Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Yoga Day : बच्चों के लिए 5 बहुत सरल योग व्यायाम

हमें फॉलो करें Yoga Day : बच्चों के लिए 5 बहुत सरल योग व्यायाम

अनिरुद्ध जोशी

बच्चों का शरीर बहुत ही लचीला होता है इसीलिए वे जल्दी ही सभी तरह के योगासन सीख सकते हैं परंतु बच्चों के शरीर के अनुसार ही उन्हें योग व्यायाम कराना चाहिए क्यों कि लचीला होने के साथ ही उनका शरीर नाजुक भी होता है। ऐसे में ज्यादा कठिन आसन नहीं कराना चाहिए। आओ जानते है सरल योग व्यायाम।
 
 
1. ताड़ासान : यह आसन खड़े होकर किया जाता है। इससे शरीर की स्थिति ताड़ के पेड़ के समान हो जाती है, इसीलिए इसे ताड़ासन कहते हैं। ताड़ासन और वृक्षासन में थोड़ा सा ही फर्क होता है।
 
विधि : यह आसन खड़े रहकर किया जाता है। एड़ी-पंजों को समानान्तर क्रम में थोड़ा दूर रखें। हाथों को सीधा कमर से सटाकर रखें। फिर धीरे-धीरे हाथों को कंधों के समानान्तर लाएँ। फिर जब हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं। पैर की एड़ी भी जमीन से ऊपर उठाकर सावधानी से पंजों के बल खड़े हो जाएं। फिर फिंगर लॉक लगाकर हाथों के पंजों को ऊपर की ओर मोड़ दें और ध्यान रखें कि हथेलियाँ आसमान की ओर रहें। गर्दन सीधी रखें। वापस आने के लिए हाथों को जब पुन: कंधे की सीध में समानान्तर क्रम में लाएँ तब एड़ियों को भी उस क्रम में भूमि पर टिका दें। फिर दोनों हाथों को नीचे लाते हुए कमर से सटाकर पुन: पहले जैसी स्थिति में आ जाएँ। अर्थात विश्राम।
 
लाभ : यह आसन बच्चों की शारीरिक ग्रोथ बढ़ाने में महत्वपूर्ण है।
 
2. आंजनेय आसन : यह आसान बैठकर किया जाता है। हनुमान जी का एक नाम आंजनेय भी है। यह आसन उसी तरह किया जाता है जिस तरह हनुमानजी अपने एक पैर का घुटना नीचे टिकाकर दूसरा पैर आगे रखकर कमर पर हाथ रखते हैं। अंजनेय आसन में और भी दूसरे आसन और मुद्राओं का समावेश है।
 
सर्वप्रथम वज्रासन में आराम से बैठ जाएँ। धीरे से घुटनों के बल खड़े होकर पीठ, गर्दन, सिर, कूल्हों और जांघों को सीधा रखें। हाथों को कमर से सटाकर रखें सामने देंखे। अब बाएं पैर को आगे बढ़ाते हुए 90 डिग्री के कोण के समान भूमि कर रख दें। इस दौरान बायां हाथ बाएं पैर की जंघा पर रहेगा। फिर अपने हाथों की हथेलियों को मिलाते हुए हृदय के पास रखें अर्थात नमस्कार मुद्रा में रखें। श्वास को अंदर खींचते हुए जुड़ी हुई हथेलियों को सिर के ऊपर उठाकर हाथों को सीधा करते हुए सिर को पीछे झुका दें। इसी स्थिति में धीरे-धीरे दाहिना पैर पीछे की ओर सीधा करते हुए कमर से पीछे की ओर झुके। इस अंतिम स्थिति में कुछ देर तक रहे। फिर सांस छोड़ते हुए पुन: वज्रासन की मुद्रा में लौट आए। इसी तरह अब यही प्रक्रिया दाएं पैर को 90 डिग्री के कोण में सामने रखते हए करें।
 
लाभ :  इसका नियमित अभ्यास करने से जीवन में एकाग्रता और संतुलन बढ़ता है।
 
3. विपरीत नौकासन : नौकासन दो तरह से किया जाता है एक पीठ के बल लेटकर और दूसरा पेट के बल लेटकर। नौकासन को पीठ के बल लेटकर किया जाता है, जबकि विपरीत नौकासन को पेट के बल। दोनों ही आसन एक दूसरे कि विपरीत करने के लिए होते हैं। कोई सा भी आसन करें तो दूसरा जरूर करें। यहां जानिए पीठ के बल लेटकर।
 
श्वास अन्दर भरकर हाथ और पैर दोनों ओर से शरीर को उपर उठाइए। पैर, छाती, सिर एवं हाथ भूमि से उपर उठे हुए होने चाहिए। इस अवस्था में शरीर का पूरा वजन नाभि पर आ जाता है। वापस आने के लिए धीरे-धीरे हाथ और पैरों को समानांतर क्रम में नीचे लाते हुए कपाल को भूमि पर लगाएं। फिर पुन: मकरासन की स्थिति में आ जाएँ। इस प्रकार 4-5 बार यह आवृत्ति करें।
 
लाभ : सभी तरह की दुर्बलता दूर होती है। नेत्र ज्योति बढ़ती है।
 
4. त्रिकोणासन : त्रिकोण या त्रिभुज की तरह। यह आसन खड़े होकर किया जाता है। सबसे पले सावधान की मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं। अब एक पैर उठाकर दूसरे से डेढ़ फुट के फासले पर समानांतर ही रखें। मतलब आगे या पीछे नहीं रखना है। अब श्‍वास भरें। फिर दोनों बाजुओं को कंधे की सीध में लाएं। अब धीरे-धीरे कमर से आगे झुके। फिर श्वास बाहर निकालें। अब दाएं हाथ से बाएं पैर को स्पर्श करें। बाईं हथेली को आकाश की ओर रखें और बाजू सीधी रखें।
 
इस दौरान बाईं हथेली की ओर देखें। इस अवस्था में दो या तीन सेकंड रुकने के दौरान श्वास को भी रोककर रखें। अब श्‍वास छोड़ते हुए धीरे धीरे शरीर को सीधा करें। फिर श्‍वास भरते हुए पहले वाली स्थिति में खड़े हो जाएं। इसी तरह श्‍वास निकालते हुए कमर से आगे झुके। अब बाएं हाथ से दाएं पैर को स्पर्श करें और दाईं हथेली आकाश की ओर कर दें। आकाश की ओर की गई हथेली को देखें। दो या तीन सेकंड रुकने के दौरान श्वास को भी रोककर रखें। अब श्‍वास छोड़ते हुए धीरे धीरे शरीर को सीधा करें। फिर श्‍वास भरते हुए पहले वाली स्थिति में खड़े हो जाएं। यह पूरा एक चरण होगा। इसी तरह कम से कम पांच बार इस आसन का अभ्यास करें।
 
लाभ : सभी अंग खुल जाते हैं और उनमें स्फूर्ति का संचार होता है। आंतों की कार्यगति बढ़ जाती है। कब्ज से छुटकारा मिलता है। छाती का विकास होता है। पाचन शक्ति बढ़ती है और भूख भी खुलकर लगती है।
 
5. प्राणायाम : बच्चों को अनुलोम-विलोम प्राणायाम जरूर सिखाएं। इससे उनके शरीर में जहां ऑक्सीजन लेवल बढ़ेगा वहं फेंफड़ों की कार्यक्षमता भी बढ़ेगी और मस्तिष्क का विकास भी होगा। इस प्राणायाम में दाहिनी नाक को बंद करके बाईं नासिका से श्वास लेते हैं और दाहिनी नासिका से श्वास को छोड़ते हैं और फिर बाईं को बंद करके दाहिनी से श्वास लेते हैं और बाईं नासिका से श्वांस छोड़ते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

21 जून : International Yoga Day आज, जानिए एक ही पेज में योग का संपूर्ण ज्ञान