Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

योग : नभोमुद्रा

हमें फॉलो करें योग : नभोमुद्रा

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

नभ का अर्थ होता है 'आकाश'। इस मुद्रा में जीभ को तालु की ओर लगाते हैं, इसीलिए इसे नभोमुद्रा कहते हैं। नभोमुद्रा करना सरल नहीं है। इसे किसी योग शिक्षक से सीखकर ही करना चाहिए। यह मुद्रा बहुत से रोगों में लाभदायक सिद्ध हुई है। इस बारे में एक श्लोक भी है-
 
यत्र यत्र स्थितों योगी सर्वकार्येषु सर्वदा।
उर्ध्वजिव्ह: स्थिरो भूत्वाधारयेत्मवनं सदा।
नभोमुद्रा मवेदुषा योद्विना रोग नाशिनी।।
 
अर्थात सारे कार्यों में स्थिर हुआ चित्त अपनी जीभ के अगले भाग को मुंह के अंदर तालू में लगाकर श्वास को अंदर रोक लेता है। इस स्थिति से वैचारिक गतिविधियां तत्काल बंद हो जाती है इसीलिए इस मुद्रा को रहस्य का आभास दिलाने वाली मुद्रा भी कहा जाता है।
 
कैसे करें : अपनी आंखों को अपनी दोनो भौंहों के बीच में जमाकर आपकी जीभ तालु के साथ लगा लें। यह दोनों कार्य एक ही साथ और एक ही समय में करें। सुविधानुसार जब तक संभव हो इसी स्थिति में रहे और फिर कुछ मिनट का ध्यान करें।
 
इसका लाभ : नभोमुद्रा के निरंतर अभ्यास से जीभ, गले और आंखों के सारे रोग समाप्त हो जाते हैं। इससे मस्तिष्क में स्थिरता बढ़ती है और मस्तिष्क के रोग भी दूर हो जाते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

हंसी मुद्रा योग से पाएं सो‍चने की शक्ति