Yoga Day : किस तरह किए जाते हैं आसन, आसनों से होने वाले 10 बड़े फायदे

अनिरुद्ध जोशी
सोमवार, 20 जून 2022 (11:27 IST)
21 June world yoga day 2022: 21 जून 2022 को 8वां विश्‍व योग दिवस मनाया जा रहा है। योग से सभी तरह के शारीरिक और मानसिक रोगों को समाप्त किया जा सकता है। आओ जानते हैं किस तरह किए जाते हैं योगासन और आसनों से होने वाले 10 बड़े फायदे।
 
किस तरह किए जाते है योगासन : अंग-संचालन को सूक्ष्म व्यायाम भी कहते हैं। इसे आसनों की शुरुआत के पूर्व किया जाता है। इससे शरीर आसन करने लायक तैयार हो जाता है। सूक्ष्म व्यायाम के अंतर्गत नेत्र, गर्दन, कंधे, हाथ-पैरों की एड़ी-पंजे, घुटने, नितंब-कुल्हों आदि सभी की बेहतर वर्जिश होती है। जैसे कसरत के पहले वॉर्मअप करते हैं उसी तरह योगासनों से पूर्व अंग संचालन करते हैं। इसके लिए आप अपनी गर्दन, कलाइयों, पंजों और कमर को क्लॉकवाइज और एंटी क्लॉकवाइज घुमाते हैं। इसे ही तोड़-मरोड़कर एरोबिक्स नाम से कराया जाता है। क्लास में जो पीटी कराई जाती है वह भी अंग संचालन का हिस्सा मात्र है। अंग संचालन या योगासन तीन तरीके से करते हैं- A.बैठकर B.लेटकर और C.खड़े रहकर। बैठकर किए जाने वाले की शुरुआत दंडसन से, लेटकर किए जाने वाले की शुरुआत शवासन और मकरासन से और खड़े रहकर किए जाने वाले अंग संचालन की शुरुआत ताड़ासन या नमस्कार मुद्रा से।
 
आसनों से होने वाले 10 बड़े फायदे :
 
1. शारीरिक सेहत : निरंतर प्राणायाम और योग करते रहने से शरीर पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर सेहतमंद बन जाता है। शरीर एकदम लचीला होकर फीट हो जाता है। आप हरदम एकदम तरो-ताजा और खुद को युवा महसूस करेंगे। मेरूदंड सुदृढ़ बनता है जिससे शिराओं और धमनियों को आराम मिलता है। शरीर के सभी अंग-प्रत्यंग सुचारु रूप से कार्य करते हैं।
 
2. योग भगाए रोग : यदि आप किसी भी प्रकार की बीमारी या रोग से ग्रसित हैं तो अंग संचालन, प्राणायाम करने के बाद धीरे धीरे योगासन भी करते रहेंगे तो निश्‍चित ही आप किसी भी रोग पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। 
 
3. मन हो जाता है सेहतमंद : निरंतर योग करने से मन में कभी भी उदासी, खिन्नता और क्रोध नहीं रहता है। मन हमेशा प्रसन्नचित्त रहता है। आप जीवन में किसी भी विपरीत परिस्थिति से हताश या निराश नहीं होंगे। इससे सभी तरह के मानसिक रोग भी समाप्त हो जाते हैं। जैसे चिंता, घबराहट, बेचैनी, अवसाद, शोक, शंकालु प्रवृत्ति, नकारात्मकता, द्वंद्व या भ्रम आदि सभी मानसिक रोगों में लाभ मिलता है। 
 
4. बढ़ती है मानसिक शक्ति : व्यक्ति की सोच बहुत ही विस्तृत होकर परिष्कृत हो जाती है। परिष्कृत का अर्थ साफ-सुथरी व स्पष्ट। ऐसे में व्यक्ति की बुद्धि बहुत तीक्ष्ण हो जाती है और उसका मानसिक बल भी बढ़ जाता है। वह जो भी बोलता है, सोच-समझकर ही बोलता है। भावनाओं में बहकर नहीं बोलता है। योग से सकारात्मक सोच का विकास होता है।
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5. सफलता की राह होती आसान : लगातार योग करते रहने से व्यक्ति में कार्यशीलता बढ़ जाती है और वह अपने जीवन के लक्ष्य जल्द से जल्द पूर्ण करने की ओर फोकस कर देता है। मान लो यदि हमारा जीवनकाल 70-75 वर्ष है तो उसमें से भी शायद 20-25 वर्ष ही हमारे जीवन के कार्यशील वर्ष होंगे। उन कार्यशील वर्षों में भी यदि हम अपने स्वास्थ्य और जीवन की स्थिरता को लेकर चिंतित हैं तो फिर कार्य कब करेंगे? जबकि कर्म से ही जीवन में धन, खुशी और सफलता मिलती है।
 
6. बदल जाता है व्यक्तित्व : योग करते रहने से व्यक्ति का व्यक्तित्व और चरित्र बदल जाता है। वह अपने भीतर से नकारात्मकता और बुरी आदतों को बाहर निकाल देता है। 2 तरह के लोग होते हैं- अंतर्मुखी और बहिर्मुखी। लेकिन योग करते रहने से व्यक्ति दोनों के बीच संतुलन स्थापित करना सीख जाता है। योगी व्यक्ति का व्यक्तित्व अलग ही होता है। भीड़ में उसकी अलग ही पहचान बनती है। वह सबसे अलग ही नजर आता है।
 
7. आती है अच्छी नींद : प्राणायाम द्वारा प्राणवायु शरीर के अणु-अणु तक पहुंच जाती है जिससे अनावश्यक एवं हानिप्रद द्रव्य नष्ट होते हैं, विषांश निर्वासित होते हैं जिससे सुखद नींद अपने समय पर अपने आप आने लगती है। प्राणायाम और ध्यान से मस्तिष्क आम लोगों की अपेक्षा कहीं ज्यादा क्रियाशील और शक्तिशाली बनता है।
 
8. आदत से मिलती है मुक्ति : लगातार योग करते रहने से आपके जीवन में हर तरह की आदतों से आपको मुक्ति मिल जाती है। कई लोगों में देर से उठने और देर से सोने की आदत होती है। अनियमित रूप से भोजन करने और शौच जाने की आदत होती है। इसी तरह कुछ तो भी बोलने, सोचने, समझने, सुनने की आदत भी होती है। नशा करने, क्रोध करने, ईर्ष्या करने की भी योग से व्यक्ति हर तरह की आदतों से मुक्त होकर जीवन को एक सुंदर शैली और अनुशासन में ढाल लेता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिस तरह हमें बचपन से ही खाने की आदत है, उसी तरह हमें जन्म लेने की भी आदत हो जाती है। आदत के चक्र को समझना जरूरी है। क्रोध करने, नफरत करने या प्यार करने की भी आदत हो जाती है। आदतमुक्त जीवन क्या होता है? यह जानना बहुत जरूरी है।
 
9. योग से पाता है व्यक्ति सिद्धि : योग से जहां शरीर की ऊर्जा जाग्रत होती है, वहीं हमारे मस्तिष्क के अंतरिम भाग में छिपी रहस्यमय शक्तियों का उदय होता है। जीवन में सफलता के लिए शरीर की सकारात्मक ऊर्जा और मस्तिष्क की शक्ति की जरूरत होती है। यह सिर्फ योग से ही मिल सकती है, अन्य किसी कसरत से नहीं। यदि व्यक्ति लगातार योग कर रहा है और वह योग के यम और नियम का पालन करते हुए योग की हर तरह की विद्या को फॉलो कर रहा है तो यह तय है कि उसके मस्तिष्क में सिद्धियों का वास होने लगेगा। मन और मस्तिष्‍क इतना तीक्ष्ण हो जाता है कि वह सभी हदों को पार करके इधर माध्यम के संपर्क में आ जाता है। वह नींद में भी जागा हुआ होता है। बस यहीं से सिद्धियों की शुरुआत होती है। ऐसा साक्षीत्व योग से घटित होने लगता है।
 
10. मृत्युंजय : योग और ध्यान करते रहने से व्यक्ति मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कर सकता है। ऐसे कई योगी या महायोगी है जो सैंकड़ों वर्षों से जीवित है और जब चाहे तब शरीर त्याग कर दूसरा शरीर धारण करने की क्षमता रखते हैं। यह नहीं हासिल कर सकते हैं तो कम से कम आयु तो बढ़ाई जा सकती है।

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