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Year ending 2022 : 10 विवादित स्थल रहे जो इस वर्ष चर्चा में

हमें फॉलो करें Year ending 2022 : 10 विवादित स्थल रहे जो इस वर्ष चर्चा में
, सोमवार, 26 दिसंबर 2022 (16:57 IST)
10 Disputed sites 2022 : दुनिया में यूं तो कई विवादित स्थल है जिनमें से धार्मिक स्थल ही ज्यादा रहे हैं। यदि हम बात करें जाते हुए वर्ष 2022 कि तो इस वर्ष कुछ ही विवादित स्थल चार्च में रहे जिन्होंने वर्षभर देशी-विदेशी मीडिया और सोशल मीडिया में तनातनी का माहौल बनाए रखा। आओ जानते हैं उन्हीं में से 8 के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
 
1. ज्ञानवापी : काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन तो पिछले साल ही हो गया था लेकिन इस साल 2022 में इसी क्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर बहुत बवाल हुआ था। हिन्दू दावे के अनुसार यहां पर शिवलिंग पाया गया। कुछ महिलाओं ने यहां पर श्रृंगार गौरी की पूजा करने की कोर्ट से अनुमति भी मांगी थी। कोर्ट ने इस केस को सुनवाई योग्य माना। ज्ञानवापी पर विवाद अभी जारी है।
 
2. हागिया सोफिया मस्जिद : तुर्की की हागिया सोफिया मस्जिद पूरे वर्ष विवादों में रही, यह पहले कभी चर्च हुआ करती थी फिर बाद में इसे मस्जिद में बदल दिया गया, फिर म्यूजियम में बदल दिया गया। जुलाई 2020 में, तुर्की के एक हाईकोर्ट ने 1934 के उस फैसले को रद्द कर दिया था, जिसने इसे संग्रहालय में बदल दिया गया था। इस फैसले के बाद इसे फिर से मस्जिद में बदल दिया गया। इस फैसले ने दुनियाभर में ईसाइयों को नाराज कर दिया था। अप्रैल 2022 में जब 88 वर्षों के बाद पहली बार यहां ‘तरावीह’ नमाज अदा की गई तो फिर से यह चर्चा के केंद्र में आ गई। 
 
3. अल अक्सा मस्जिद : 18 अप्रैल 2022 को इसराइल की पुलिस यरुशलम के पुराने इलाके में मौजूद अल अक्सा मस्जिद परिसर में घुस गई, जिसके बाद हुई झड़प में कई फलस्तीनी घायल हो गए हैं। अक्सर यहां झड़प चलती रही है। जेरुशलम के पहाड़ की चोटी पर बने मस्जिद परिसर इस्लाम में तीसरी सबसे पवित्र जगह मानी जाती है। जिस जगह यह मौजूद है उसके ठीक नीचे यहूदियों का सबसे पवित्र स्थान टेंपल माउंट है। इसके अलावा ईसाईयों के लिए भी यह धार्मिक रूप से सबसे पवित्र जगहों में एक है। तीनों धर्मों की इस जगह को लेकर दावेदारी के चलते यहा हिंसक झड़प होती रहती है। इस साल मुसलमानों का रमजान, ईसाईयों के ईस्टर का समापन सप्ताह और यहूदियों का हफ्ता भर चलने वाला पसोवर एक ही साथ होने के कारण यह युद्ध जैसे क्षेत्र बन गया था। यहूदी और मुसलमानों की हिंसक झड़प के कारण यह चर्चा में रहा।
 
4. कृष्‍ण जन्मभूमि : कृष्‍ण जन्मभूमि के पास ईदगाह है। दावे के अनुसार यह जन्मभूमि का आधा स्थल है। वर्ष 2022 में उत्तरप्रदेश के मथुरा की अदालत में विवादित शाही ईदगाह मस्जिद में होने वाली नमाज के विरोध में याचिका दाखिल करते हुए उस पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में वर्ष 1920 में चले एक मुकदमे का हवाला भी दिया गया है जिसमें न्यायालय ने स्पष्ट रूप से ईदगाह की इस भूमि को हिन्दुओं की बताई गई है। इससे पहले अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने 25 सितंबर 2020 को मथुरा की अदालत में दायर की गई याचिका में कहा है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच हुआ समझौता पूरी तरह से गलत है इसलिए उसे निरस्त किया जाए और मंदिर परिसर में स्थित ईदगाह को हटाकर वह भूमि मंदिर ट्रस्ट को सौंप दी जाए। तभी से यह नए तरह का विवाद चल रहा है।
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5. ताजमहल : इस वर्ष ताजमहल भी खूब चार्च में रहा। हिन्दू दावों के अनुसार यह एक विशालकाय किला और महल था जिसके भीतर तेजोमहालय नामक एक मंदिर था। शाहजहां ने इसमें हेर-फेर करके इसे इस्लामिक लुक दिया था। प्रसिद्ध शोधकर्ता और इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक ने अपनी शोधपूर्ण पुस्तक में तथ्‍यों के माध्यम से ताजमहल को एक हिन्दू इमारत सिद्ध करने के लिए 700 से ज्यादा सबूत दिए हैं। इस वर्ष 2022 में अगस्त के दौरान आगरा नगर निगम में ताजमहल का नाम बदलकर तेजोमहालय करने की मांग उठी। इसके चलते यह स्थल एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गया। इसकी के साथ ही ताजमहल के तहखानों को खोले जाने की मांग भी की गई और अब यह मामला कोर्ट में है। इससे पहले अप्रैल में संत जगदगुरु परमहंस आचार्य को उनके धर्मदंड के साथ प्रवेश करने को रोक दिया था तब हिन्दू संगठनों ने इसे लेकर खूब हंगामा किया था।
 
6. कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद : तामहल की तरह की कुतुब मीनार पर भी इस वर्ष एक बार फिर विवाद हुआ। कुतुब मीनार एक ध्रुव या विष्णु स्तंभ है इसको लेकर तो विवाद वर्षों से चल रहा है लेकिन इस वर्ष कुतुम मीनार परिसर के अंदर एक मंदिर होने के दावे के चलते खूब विवाद रहा। फिलहाल कुतुब मीनार परिसर स्थित कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद (Quwwat-ul-Islam Mosque) में देवी-देवताओं की मूर्तियों की फिर से स्थापित करने और पूजा-अर्चना की मांग वाली हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर सुनवाई लंबित है।
 
7. बिना नींव की मस्जिद : मुस्लिम पक्ष मानते हैं कि यह मस्जिद 800 साल पहले जिन्नातों ने बनाई थी। हिन्दू पक्ष मानता है कि यह पहले मंदिर था जिले राजा भोज ने बनवाया था। मध्यप्रदेश की तीर्थ नगरी उज्जैन में क्षिप्रा तट पर स्थित इस मस्जिद में में गणेश प्रतिमा और कई हिन्दू अवशेषों चिन्हों की बात कही जा रही है। 16वीं सदी में मुस्लिम मुगल शासकों द्वारा इस पर कब्जा करके इसे मस्जिद बना दिया गया। इस वर्ष यह इसलिए चर्चा में आई क्योंकि उज्जैन में आह्वान अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अतुलेशानंद जी महाराज ने दावा किया है कि इस मस्जिद के अंदर भगवान शिव और गणेश जी की प्रतिमा है, जिसे उन्होंने खुद जाकर अपनी आंखों से देखा है। स्वामी जी ने प्रशासन से इसकी फोटो-वीडियोग्राफी कराने की मांग भी की है। उन्होंने यह भी कहा कि यहां स्तंभ पर अंकित मूर्तियों को घिसकर धीरे-धीरे मिटाया जा रहा है।
 
8. भोजशाला : राजा भोज सरस्वती के उपासक थे इसलिए उन्होंने धार में सरस्वती का एक भव्य मंदिर बनवाया था। सन् 1034 में मां सरस्वती की अनूठी मूर्ति का निर्माण कराकर भोजशाला में प्रतिष्ठित किया था। इतिहासकार शिवकुमार गोयल अनुसार 1305 में इस भोजशाला मंदिर को अलाउद्दीन खिलजी ने ध्वस्त कर दिया था। खिलजी द्वारा ध्वस्त कराई गई भोजशाला के एक भाग पर 1401 में दिलावर खां गौरी ने मस्जिद बनवाई थी। सन् 1514 में महमूद शाह खिलजी ने शेष भाग पर भी मस्जिद बनवा दी। इस वर्ष यह फिर से इसलिए चर्चा में आया क्योंकि यहां पर मुसलमानों ने कव्वाली का आयोजन किया था और बाद में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भोजशाला में मां वाग्देवी की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए प्रयास करने की बात कही थी।

9. जामा मस्जिद, बदायूं- उत्तरप्रदेश : बुद्ध संस्कृति विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष मोहर सिंह शाक्य एडवोकेट की ओर आवेदन कर दावा किया गया है कि जामा मस्जिद की जगह बौद्ध धर्म का किला था। जामा मस्जिद की जगह बौद्ध समुदाय की संपत्ति है। इस पर जामा मस्जिद इंतजामियां कमेटी के अधिवक्ता मोहम्मद असरार अहमद की ओर से आपत्ति दाखिल की गई है। दूसरी ओर अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश पटेल की ओर से शहर की जामा मस्जिद शम्सी की जगह नीलकंठ महादेव का मंदिर होने का दावा करते हुए याचिका दायर की थी।
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10. जामा मस्जिद, नई दिल्ली : हिंदू महासभा और यूनाइटेड हिंदू फ्रंट समेत कुछ अन्य हिंदू संगठनों ने पुरानी दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के मंदिर पर बने होने का दावा कर उस पर अपना हक जताया है। इतना ही नहीं, ज्ञानवापी की तरह जामा मस्जिद का भी सर्वे कराने की मांग को लेकर हिंदू संगठन कोर्ट में जाने तैयारी भी कर रहे हैं। इस मस्जिद में पूजा करने की जिद के चलते भी इस वर्ष खूब विवाद रहा है। साक्षी महाराज ने दावा किया कि दिल्ली में यमुना नदी के तट पर बनी जामा मस्जिद, भगवान विष्णु के मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। उन्होंने कहा कि यदि जामा मस्जिद की जांच की जाए तो वहां से भी प्राचीन हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिलेंगी। यदि उनका दावा गलत निकला तो वह कोई भी सजा भुगतने को तैयार हैं।

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