Yogasan : यदि आप भी पेट की गैस और कब्ज से परेशान हो चुके हैं और सच में ही आप इसे छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको हमारे बताए उपाय आजमाना होंगे। नियमित रूप से मात्र 5 योगासन करें और 5 योगा टिप्स आजमाएंगे तो बहुत जल्द ही आप कब्ज और गैस के साथ ही कफ से भी छुटकारा पा लेंगे।
क्या है कब्ज और गैस का कारण : अनियमित भोजन और जीवन शैली इसका मुख्य कारण है। लगातार मसालेदार भोजन करते रहना। फिर कुछ लोग खाने के बाद बैठे रहते हैं या रात को भोजन पश्चात सो जाते हैं। मद्यपान और अत्यधिक भोजन भी इसके कारण हैं। लागातार आलू, चावल जैसी चीजों को बेमेल तरीके से खाने से गैस की समस्या भी होती है। गैस और कब्ज रहता है तो समझो यह सभी गंभीर बीमारियों का मूल कारण बन सकता है।
नुकसान- कब्ज से आँते कमजोर और दुर्गंधयुक्त हो जाती है। ज्यादा समय कब्ज रहने वाली कब्ज हमारी पेनक्रियाज, किडनी और मूत्राशाय पर गंभीर असर डालने लगती है। इससे वायु प्रकोप और रक्त विकार होता है। सिरदर्द, अनिद्रा, चक्कर और भूख न लगने की शिकायत भी रहती है। कब्ज बने रहने से ब्लड प्रेशर भी शुरू हो जाता है। बड़ी आँत में मल जमा रहने से उसमें सड़ांध लग जाती है, जिससे आँतों में सूजन और दाँतों में सड़न जैसे रोग भी उत्पन्न होते है। सड़ांध बनी रहने से मसूड़े भी कमजोर होने लगते हैं।
5 योगा टिप्स आजमाएं : टिप्स आजमाने के पहले चाय, कॉफी, धूम्रपान व मादक वस्तुओं से परहेज तो करें ही साथ ही मसालेदार, गरिष्ठ, बासी व बाजारू खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
1. सर्वप्रथम तीन दिन तक भोजन त्यागकर सिर्फ घी मिली खिचड़ी खाएं।
2. कब्ज के लिए योग में कुंजल कर्म और शंख प्रक्षालन का प्रावधान भी है, जिसे योग चिकित्सक की सलाह अनुसार करें।
3. रोज रात्रि में हरड़ और अजवाइन का बारीक चूर्ण एक चम्मच फाँककर एक गिलास कुनकुना पानी पीने से कब्ज दूर होकर पेट साफ रहेगा।
4. उठते ही एक गिलास पानी पिएं। पानी पीने के बाद पेट का व्यायाम करें।
5. पेट का व्यायाम नहीं कर पा रहे हैं तो रात को तांबे के गिलास में पानी भरकर रखें और सुबह उषाकाल में उठकर उस पिएं, इसके बाद भले ही पुन: सो जाएं।
5 योगासन नियमित रूप से करें:
1. उदराकर्षण : आप सबसे पहले आप दोनों पंजों के बल पर बैठ जाएं। गहरी श्वास लें और फिर दाहिने घुटने को भूमि पर टिकाएं और बाएं घुटने को उपर छाती के पास रखें। दोनों ही घुटने अपने हाथ के पंजे से कवर करें। दाहिने घुटने को भूमि पर टिकाते वक्त ध्यान दें कि आपका पंजा तो भूमि पर ही रहे, लेकिन एड़ी हवा में हो। अब इसी स्थिति में पूरा शरीर गर्दन सहित बाईं ओर घुमाएं। ऐसी स्थितति में दायां घुटना बाएं पंजे के ऊपर स्पर्श करेगा और अब दाहिने पैर की एड़ी को देखें। शुरुआत में एक से दो मिनट तक इसी अवस्था में रहें फिर सामान्य अवस्था में लौट आएं। लौटते वक्त श्वास पूर्णत: बाहर होना चाहिए। इस आसन को लेट कर भी किया जाता है।
2. मलासन : मल+आसन अर्थात मल निकालते वक्त हम जिस अवस्था में बैठते हैं उसे मलासन कहते हैं। मलासन की एक अन्य विधि भी है, लेकिन यहां सामान्य विधि का परिचय। दोनों घुटनों को मोड़ते हुए मल त्याग करने वाली अवस्था में बैठ जाएं। फिर दाएं हाथ की कांख को दाएं और बाएं हाथ की कांख को बाएं घुटने पर टिकाते हुए दोनों हाथ को मिला दें (नमस्कार मुद्रा)। उक्त स्थिति में कुछ देर तक रहने के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं।
3. त्रिकोणासन: सबसे पले सावधान की मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं। अब एक पैर उठाकर दूसरे से डेढ़ फुट के फासले पर समानांतर ही रखें। मतलब आगे या पीछे नहीं रखना है। अब श्वांस भरें। फिर दोनों बाजुओं को कंधे की सीध में लाएं। अब धीरे-धीरे कमर से आगे झुके। फिर श्वास बाहर निकालें। अब दाएं हाथ से बाएं पैर को स्पर्श करें। बाईं हथेली को आकाश की ओर रखें और बाजू सीधी रखें। इस दौरान बाईं हथेली की ओर देखें। इस अवस्था में दो या तीन सेकंड रुकने के दौरान श्वास को भी रोककर रखें। अब श्वास छोड़ते हुए धीरे धीरे शरीर को सीधा करें। फिर श्वास भरते हुए पहले वाली स्थिति में खड़े हो जाएं। इसी तरह श्वास निकालते हुए कमर से आगे झुके। अब बाएं हाथ से दाएं पैर को स्पर्श करें और दाईं हथेली आकाश की ओर कर दें। आकाश की ओर की गई हथेली को देखें। दो या तीन सेकंड रुकने के दौरान श्वास को भी रोककर रखें। अब श्वास छोड़ते हुए धीरे धीरे शरीर को सीधा करें। फिर श्वास भरते हुए पहले वाली स्थिति में खड़े हो जाएं। यह पूरा एक चरण होगा। इसी तरह कम से कम पांच बार इस आसन का अभ्यास करें।
4. पवनमुक्तासन : पीठ के बल लेट जाएं। पैरों का सीधा कर लें। अब धीरे धीरे घुटनों को मोड़कर पंजों को भूमि पर स्थापित करें। फिर दोनों हाथों की हथेलियों को लॉक करें और उससे दोनों घुटनों को पकड़कर छाती से लागने का प्रयास करें। इस अवस्था में कुछ देर रहने के बाद पुन: शवासन की अवस्था में लेट जाएं। ऐसा 3 से 5 बार तक करें। इस आसन के नियमित अभ्यास से गैस और कब्ज की परेशानी से छुटकारा मिलता है। पवनमुक्तासन के नियमित अभ्यास से पाचन संबंधी समस्या ठीक होती है।
5. उत्कट आसन : उत्कटासन कई तरह से किया जाता है। यह मूलत: खड़े रहकर किया जाता है। पहले आप ताड़ासन में खड़े हो जाएं और फिर धीरे धीरे अपने घुटनों को आपस में मिलाते हुए मोड़ें। अपने कुल्हों को नीचे की ओर लाकर उसी तरह स्थिर रखें जैसे आप किसी कुर्सी पर बैठे हों। अपने हाथों को ऊपर उठाकर ही रखें, अपने चेहरे को फ्रेम करें। अब अपने हाथों को प्रार्थना की मुद्रा में अपने सीने के केंद्र में एक साथ लाएं। यह उत्कटासान है। प्रारंभ में 10 सेकंड से बढ़ाकर 90 सेकंड तक यह आसन करें। जब तक आसन में स्थिर रहें तब तक 5 से 6 बार गहरी श्वास लें और छोड़ें। आसन करते वक्त गहरी श्वास भीतर लें और आसन पूर्ण होने पर श्वास छोड़ते हुए पुन: ताड़ासन में आकर विश्राम मुद्रा में आ जाएं। उपरोक्त आसन प्रारंभ में 5 से 6 बार ही करें।
इस आसन को खाली पेट जल पीकर करते हैं। कुछ लोग रात में तांबे के बर्तन में जल रखकर प्रात:काल बासी मुंह से उत्कट आसन के दौरान पानी पीते हैं। इस आसन के लिए शुरू-शुरू में 2 गिलास तक जल पीएं। उसके बाद धीरे-धीरे 5 गिलास तक पीने का अभ्यास करें। जल का सेवन करने के बाद शौच आदि के लिए जाएं।