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2022 में महंगाई की मार से जनता परेशान, बढ़ती EMI और GST ने तोड़ी आम आदमी की कमर

हमें फॉलो करें 2022 में महंगाई की मार से जनता परेशान, बढ़ती EMI और GST ने तोड़ी आम आदमी की कमर

नृपेंद्र गुप्ता

, गुरुवार, 15 दिसंबर 2022 (16:11 IST)
कोरोना काल के मुश्किल समय से निजात पाने के बाद 2022 में पूरी दुनिया महंगाई और रोजगार के मोर्चे पर संघर्ष करती नजर आई। रूस यूक्रेन युद्ध ने यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत पूरी दुनिया का हाल बेहाल कर दिया। दुनिया भर के तमाम देश महंगाई से संघर्ष करते नजर आए। अमेरिका और यूरोप के विकसित देशों की हालत बद से बदतर हो गई। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, सप्लाई चेन संकट और यूक्रेन युद्ध से बैलेंस ऑफ ट्रेड (BOT) बिगड़ गया। भारत में भी लोग महंगाई से पस्त नजर आए।  
 
महंगाई के साथ ही EMI की बढ़ती किश्तों ने आम आदमी की कमर तोड़ दी। सरकार ने रूस से सस्ता क्रूड तो लिया लेकिन आम लोगों को महंगा पेट्रोल-डीजल ही खरीदना पड़ा। बैंक लोन की EMI ने घर का बजट बिगाड़ा तो GST बढ़ने से बाजार का हाल बेहाल हो गया। 
 
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आंकड़ों में महंगाई : मई 2022 में whole sale महंगाई 15.88 थी जो नंवबर में घटकर 5.85 फीसदी हो गई। इसी तरह जनवरी  में खुदरा महंगाई दर 6.1 प्रतिशत दर्ज की गई थी। मई 22 में यह 7.99 थी जो नवंबर में घटकर 5.88 फीसदी हो गई। इस तरह देखा जाए तो 2022 में पहली बार महंगाई दर 6 प्रतिशत से नीचे आई। आंकड़ों की बात करें तो देश में अभी भी काफी महंगाई है। नवंबर 21 से नवंबर 22 की तुलना की जाए तो अनाज, दूध, मसाले, फुटवेअर आदि के दामों में भारी वृद्धि हुई है।

2021 के 11वें  माह में अनाज की महंगाई दर 1.51 फीसदी, दूध की 3.37 फीसदी, मसाले की 4.05 प्रतिशत, फुटवियर की महंगाई दर 8.25 फीसदी थी लेकिन 2022 के नवंबर में अनाज, दूध, मसाले, फुटवियर की महंगाई दर बढ़कर क्रमश: 12.96 फीसदी, 8.16 फीसदी, 19.52 फीसदी और 12.01 फीसदी हो गई। वहीं तेल फैट, दालें, मीट मछली, चीनी आदि की महंगाई दर नवंबर 2021 की अपेक्षा काफी कम दिखाई दे रही है। 
 
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क्या है हकीकत : सरकारी आंकड़ों से उलट बाजार में जमीनी हकीकत अलग ही नजर आ रही है। कोरोना काल से पहले 5 लोगों  के परिवार को जो किराना सामान 3000 में मिल जाता था उसके लिए अब उसे लगभग 5000 रुपए प्रति माह खर्च करने पड़े रहे  हैं। आटा, दाल, शक्कर, चावल, दूध, रसोई गैस, मसाले, जूते, कपड़े सब महंगे हो गए। कॉस्मेटिक्स, FMCG प्रोडक्ट्स, कंस्ट्रक्शन कॉस्ट से लेकर दवाईयों तक सभी वस्तुओं के दाम बढ़े हैं।

2014 दिल्ली में पेट्रोल 72.26 रुपए जबकि डीजल का दाम 55.48 रुपए प्रति लीटर था। दिसंबर 2022 में बढ़कर पेट्रोल डीजल के दाम बढ़कर पेट्रोल 96.72 रुपए और डीजल 89.62 रुपए प्रति लीटर हो गए। 2014 में जो घरेलू रसोई गैस 410 रुपए प्रति सिलेंडर मिल रही थी दिसंबर 2022 में बढ़कर 1151 रुपए हो गई।

बच्चों की शिक्षा, परिवार का स्वास्थ्य बीमा, खुद का टर्म प्लान, बैंकों से लिए होम लोन, कार लोन की किश्त आदि में बढ़ोतरी से घर के बजट का कबाड़ा कर दिया है। 
 
महंगाई काबू करने के लिए सरकार ने किए प्रयास : सरकार ने महंगाई पर काबू पाने के लिए कई बड़े कदम उठाए। एक तरफ रिजर्व बैंक ने लगातार महंगाई दर बढ़ाकर महंगाई पर काबू करने का प्रयास किया। मई के बाद से ही रिजर्व बैंक ने लगातार रेपो रेट में वृद्धि की। इससे मांग में कमी आई और महंगाई पर नियंत्रण में सरकार को मदद मिली। गिरते रुपए को थामने के लिए रिजर्व बैंक ने 33.42 अरब डॉलर बेच दिए। कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सकल मुद्रास्फीति दिसंबर, 2022 और जनवरी, 2023 में बढ़कर फिर 6.5 से 6.7 प्रतिशत हो सकती है। वहीं मार्च, 2023 में यह घटकर 5 प्रतिशत पर आने की संभावना है।
 
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GST की मार : सरकार ने इस वर्ष जुलाई से खाने पीने की वस्तुओं पर भी 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का फैसला किया। पैक्ड चावल, आटा, दाल, पनीर, दूध, छाछ जैसी वस्तुएं भी जीएसटी के दायरे में आ गई। ऐसे में पहले से महंगाई की मार झेल रही जनता पर और ज्यादा बोझ बढ़ गया। पैकेट बंद और लेवल वाले प्रोडक्ट्स पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगाया गया।

पहले इस पर सिर्फ 5 फीसदी की दर से टैक्स लगता था। इसके अलावा नारियल पानी पर 12 फीसदी और फुटवेयर के कच्चे माल पर भी 12 फीसदी GST लगने लगा। एक हजार रुपए प्रतिदिन से कम कीमत वाले होटल के कमरों पर 12 फीसदी टैक्स लगाया गया तो 5,000 रुपए प्रतिदिन (ICU को छोड़कर) से ऊपर के अस्पताल के कमरे के किराए पर 5 फीसदी जीएसटी लगाया। इस तरह से कई वस्तुएं जिनके दाम भले ही नहीं बढ़ाए गए हो GST की वजह से महंगी हो गई।
 
बढ़ती EMI ने बढ़ाई परेशानी : रिजर्व बैंक द्वारा लगातार रेपो दर बढ़ाने से बैंकों की ब्याज दर में भी काफी इजाफा हुआ। इससे फ्लोटिंग रेट के आधार पर लोन लेने वालों की EMI पर भी असर पड़ा। इसका मतलब है कि मार्च 2022 के ​महीने में जो लोग 30 लाख के होम लोन के लिए 23,258 रुपए की ईएमआई का भुगतान कर रहे थे, उन्हें अब 27,387 रुपए का भुगतान करना होगा। नया लोन लेने वालों को तो ज्यादा ब्याज चुकाना ही होगा साथ ही यह सवाल भी उन्हें परेशान करेगा लोन लेते समय फिक्स्ड रेट चुने या फ्लोटिंग।
 
क्या है बेरोजगारी का हाल : एक और लोगों पर महंगाई की मार पड़ी तो दूसरी तरफ बड़ी संख्या में लोगों को बेरोजगारी संकट का भी सामना करना पड़ा। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी' द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2022 में देश में  बेरोजगारी दर बढ़कर 8 प्रतिशत हो गई जो 3 महीनों का उच्चतम स्तर है। शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर 8.96 प्रतिशत आंकी गई  जबकि ग्रामीण क्षेत्र में यह 7.55 प्रतिशत रही। अगर राज्यवार आंकड़ों को देखें तो हरियाणा में नवंबर के दौरान 30.6 प्रतिशत बेरोजगारी रही है, जो पूरे देश में सबसे अधिक है। राजस्थान में 24.5 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर में 23.9 प्रतिशत, बिहार में 17.3 प्रतिशत और त्रिपुरा में 14.5 प्रतिशत बेरोजगारी रही।
 
फाइनेंशियल एक्सपर्ट नितिन भंडारी कहते हैं कि हम लोगों ने इस वर्ष डिस्काउंटेड प्राइस पर रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदा। इसी वजह से अन्य देशों की तुलना में भारत में पेट्रोल डीजल की कीमतें कम बढ़ी। अनाज के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता से भारत में फूड प्राइस कंट्रोल में रहे। खाद्य तेल के दाम भारत के लिए समस्या है। अमेरिकी फेड रिजर्व अगर इंटरेस्ट रेट बढ़ाता है तो भारत पर इसका असर जरूर पड़ेगा। हालांकि भारत में दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा महंगाई कम बढ़ेगी।
 
वहीं बाजार विशेषज्ञ सागर अग्रवाल का कहना है कि अगर देश में महंगाई लगातार बढ़ रही है। इसे काबू करने के लिए RBI ने लगातार ब्याज दर भी बढ़ाई। इससे लोन की EMI बढ़ गई। इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ा। उनका कहना है कि अगर 2023 में दुनिया में हाला‍त नहीं सुधरते हैं तो कई देशों में ब्याज दर बढ़ेगी। इसका असर भारत पर भी होगा और यहां महंगाई पर नियंत्रण उतना आसान नहीं रहेगा।
 
किसान नेता और श्री महांकाल भैरव अखाड़ा संघ के मध्यप्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा के अनुसार, महंगाई का दौर ऐसा चला कि दाम बढ़े तो कम ही नहीं हुए। यूरिया महंगा हो गया, डीजल के दाम बढ़ गए, कृषि दवाइयों के बढ़ते दामों ने किसानों का हाल और बदतर बना दिया। उनका कहना है कि प्याज, लहसुन, आलू और गेहूं के भाव बढ़ जाए तो बवाल मच जाता है लेकिन अन्य वस्तुओं के दाम बढ़ने पर कोई सवाल तक नहीं करता। किसानों का गेहूं 20 से 25 रुपए किलो में महंगा है लेकिन 50 रुपए किलो का पेकिंग आटा खरीदने पर कोई विरोध नहीं।

संजय शर्मा के अनुसार, अगर ग्रामीण भारत बढ़ती महंगाई से बेहद परेशान है, अगर जल्द ही इस पर काबू नहीं पाया गया तो देश में महंगाई और तेजी से बढ़ेगी।
 
हालांकि महंगाई के बाद भी लोगों ने कोरोना काल से उबरने के बाद जमकर खरीदारी की। देश में दो पहिया वाहन, कार, फ्रीज,  वॉशिंग मशीन, टीवी, मोबाइल की बिक्री काफी बढ़ गई। वर्ष भर पर्यटन स्थलों और धार्मिक स्थलों पर काफी भीड़ दिखाई दी।
 
बहरहाल महंगाई से परेशान लोगों के लिए 2022 की तरह ही 2023 भी बेहद मुश्किल दिखाई दे रहा है। अगर 2023 में वैश्विक स्तर पर महंगाई पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका तो भारत पर भी इसका नकारात्मक असर होगा। बाहर से आयात होने वाले  
 
सामान के दाम अगले वर्ष आसमान छू सकते हैं। ऐसे में लोग उम्मीद कर रहे हैं कि 2023 के शुरुआती दौर में ही महंगाई पर शिकंजा कसेगा और इससे देश में चीजों के दाम कम होंगे। 

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