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खिताब के लिए शतक कुर्बान-जयवर्द्धने

हमें फॉलो करें खिताब के लिए शतक कुर्बान-जयवर्द्धने
दुबई , मंगलवार, 5 अप्रैल 2011 (17:42 IST)
श्रीलंकाई बल्लेबाज माहेला जयवर्द्धने ने कहा है कि भारत के खिलाफ विश्वकप फाइनल में नाबाद 103 रन बनाने से उनका विश्वकप खिताब न जीत पाने का दुख कम नहीं होगा और खिताब के लिए वह अपना शतक भी कुर्बान कर सकते हैं।

जयवर्द्धने ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड (आईसीसी) की आधिकारिक वेबसाइट से कहा 'मैं फाइनल में लगाए अपने शतक को खिताब के लिए कुर्बान कर सकता हूँ। यदि मैं 10 या 15 रन बनाकर आउट हो जाता और हमारी टीम खिताब जीत जाती तो मुझे बहुत खुशी होती।'

भारत के खिलाफ विश्वकप के फाइनल में जयवर्द्धने ने 88 गेंदों में नाबाद 103 रन की शानदार पारी खेली थी और प्रतिद्वंद्वी टीम के सामने 275 रन का लक्ष्य रखा था लेकिन इसके बावजूद भारतीय टीम इस लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा करके खिताब पर कब्जा करने में सफल रही। विश्वकप में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी बल्लेबाज ने फाइनल में शतक जड़ा हो लेकिन उसकी टीम हार गई हो।

जयवर्द्धने ने कहा कि भारतीय बल्लेबाजी काफी मजबूत थी लेकिन हमारी टीम की गेंदबाजी में कुछ कमियाँ थीं। हालाँकि हमने भारत को कड़ी टक्कर दी लेकिन यह मैच जीतने के लिए काफी नहीं थी।

जयवर्धने ने कहा कि हमें भारतीय बल्लेबाजी क्रम को दबाव में लाने के लिए उनके विकेट चटकाने की जरूरत थी। हमने शुरुआती दो विकेट जल्दी-जल्दी ले लिए लेकिन हम यह सिलसिला जारी नहीं रख सके। हमने वैसी गेंदबाजी नहीं की जिसके लिए हम जाने जाते हैं जबकि भारतीय टीम ने शानदार बल्लेबाजी की।

पूर्व श्रीलंकाई कप्तान जयवर्द्धने ने कहा मुझे बल्लेबाजी करते हुए काफी अच्छा महसूस हो रहा था। मुझे कुछ ढीली गेंदें मिलीं और मैंने उन्हें सीमारेखा के पार पहुँचा दिया जिससे मुझे लय पाने का मौका मिला। जब कुमार संगकारा आउट हुए तो मुझे पता था कि मुझे 50 ओवर तक क्रीज पर टिके रहना है। मैं अपने प्रयास से काफी खुश हूँ लेकिन दुर्भाग्यवश हम मैच जीत नहीं सके।

श्रीलंकाई टीम में उनके भविष्य के बारे में पूछे जाने पर जयवर्द्धने ने कहा कि वह अभी और क्रिकेट खेलना चाहते हैं। उन्होंने कहा हमारे लिए यह बहुत जरूरी है कि हम श्रीलंका में क्रिकेटरों की अगली पीढ़ी को भी तैयार करें। मैं ऐसा करने के साथ-साथ खिलाड़ी के तौर पर भी और बेहतर करने की कोशिश करूँगा। जब मुझे लगेगा कि अब मैं टीम के लिए कोई योगदान नहीं दे पाऊँगा तब मैं क्रिकेट को अलविदा कह दूँगा। (वार्ता)

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