Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

हस्त मुद्रा और पांच तत्व

हमें फॉलो करें हस्त मुद्रा और पांच तत्व
, मंगलवार, 7 अगस्त 2012 (17:03 IST)
WD
मुद्रा और दूसरे योगासनों के बारे में बताने वाला सबसे पुराना ग्रंथ घेरण्ड संहिता है। हठयोग के इस ग्रंथ को महर्षि घेरण्ड ने लिखा था। घेरंड में 25 और हठयोग प्रदीपिका में 10 मुद्राओं का उल्लेख मिलता है, लेकिन सभी योग के ग्रंथों की मुद्राओं को मिलाकर कुल 50 से 60 हस्त मुद्राएं हैं।

हमारा शरीर पांच तत्व और पंच कोश से नीर्मित है, जो ब्रह्मांड में है वही शरीर में है। शरीर को स्वस्थ बनाए रखने की शक्ति स्वयं शरीर में ही है। इसी रहस्य को जानते हुए भारतीय योग और आयुर्वेद में ऋषियों ने यम, नियम, आसन, प्राणायाम, बंध और मुद्रा के लाभ को लोगों को बताया। इन्हीं में से एक हस्त मुद्रा का बहुत कम लोग ही महत्व जानते होंगे।

यह शरीर पांच तत्वों- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से मिलकर बना है। शरीर में ही पांच कोश है जैसे अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश और आनंदमय कोश। शरीर में इन तत्व के संतुलन या कोशों के स्वस्थ रहने से ही शरीर, मन और आत्मा स्वस्थ ‍रहती है। इनके असंतुलन या अस्वस्थ होने से शरीर और मन में रोगों की उत्पत्ति होती है। इन्हें पुन: संतुलित और स्वस्थ बनाने के लिए हस्त मुद्राओं का सहारा लिया जा सकता है।

webdunia
WD
अंगुली में पंच तत्व : हाथों की 10 अंगुलियों से विशेष प्रकार की आकृतियां बनाना ही हस्त मुद्रा कही गई है। हाथों की सारी अंगुलियों में पांचों तत्व मौजूद होते हैं जैसे अंगूठे में अग्नि तत्व, तर्जनी अंगुली में वायु तत्व, मध्यमा अंगुली में आकाश तत्व, अनामिका अंगुली में पृथ्वी तत्व और कनिष्का अंगुली में जल तत्व।

अंगुलियों के पांचों वर्ग से अलग-अलग विद्युत धारा बहती है। इसलिए मुद्रा विज्ञान में जब अंगुलियों का रोगानुसार आपसी स्पर्श करते हैं, तब रुकी हुई या असंतुलित विद्युत बहकर शरीर की शक्ति को पुन: जाग देती है और हमारा शरीर निरोग होने लगता है। ये अद्भुत मुद्राएं करते ही यह अपना असर दिखाना शुरू कर देती हैं।

अवधि और सावधानी : दिन में अधिकतम अवधी 20-30 मिनट तक एक मुद्रा को किया जाए। इन मुद्राओं को अगर एक बार करने में परेशानी आए तो 2-3 बार में भी कर सकते हैं। मुद्रा करते समय जो अंगुलियां प्रयोग में नहीं आ रही है उन्हें सीधा करके और हथेली को थोड़ा कसा हुआ रखते हैं। हाथों में कोई गंभीर चोट, अत्यधिक दर्द या रोग हो तो योग चि‍कित्सक की सलाह ली जानी चाहिए।

हस्त मुद्रा के लाभ : मुद्रा संपूर्ण योग का सार स्वरूप है। इसके माध्यम से कुंडलिनी या ऊर्जा के स्रोत को जाग्रत किया जा सकता है। इससे अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों की प्राप्ति संभव है।

सामान्यत: अलग-अलग मुद्राओं से अलग-अलग रोगों में लाभ मिलता है। मन में सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है। शरीर में कहीं भी यदि ऊर्जा में अवरोध उत्पन्न हो रहा है तो मुद्राओं से वह दूर हो जाता है और शरीर हल्का हो जाता है। जिस हाथ से ये मुद्राएं बनाते हैं, शरीर के उल्टे हिस्से में उनका प्रभाव तुरंत ही नजर आना शुरू हो जाता है।

- anirudh joshi - shatayu

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi