोनों पैर लंबे किए जाते हैं। तत्पश्चात बाएँ पैर को घुटने से मोड़कर एड़ी गुदाद्वार के नीचे जमाएँ। अब दाहिने पैर को घुटने से मोड़कर खड़ा कर दें और बाएँ पैर की जंघा से ऊपर ले जाते हुए जंघा के पीछे जमीन पर रख दें। अब बाएँ हाथ को दाहिने पैर के घुटने से पार करके अर्थात घुटने को बगल में दबाते हुए बाएँ हाथ से दाहिने पैर का अँगूठा पकड़ें। अब दाहिना हाथ पीठ के पीछे से घुमाकर बाएँ पैर की जाँघ का निम्न भाग पकड़ें। सिर दाहिनी ओर इतना घुमाएँ कि ठोड़ी और बायाँ कंधा एक सीधी रेखा में आ जाए। नीचे की ओर झुकें नहीं। छाती बिल्कुल तनी हुई रखें।
यह एक तरफ का आसन हुआ। इस प्रकार पहले दाहिने पैर मोड़कर, एड़ी गुदाद्वार के नीचे दबाकर दूसरी तरफ का आसन भी करें। प्रारंभ में पांच सेकंड यह आसन करना पर्याप्त है। फिर अभ्यास बढ़ाकर एक मिनट तक आसन कर सकते हैं।