Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

व्यान मुद्रा योग के लाभ

हमें फॉलो करें व्यान मुद्रा योग के लाभ

अनिरुद्ध जोशी

, गुरुवार, 19 अप्रैल 2012 (17:19 IST)
yog diwas
 

हमारे शरीर में पांच तरह की वायु रहती है उसमें से एक का नाम है- व्यान। सारे शरीर में संचार करने वाली व्यान वायु से ही शरीर की सब क्रियाएँ होती है। इसी से सारे शरीर में रस पहुँचता है, पसीना बहता है और खून चलता है, आदमी उठता, बैठता और चलता फिरता है और आँखें खोलता तथा बंद करता है। जब यह वायु असंतुलित या खराब होती होती है, तब प्रायः सारे शरीर में एक न एक रोग हो जाता है। यह मुद्रा और भी कई तरीके से की जाती है।
 
व्यान मुद्रा विधि- हाथ की मध्यमा अंगुली के आगे के भाग को अंगूठे के आगे के भाग से मिलाने और तर्जनी अंगुली को बीच की अंगुली के नाखून से छुआएं बाकी बची सारी अंगुलियां सीधी रहनी चाहिए। इसी को व्यान मुद्रा कहा जाता है।
 
अवधि- इस मुद्रा को सुबह 15 मिनट और शाम को 15 मिनट तक करना चाहिए।
 
इसके लाभ- व्यान मुद्रा को करने से पेशाब संबंधी सभी रोग दूर होते हैं। जैसे- पेशाब ज्यादा आना, पेशाब में चीनी आना, पेशाब के साथ घात आना, पेशाब रुक-रुक कर आना आदि रोग समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावा इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से मधुमेह, प्रमेह और स्वप्नदोष भी दूर होता है। स्त्रियों के लिए यह मुद्रा सबसे ज्यादा लाभदायक बताई गई है। इस मुद्रा को करने से स्त्रियों के सारे रोग समाप्त हो जाते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

योग का इतिहास