Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

आयुर्वेद और योग के पंचकर्म से हो जाता है कायाकल्प, जानिए क्या है ये

हमें फॉलो करें Yoga positive thinkin

अनिरुद्ध जोशी

आयुर्वेद प्रकृति के अनुसार जीवन जीने की सलाह देता है। आयुर्वेद मानता है कि हमारी अधिकतर बीमारियों का जन्म स्थान हमारा दिमाग है। इच्छाएं, भाव, द्वेष, क्रोध, लालच, काम आदि नकारात्मक प्रवृत्तियों से कई तरह के रोग उत्पन्न होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य के शारीर में तीन जैविक-तत्व होते हैं जिन्हें त्रिदोष कहा जाता है। शारीर के भीतर इन तीन तत्वों का उतार-चढ़ाव लगा रहता है। इनका संतुलन गड़बड़ाने या कम ज्यादा होने से रोग उत्पन्न होते हैं।
 
 
यह तीन दोष हैं- वात (वायु तत्व) पित्त (अग्नि तत्व) और कफ। वात के 5 उपभाग है 1- प्राण वात, 2- समान वात, 3- उदान वात, 4- अपान वात और 5- व्‍यान वात। पित्त के भी 5 उपभाग है 1- साधक पित्‍त, 2- भ्राजक पित्‍त, 3- रंजक पित्‍त, 4- लोचक पित्‍त और 5- पाचक पित्‍त। इसी तरह से कफ के भी 5 उपभाग है- 1- क्‍लेदन कफ, 2- अवलम्‍बन कफ, 3- श्‍लेष्‍मन कफ, 4- रसन कफ और 5- स्‍नेहन कफ। सभी का संतुलन बिगड़ने से गंभीर रोग उत्पन्न होता है। ऐसे में यदि पंचकर्म को किए जाने से कभी भी रोग उत्पन्न नहीं होते हैं।
 
क्या होता है पंचकर्म : पंच कर्म या पंच क्यिा अथार्त पांच तरह की ऐसी क्रिया जिससे शरीर स्वस्थ होता है। इसके मुख्‍य प्रकार बताएं जा रहे हैं परंतु इसके उप प्रकार भी है। यह पंचकर्म क्रियाएं योग का भी अंग है।
 
1. वमन क्रिया : इसमें उल्टी कराकर शरीर की सफाई की जाती है। शरीर में जमे हुए कफ को निकालकर अहारनाल और पेट को साफ किया जाता है।
 
2. विरेचन क्रिया : इसमें शरीर की आंतों को साफ किया जाता है। आधुनिक दौर में एनिमा लगाकर यह कार्य किया जाता है परंतु आयुर्वेद में प्राकृतिक तरीके से यह कार्य किया जाता है।
 
3. निरूहवस्थी क्रिया : इसे निरूह बस्ति भी कहते हैं। आमाशय की शुद्धि के लिए औषधियों के क्वाथ, दूध और तेल का प्रयोग किया जाता है, उसे निरूह बस्ति कहते हैं।
 
4. नास्या : सिर, आंख, नाक, कान और गले के रोगों में जो चिकित्सा नाक द्वारा की जाती है उसे नस्य या शिरोविरेचन कहते हैं।
 
5. अनुवासनावस्ती : गुदामार्ग में औषधि डालने की प्रक्रिया बस्ति कर्म कहलाती है और जिस बस्ति कर्म में केवल घी, तैल या अन्य चिकनाई युक्त द्रव्यों का अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाता है उसे अनुवासन या 'स्नेहन बस्ति कहा जाता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Food tips: सब्जी में नमक अधिक होने पर क्या करें, जानिए 5 आसान तरीके