भागदौड़ भरी जिंदगी में करें बस ये खास 10 योग, कैंसर जैसे सभी रोगों से बचे रहेंगे

अनिरुद्ध जोशी
भागदौड़ भरी जीवन शैली के चलते मनुष्य ने प्रकृति और स्वयं का सान्निध्य खो दिया है। इसी वजह से जीवन में कई तरह के रोग और शोक जन्म लेते हैं। हमारे पास नियमित रूप से योग करने या स्वस्थ रहने के अन्य कोई उपाय करने का समय भी नहीं है। यही सोचकर हम आपके लिए लाए हैं योग के यम, नियम और आसन में से कुछ ऐसे उपाय, जिनके जरिए आप फटाफट योग कर शरीर और मन को सेहतमंद रख सकते हैं।
 
 
1.संयम- 24 घंटे में से 25 घंटे आप अपने दिमाग के काबू में रहते होंगे। संयम से इस परिस्थिति को पलट दें क्योंकि संयम ही तप है। ठेठ भाषा में कहें तो ठान लेना, जिद करना या हठ करना। यदि तुम व्यसन करते हो और संयम नहीं है तो मरते दम तक उसे नहीं छोड़ पाओगे। इसी तरह गुस्सा करने या ज्यादा बोलने की आदत भी होती है। मतलब यह कि व्यसन करने और क्रोध करने से शरीर में रोग उत्पन्न होते हैं।
 
 
संयम की शुरुआत आप छोटे-छोटे संकल्प से कर सकते हैं। संकल्प लें कि आज से मैं वहीं करूंगा, जो मैं चाहता हूं। मैं चाहता हूं खुश रहना, स्वस्थ रहना और सर्वाधिक योग्य होना। व्रत से भी संयम साधा जा सकता है। आहार-विहार, निंद्रा-जाग्रति और मौन तथा जरूरत से ज्यादा बोलने की स्थिति में संयम से ही स्वास्थ्य तथा मोक्ष घटित होता है। संयम नहीं है तो यम, नियम, आसन आदि सभी व्यर्थ सिद्ध होते हैं।
 
 
2.ईश्वर प्राणिधान- योग के अनुसार ईश्वर प्राणिधान का अर्थ यह भी है कि किसी एक ही देवी या देवता के प्रति ही दृढ़ रहना या एकेश्वरवादी ही बनकर रहना। जीवनपर्यंत किसी एक पर चित्त को लगाकर उसी के प्रति समर्पित रहने से चित्त संकल्पवान, धारणा सम्पन्न तथा निर्भिक होने लगता है। यह जीवन की सफलता हेतु अत्यंत आवश्यक है। जो व्यक्ति ग्रह-नक्षत्र, असंख्‍य देवी-देवता, तंत्र-मंत्र और तरह-तरह के अंधविश्वासों पर विश्वास करता है, उसका संपूर्ण जीवन भ्रम, भटकाव और विरोधाभासों में ही बीत जाता है। इससे निर्णयहीनता का जन्म होता है। आप सोच रहे होंगे कि इसकी क्या जरूरत है तो यह बहुत जरूरी है क्योंकि इसी से आपका दिमाग दृढ़ होगा। दृढ़ दिमाग ही हर तरह की परिस्थिति से निपटने में सक्षम होगा।
 
 
3-अंग-संचालन- अंग-संचालन को सूक्ष्म व्यायाम भी कहते हैं। इसे आसनों की शुरुआत के पूर्व किया जाता है। इससे शरीर आसन करने लायक तैयार हो जाता है। सूक्ष्म व्यायाम के अंतर्गत नेत्र, गर्दन, कंधे, हाथ-पैरों की एड़ी-पंजे, घुटने, नितंब-कुल्हों आदि सभी की बेहतर वर्जिश होती है, जो हम थोड़े से समय में ही कर सकते है। इसके लिए किसी अतिरिक्त समय की आवश्यकता नहीं होती। आप किसी योग शिक्षक से अंग-संचालन सीखकर उसे घर या ऑफिस में कहीं भी कर सकते हैं।
 
 
4.प्राणायाम- अंग-संचालन करते हुए यदि आप इसमें अनुलोम-विलोम प्राणायाम भी जोड़ देते हैं तो यह एक तरह से आपके भीतर के अंगों और सूक्ष्म नाड़ियों को शुद्ध-पुष्ट कर देगा। जब भी मौका मिले, प्राणायाम को अच्‍छे से सीखकर करें।
 
5.ध्यान- ध्यान के बारे में भी आजकल सभी जानने लगे हैं। ध्यान हमारी ऊर्जा को फिर से संचित करने का कार्य करता है, इसलिए सिर्फ पांच मिनट का ध्यान आप कहीं भी कर सकते हैं। खासकर सोते और उठते समय इसे बिस्तर पर ही किसी भी सुखासन में किया जा सकता है।
 
 
6.योगा मसाज और बाथ- योगा मसाज और स्नान के बहुत से चरण होते हैं। कम से कम तीन माह में एक बार योग अनुसार मसाज और स्नान करने से शरीर फिर से तरोताजा होकर युवा बना रहता है। यह व्यक्ति की थकान, चिंता, रोग आदि को दूर करने में सक्षम है। तनाव और प्रदूषण भरे माहौल से निकल कर व्यक्ति हल्का और तरोताजा होना चाहता है इसी के चलते योगा रिजॉर्टों में आजकल इसका प्रचलन बढ़ गया है, लेकिन आप चाहे तो इसे घर में भी कर सकते हैं।
 
 
7.योग मुद्राएं- योग मुद्राएं दो तरह की होती है। एक हस्तमुद्रा और दूसरी आसन मुद्रा। आप हस्तमुद्राओं को सीखकर उन्हें समय समय पर करते रहें। दस हस्तमुद्राएं प्रमुख हैं- 1.ज्ञान मुद्रा, 2.पृथवि मुद्रा, 3.वरुण मुद्रा, 4.वायु मुद्रा, 5.शून्य मुद्रा, 6.सूर्य मुद्रा, 7.प्राण मुद्रा, 8.लिंग मुद्रा, 9.अपान मुद्रा, 10.अपान वायु मुद्रा।
 
 
8.योग बंध- योग में यूंतो कई बंधों का वर्णन मिलता है। लेकिन मुख्‍यत: 5 बंध- 1.मूलबंध, 2.उड्डीयानबंध, 3.जालंधर बंध, 4.बंधत्रय और 5.महाबंध को अच्‍छे से एक बार सीख लेंगे तो जीवनभर काम आएंगे। बंध के लाभ जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
 
 
9.आसन- यदि आप चाहें तो योग के आसन में मात्र सूर्य नमस्कार ही करते रहे। सुबह या शाम को जब भी समय मिले। आप इस नमस्कार को कम से कम पांच बार करें। पांच बार करने में मात्र पांच मिनट ही लगेंगे।
 
10.योग क्रियाएं- योग में क्रियाएं तो बहुत है। इन्हें करना भी थोड़ा मुश्किल ही है। लेकिन एक बार समय निकालकर इनमें से जो आपको सरल लगे वह जरूर सीख लें तो जीवन में कभी भी काम आएगी। प्रमुख क्रियाएं 13 हैं- 1.नेती- सूत्र नेति, घॄत नेति, 2.धौति- वमन धौति, वस्त्र धौति, दण्ड धौति, 3.गजकरणी, 4.बस्ती- जल बस्ति, 5.कुंजर, 6.न्यौली, 7.त्राटक, 8.कपालभाति, 9.धौंकनी, 10.गणेश क्रिया, 11.बाधी, 12.लघु शंख प्रक्षालन और 13.शंख प्रक्षालयन।
 
 
अंत में उपरोक्त 10 उपायों में से कुछ उपायों को भी यदि आपने प्रारंभ कर दिया तो यह उपाय आपके जीवन को बदलने की क्षमता रखते हैं, बशर्ते आप इन्हें ईमानदारी से नियमित करें।

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