शरीर के भीतर की आवाज या हरकत को पहचानने की शक्ति प्रदान करती है अंतर स्वर मुद्रा। व्यक्ति आधुनिक जीवन शैली में इतना व्यस्त है कि उसे अपने शरीर का भान नहीं रहता। यही वजह है कि रोग से ग्रस्त हो जाने के बाद ही उसे पता चलता है कि शरीर रोगी बन गया, जबकि अंतर स्वर मुद्रा का अभ्यस्त व्यक्ति रोग की पहचान रोग होने से पहले ही कर लेता है और संभल जाता है।