कितनी सेफ़ हैं इंदौर शहर की महिलाएँ!
कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के बाद इंदौर में सुरक्षा को लेकर क्या कहा महिलाओं ने
Female Safety: कोलकाता के आईजी कर मेडिकल अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या की खबर से पूरा देश सकते में है। पुलिस ने प्रथम दृष्टया इस मामले को आत्महत्या कहा था, जिसके लिए कोलकाता उच्च न्यायालय ने पुलिस के कार्रवाई के तरीके पर भी प्रश्न खड़े किए हैं। कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के बाद महिलाओं की सुरक्षा फिर कटघरे में है।
इस मामले के सामने आते है इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है। इस प्रकरण के बाद एक बार फिर देश में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैंवेबदुनिया ने इंदौर शहर में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पड़ताल की। हमने कई कामकाजी और घरेलू महिलाओं से बात की और शहर में उनकी सुरक्षा को लेकर उनके अनुभव और उनकी परेशानियां जानने की कोशिश की।
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क्या हैं इंदौर की महिलाओं के अपनी सुरक्षा को लेकर अनुभव
निपानिया से जेस्मिन बताती हैं कि मैं भोपाल से हूँ और 1 महीने पहले ही इंदौर शिफ्ट हुई हूँ। मेरा ऑफिस पलासिया में है और मैंने निपानिया में फ्लैट लिया है। रात को ऑफिस से लौटने में अक्सर देर हो जाती है और निपानिया में स्ट्रीट लाइट नहीं होने की वजह से अपने दो पहिया वाहन से घर लौटने में कई बार डर लगता है।
इसी तरह मूसाखेड़ी में रहने वाली काजल अखबार में काम करती हैं। रात को घर लौटने में शिवाजी वाटिका से लेकर मुसाखेड़ी तक रास्ता काफी सुनसान रहता है और कई जगह सड़कों पर लाइट भी नहीं होती। घर लौटने के लिए उसी रास्ते से होकर आना पड़ता है। ऐसे में अक्सर सड़क पर पुलिस भी नहीं होती। घर लौटने में असुरक्षा महसूस होती है।
कनाड़िया रोड़ निवासी प्रीति बापट बताती हैं, हम कुछ दोस्त शाम को कुछ समय पहले तक इवनिंग वॉक के लिए कनाड़िया रोड से बाईपास तक जाते थे। लेकिन एक बार बाई-पास पर वाइन शॉप के आसपास कुछ लोगों ने शराब के नशे में महिलाओं के साथ छेड़-छाड़ कर उन्हें किया। उस इलाके में अंधेरा होने की वजह से ऐसे लोगों की हिम्मत बहुत बढ़ जाती है। इसलिए हमने वहां शाम को वॉक पर जाना बंद कर दिया।
देवास नाका बाईपास के पास एक सोसाइटी में रहने वाली प्राजक्ता ने बताया कि हमारे घर से कुछ ही दूरी पर एक वाइन शॉप है जहाँ अक्सर लोग शराब के नशे में उत्पात मचाते हैं। हमारी सोसाइटी तक आने के रास्ते में ये शराब की दुकान आती है और कई बार यहां रहने वाली महिलाओं को इन्हीं शराबियों की वजह से अपना रास्ता बदलना पड़ता है। ऐसे में हम महिलाएं अपने घर के पास ही सुरक्षित अनुभव नहीं करतीं। इसी कारण से कई परिवारों ने ये सोसाइटी छोड़ कर शहर के दुसरे क्षेत्रों में घर ले लिया है।
वेबदुनिया ने महिला सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती माला सिंह ठाकुर से भी बात की। माला ठाकुर लंबे समय से महिला और बालिका सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रही हैं। उनका कहना है कि इस तरह के मामले बताते हैं की महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अभी हमारे इंतजाम पुख्ता नहीं है। शहर में हर इलाके में स्ट्रीट लाइट और इलेक्ट्रिक पोल पर सीसीटीवी कैमरा और पैनिक बटन अनिवार्य रूप से होना चाहिए। साथ ही महिलाओं के लिए हेल्पलाइन नंबर भी होने चाहिए जिन पर कॉल करके वे तुरंत मदद ले सकें।
इंदौर की महिलाओं से बातचीत में उनकी सुरक्षा से जुड़ी ये बातें आईं सामने :
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कई इलाकों में स्ट्रीट लाइट न होने से रात को अंधेरे में महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं।
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शहर के कई इलाकों में अक्सर रात को पुलिस की गश्त ना होने से महिलाएं देर रात सुरक्षित नहीं महसूस करती हैं।
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शहर की जो कोलोनियाँ सुनसान इलाकों में हैं वहां रात को आने-जाने में महिलाओं के मन में डर रहता है।
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शराब की दुकानों के आस-पास असमाजिक तत्वों का जमावड़ा उस क्षेत्र में महिलाओं के लिए असुरक्षित वातावरण तैयार करता है।