अंगसंचालन या सूक्ष्म व्यायाम के बाद ही हमें योग के आसन करना चाहिए। मुख्यत: 84 योग आसन हैं उन्हीं में से एक है परिवृत्त पार्श्वकोणासन। आओ जानते हैं कि यह योगासन किस तरह करते हैं और क्या है इसके फायदे।
कैसे करें :
1. सबसे पहले एक दरी या योगा मैट पर ताड़ासन या पर्वतासन की मुद्रा में खड़े हो जाएं।
2. फिर श्वास खींचते हुए दोनों पैरों के बीच 4 या 5 फीट का अंतर करें।
3. श्वास छोड़ते हुए दाएं पैर को 90 डिग्री और बाएं पैर को 60 डिग्री घुमाएं।
4. अब दाएं पैर के घुटने को मोड़ते हुए बाएं पैर के जांघ को सतह के सामानान्तर ले जाएं।
5. अब आप अपने बाएं पैर को सीधा करें और शरीर को दाएं ओर मोड़ दें।
6. दाएं पैर को सतह पर लगाकर रखें और हाथों को नम:स्कार मुद्रा में रखें।
7. इस मुद्रा में कम से कम 10 से 30 सेकंड तक रहें और पुन: क्रमश: पुरानी मुद्रा में लौट आएं।
सरल तरीका :
1. सबसे पहले एक दरी या योगा मैट पर ताड़ासन या पर्वतासन की मुद्रा में खड़े हो जाएं।
2. फिर श्वास खींचते हुए दाहिना पैर आगे लगभग 4 या 5 फीट दूर रखें।
3. फिर बाएं पैर के घुटने को भूमि पर टिका दें।
4. अब दोनों हाथों की नमुस्कार मुद्रा बनाकर कमर को छुकाते हुए मोड़ें और बाएं हाथ की कोहनी को दाहिने पैर के घुटने के पास बार की ओर लगा दें।
5. गर्दन को भी मोड़कर ऊपर की ओर देखें।
6. इस स्थिति में याथाशक्ति कुछ देर तक रुकें और श्वास छोड़ते हुए उल्टे क्रम में पुन: प्रारंभिक स्थिति में लौट आएं।
इस योगासन के फायदे :
1. श्वास लेने की क्षमता में होता है सुधार।
2. रीढ़ की हड्डी के त्रिकास्थि को करता है मजबूत।
3. पाचन क्रिया भी होती है मजबूत।
4. पूरे शरीर को डिटॉक्स करता है।
6. हाथ और पैरों की नसों को मजबूत करता है।
7. ऊपरी धड़, कंधों और सीने को मजबूत बनाता है।