डायबिटीज एक महामारी है। इसे मधुमेह और शुगर भी कहते हैं। एक अनुमान के मुताबीक दुनिया में 42 करोड़ से ज्यादा लोग इस रोग के शिकार है। यह रोग अनियमित जीवनशैली और अत्यधिक रूप में बाहर का भोजन करने से भी होती है। यह अधिक चिंता करने या अनिद्रा के कारण भी हो सकती है। डायबिटीज से पीड़ित लोगों को हार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। आओ जानते हैं योग से इसे किस तरह से कंट्रोल करें।
1. पद्मासन:
1. पद्मासन में बैठकर दाएं हाथ की हथेली को पहले नाभि पर रखें और बाएं हाथ कि हथेली दाएं हाथ पर रखें। फिर श्वास बाहर निकालते हुए आगे झुककर ठोड़ी भूमि पर टिकाइए। दृष्टि सामने रहे। श्वास अन्दर भरते हुए वापस आएं। इस तरह 4-5 बार करें। या आप नीचे लिखी मुद्रा करें।
2. पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों को पीठ के पीछे ले जाकर दाएं हाथ से बाएं हाथ की कलाई को पकड़े। फिर श्वास बाहर छोड़ते हुए भूमि पर ठोड़ी स्पर्श करें। इस दौरान दृष्टि सामने रखें। ठोड़ी यदि भूमि पर नहीं लगती है, तो यथाशक्ति सामने झुकें।
2.कुर्मासन :
पहली विधि : सबसे पहले आप वज्रासन में बैठ जाएं। फिर अपनी कोहनियों को नाभि के दोनों ओर लगाकर हथेलियों को मिलाकर ऊपर की ओर सीधा रखें। इसके बाद श्वास बाहर निकालते हुए सामने झुकिए और ठोड़ी को भूमि पर टिका दें। इस दौरान दृष्टि सामने रखें और हथेलियों को ठोड़ी या गालों से स्पर्श करके रखें। कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद श्वास लेते हुए वापस आएं। यह आसन और भी कई तरीकों से किया जाता है, लेकिन सबसे सरल तरीका यही है।
दूसरी विधि : सबसे पहले दंडासन की स्थिति में बैठ जाएं। फिर दोनों घुटनों को थोड़ा-सा ऊपर करके कमर के बल झुकते हुए दोनों हाथों को घुटनों के नीचे रखते हुए उन्हें पीछे की ओर कर दें। इस स्थिति में हाथों की बांहे घुटनों को स्पर्श करती हुई और हथेलियां पीछे की ओर भूमि पर टिकी हुई रहेगी। इसके पश्चात्य धीरे-धीरे ठोड़ी को भूमि पर टिका दें। यह स्थिति कुर्मासन की है। सुविधा अनुसार कुछ देर तक रहने के बाद वापस लौट आएं।
3. मंडूकासन : सर्वप्रथम दंडासन में बैठते हुए वज्रासन में बैठ जाएं फिर दोनों हाथों की मुठ्ठी बंद कर लें। मुठ्ठी बंद करते समय अंगूठे को अंगुलियों से अंदर दबाइए। फिर दोनों मुठ्ठियों को नाभि के दोनों ओर लगाकर श्वास बाहर निकालते हुए सामने झुकते हुए ठोड़ी को भूमि पर टिका दें। थोड़ी देर इसी स्थिति में रहने के बाद वापस वज्रासन में आ जाए।
4. पवनमुक्तासन :
यह पीठ के बल लेटकर किया जाने वाला आसन है। पहले शवासन की स्थिति में लेट जाएं। फिर दोनों पैरों को एक-दूसरे से सटा लें। अब हाथों को कमर से सटाएं। फिर घुटनों को मोड़कर पंजों को भूमि पर टिकाएं। इसके बाद धीरे-धीरे दोनों सटे हुए घुटनों को छाती पर रखें। हाथों की कैंची बनाकर घुटनों को पकड़ें। फिर श्वास बाहर निकालते हुए सिर को भूमि से ऊपर उठाते हुए ठोड़ी को घुटनों से मिलाएं। घुटनों को हाथों की कैंची बनी हथेलियों से छाती की ओर सुविधानुसार दबाएं।
करीब 10 से 30 सेकंड तक श्वास को बाहर रोकते हुए इस स्थिति में रहकर पुन: वापसी के लिए पहले सिर को भूमि पर रखें। फिर हाथों की कैंची खोलते हुए हाथों को भूमि पर रखें, तत्पश्चात पैरों को भूमि पर रखते हुए पुन: शवासन की स्थिति में लौट आएं। इसे 2-4 बार करें। इसी आसन को पहले एक पैर से किया जाता है, उसी तरह दूसरे पैर से। अंत में दोनों पैरों से एक साथ इस अभ्यास को किया जाता है। यह एक चक्र पूरा हुआ। इस प्रकार 3 से 4 चक्र कर सकते हैं, लेकिन अधिकतर दोनों पैरों से ही इस अभ्यास को करते हैं।
5. उत्तानपादासन :
विधि : पीठ के बल भूमि पर चित्त लेट जाएं। दोनों हथेलियों को जांघों के साथ भूमि पर स्पर्श करने दें। दोनों पैरों के घुटनों, एड़ियों और अंगूठों को आपस में सटाए रखें और टांगें तानकर रखें। अब श्वास भरते हुए दोनों पैरों को मिलाते हुए धीमी गति से भूमि से करीब डेढ़ फुट ऊपर उठाएं अर्थात करीब 45 डिग्री कोण बनने तक ऊंचे उठाकर रखें। फिर श्वास जितनी देर आसानी से रोक सकें उतनी देर तक पैर ऊपर रखें। फिर धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए पांव नीचे लाकर बहुत धीरे से भूमि पर रख दें और शरीर को ढीला छोड़कर शवासन करें।
नोट : सभी आसनों को अपनी क्षमता अनुसार 1 से 2 मिनट तक ही करना चाहिए और 3 से 5 बार ही दोहराना चाहिए।
लाभ : उपरोक्त सभी मुद्राएं पेन्क्रियाज को सक्रिय करके डायबिटीज को कम करने में लाभकारी है। क्योंकि इसके अभ्यास से पेट का उत्तम व्यायाम होता है। जठराग्नि प्रदीप्त होती है तथा गैस, अपचन व कब्ज आदि उदर रोग भी मिट जाते हैं।
टिप्स : 16 घंटे का उपवास : आप यदि रात के भोजन या कहें कि डिनर के बाद 16 घंटे तक उपवास रखेंगे तो आपकी डायबिटीज कंट्रोल में हो जाएगी। सुबह को चाय, दूध या कोई सा भी पदार्थ ग्रहण नहीं करना है। बस गरम जल, ग्रीन टी या नारियल पानी पी सकते हैं।