महिलाओं का दूसरा नाम है त्याग और समर्पण...मां,बेटी,बहन,बहू,पत्नी के रूप में प्यार लुटाया तो जमीन हो या आसमान या हो सागर की अथाह गहराई हर क्षेत्र में उन्होंने अपनी काबिलियत का दम दिखाया इतना ही नहीं समय आने पर मां दुर्गा का रूप धारण कर दुश्मनों का खात्मा किया कुछ यूं एक महिला ने मिसाल पेश की है जिन्होंने शहीद पति की अधूरी रह गई देश सेवा को पूरा करने जी जान लगा दी अब वह आर्मी में अफसर बनकर शहीद पति के सपनों को पूरा करेंगीं हम बात कर रहे है वीरांगना प्रोफेसर करूणा सिंह चौहान की...जिनको फक्र है पति की शहादत पर इसलिए हमारा सलाम है ऐसे जज्बे को जो पति की यादों को समेटकर उनके अधूरे सपने को पूरा करने ठानी है बता दे कि करूणा सिंह की शादी नेवी लेफ्टिनेंट धर्मेद सिंह चौहान से 12 अप्रैल 2019 को हुई थी शादी के बाद से वो बेहद खुश रहती थी। रोजाना नए नए सपने देखने लगी मानो जिंदगी मे सबकुछ मिल गया
सात फेरे लिए एक महीने ही हुए थे इसी बीच ऐसी बुरी खबर आई कि करुणा सिंह के दुख की कल्पना नहीं कर सकते पहली बार उन्हे खुद यकीन नहीं हुआ घर में खबर आती है पति धर्मेंद्र सिंह चौहान INS विक्रमादित्य पर आग बुझाते वक्त शहीद हो गए फिर क्या था। परिवारवालों की आंखों से आंसुओं की धार लग गई इलाके में मातम पसर गया। पत्नी बेसुध हो गई और करुणा को लगा अब जिंदगी में कुछ नहीं है, लेकिन उन्होंने अपने जज्बे को बनाए रखा खुद अपनी एक कहानी लिख दी
कहते है जिस तरह सैनिक में देश प्रेम का जज्बा होता है उसी तरह परिवार में भी देश सेवा का भाव होता है पहले तो करुणा सिंह ने खुद को संभाला फिर खुद पति की तरह देश सेवा का निर्णय लिया हालांकि उन्होंने जिंदगी में सबकुछ हासिल कर लिया था जो एक महिला को चाहिए था पढ़ाई में उन्होंने मैकेनिकल किया इसके बाद ही करुणा को नौकरी मिल गई वो आगरा के दयालबाग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बन गई लेकिन पति के शहीद होने के बाद वो टूटी नहीं बल्कि आर्मी में अफसर बनने का फैसला लिया और दोबारा विद्यार्थी बनकर सेना जाने की तैयार शुरू कर दी पहले बार तो असफल रही लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी दोबारा फिर से परीक्षा दी आखिरकार उन्हे सफलता मिल ही गई सलेक्शन से पहले उनका इंटरव्यू हुआ करीब 55 मिनट तक चला जिसमे उनसे कई सवाल पूछे गए यह भी जानने की कोशिश की गई की प्रोफेसर की नौकरी छोड़ सेना में क्यों जाना चाहती है लेकिन सभी सवालों का एक ही जवाब था पति के सपनों को साकार करना लिहाजा अब करुणा चेन्नई में 11 महीने की ट्रेनिंग के बाद आर्मी में अफसर बन जाएगी वही इस सफलता का श्रेय पूरे परिवार को दिया
बता दें कि करुणा सिंह चौहान की जिंदगी बचपन से ही संघर्ष भरी रही जब वो ग्रेजुशन कर रही थी तो उनके पिता का निधन हो गया था भाई छोटा था पूरी घर की जिम्मेदारी उन पर आ गई थी, लेकिन शादी के बाद उन्हे लगा अब पिता की कमी पूरी हो जाएगी लेकिन वह सपना था जो एक महीने के भीतर टूट गया बतादें कि शहीद लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह चौहान का परिवार रतलाम में रहता है वो माता पिता के इकलौते संतान थे यानी पति के शहीद होने के बाद करुणा सिंह सेना ज्वाइन कर देश सेवा के प्रति अपने जुनून को सबके सामने रख दिया वे आज उन लाखों हजारों महिलाओं के लिए मिसाल है जो देश सेवा का जज्बा अपने अंदर रखती है